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महाराष्ट्र के 22 जिलों में 24 लाख लोगों की होगी सिकल सेल स्क्रीनिंग
- मुहिम में शामिल किए जाएंगे शिशु से लेकर 40 साल तक के लोग
- 22 जिलों में 24 लाख लोगों की होगी सिकल सेल स्क्रीनिंग
- संदिग्ध मरीजों की टेस्टिंग
डिजिटल डेस्क, मुंबई, मोफीद खान | आजादी के शताब्दी वर्ष यानी 2047 तक देश को सिकल सेल से मुक्त करने का लक्ष्य केंद्र सरकार ने रखा है। इसके तहत 17 राज्यों में सिकल सेल स्क्रीनिंग के निर्देश दिए गए हैं। इसी कड़ी में महाराष्ट्र के सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग ने सिकल सेल एनीमिया की जांच के लिए एक विशेष सर्वेक्षण शुरु किया है। इस सर्वेक्षण के तहत मार्च, 2024 से पहले 24 लाख लोगों की स्क्रीनिंग का लक्ष्य रखा गया है।
राज्य के स्वास्थ्य सेवा निदेशालय में सिकल सेल के प्रभारी डॉ. महेंद्र केंद्रे ने बताया कि सिकल सेल का पता लगाने, प्रबंधन और रोकथाम के लिए राष्ट्रीय मिशन के तहत राज्य के 22 जिलों में स्क्रीनिंग प्रक्रिया शुरू की गई है। सिकल सेल एक आनुवंशिक रक्त रोग है, जो देश के आदिवासी इलाकों में आम है। गैर-आदिवासियों में भी इसके मामले पाए जाते हैं। यह न केवल एनीमिया का कारण बनता है, बल्कि रोगी के फेफड़ों, हृदय, गुर्दे, आंखों, हडि्डयों और मस्तिष्क जैसे कई अंगों पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालता है। 2011 की जनगणना अनुसार देश में 6.78 करोड़ आदिवासी हैं, जो कुल आबादी का 8.6 प्रतिशत है।
100 रुपए में टेस्ट को तैयार नहीं: महाराष्ट्र में चार कंपनियां हैं जिन्हें भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ने सिकल सेल एनीमिया के लिए प्वाइंट ऑफ केयर टेस्ट की मंजूरी दी है। हालांकि, इन कंपनियों ने केंद्र की ओर से तय 100 रुपए में जांच करने से मना कर दिया है। डॉ. केंद्र ने बताया कि हम इन कंपनियों के साथ बातचीत कर रहे हैं।
सिकल सेल मरीजों की किफायती जांच के लिए लॉर्ड्स मार्क इंडस्ट्रीज ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) मुंबई से हाथ मिलाया है।
इसके तहत लॉर्ड्स मार्क आईआईटी की तकनीक पर आधारित पीओएस उपकरण बनाएगी। इस साझेदारी का मकसद स्क्रीनिंग और डायग्नोसिस प्रोसेस में सुधार करना है। इसे मरीजों के लिए सुगम और सुविधाजनक बनाना है। आईआईटी के शोधकर्ता डॉ. ओशिन शर्मा ने कहा कि सिकल सेल स्क्रीनिंग चैलेंज से निपटने में हमारी टेक्नोलॉजी गेम-चेंजर साबित हो सकती है। हमारी तकनीक और लॉर्ड्स मार्क की क्षमताएं देश में सिकल सेल एनीमिया पीड़ित लाखों मरीजों का जीवन बेहतर बनाएगी।
संदिग्ध मरीजों की टेस्टिंग
डॉ. केंद्र ने बताया कि स्क्रीनिंग 0 से 40 आयु वर्ग की होगी। स्क्रीनिंग के दौरान यदि हेल्थकेयर वर्कर्स को कोई संदिग्ध मरीज मिलता है तो वह उन रोगियों की सूची बनाएंगे। इस सूची के आधार पर इन संदिग्ध रोगियों की टेस्टिंग की जाएगी जिससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि मरीज सिकल सेल से पीड़ित है या नहीं।
Created On :   28 May 2023 5:43 PM IST