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बड़ा दावा: छह नेता मराठा आरक्षण के खिलाफ, नाम का खुलासा 24 दिसंबर को करेंगे जरांगे पाटील
- छह नेता मराठा आरक्षण के खिलाफ
- जरांगे पाटील का दावा
- 24 दिसंबर को करेंगे नाम का खुलासा
- अपनी मांगों को मनवाने के लिए सरकार को धमकी न दें जरांगे पाटील- वडेट्टीवार
- बिहार में आरक्षण की सीमा बढ़ सकती है तो महाराष्ट्र में क्यों नहीं- अशोक चव्हाण
डिजिटल डेस्क, मुंबई। मराठा आरक्षण के मुद्दे पर मनोज जरांगे पाटिल ने अब आक्रामक रुख अख्तियार कर लिया है। जरांगे पाटील ने मराठा समाज को तुरंत कुणबी प्रमाण पत्र देने के साथ साथ मराठाओं को ओबीसी में शामिल करने की मांग की है। जरांगे पाटील की इस मांग का ओबीसी नेताओं ने विरोध किया है। राज्य सरकार में मंत्री और ओबीसी के बड़े नेता छगन भुजबल ने विरोध करते हुए कहा कि मराठा समुदाय को आरक्षण ओबीसी कोटे से नहीं दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ओबीसी के कोटे से अगर मराठा आरक्षण दिया गया तो इसको लेकर राज्य भर में आंदोलन किया जाएगा। इस बीच जरांगे पाटील ने राज्य सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि राज्य के छह नेता मराठा आरक्षण के खिलाफ हैं जिनके नाम का खुलासा वह 24 दिसंबर को करेंगे।
शुक्रवार को मीडिया से बातचीत में मनोज जरांगे पाटील ने सीधे तौर पर बगैर किसी का नाम लिए कहा कि मैं हीरो नहीं बना हूं। मैं यह मानता हूं आपने हमें खत्म कर दिया था और इसके लिए एक साजिश भी रची थी। राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए पाटील ने कहा कि कुछ लोग अनावश्यक बातें बोलकर हमारे लोगों के मन में भ्रम पैदा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कई वर्षों तक आपने और आपकी पार्टी ने हमारा लगातार इस्तेमाल किया। कुछ लोग हमारे दुश्मन बन गए हैं और मैं आगामी 24 तारीख को उन छह लोगों के नाम का खुलासा करूंगा जो मराठा आरक्षण के खिलाफ हैं।
विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय वडेट्टीवार ने जरांगे पाटील पर निशाना साधते हुए कहा कि अपनी मांगों के लिए उन्हें सरकार को इस तरह से धमकी नहीं देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि राजनीतिक ब्लैकमेल करके कोई हल नहीं निकल सकता। इसके लिए संवैधानिक तरीका ही एकमात्र रास्ता बचा है। राज्य सरकार में मंत्री छगन भुजबल ने एक बार फिर कहा कि अगर मराठों को ओबीसी के कोटे से सरकार ने आरक्षण दिया तो फिर इसको लेकर राज्य भर में आंदोलन किया जाएगा।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने कहा कि बिहार विधानसभा ने आरक्षण की कुल सीमा बढ़ाकर 75 प्रतिशत कर दी है तो महाराष्ट्र में ऐसा क्यों नहीं हो सकता। चव्हाण ने कहा कि राज्य सरकार को विधानसभा के आगामी शीतकालीन सत्र में आरक्षण की सीमा को बढ़ाए जाने के लिए कदम उठाने चाहिए, जिससे मराठा समुदाय को आरक्षण पाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि भाजपा ने बिहार विधानसभा में आरक्षण विधेयक का समर्थन किया था।
राकांपा (शरद) प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटील ने कहा कि मराठा आरक्षण के मुद्दे को लेकर मंत्रिमंडल के सहयोगियों में मतभेद हैं। पाटील ने कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे मराठों को आरक्षण देने की बात करते हैं वहीं उनके सहयोगी मंत्री छगन भुजबल अलग बयान देते हैं। जिससे राज्य की जनता में भ्रम निर्माण हो रहा है। सरकार को इस पर अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए।
Created On :   10 Nov 2023 9:52 PM IST