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श्रमिकों के परिजनों को मुआवजा के लिए उत्तराधिकार प्रमाण पत्र पर टीएमसी न दे जोर
- टीएमसी के सीवेज के मृत श्रमिकों के परिजनों को मुआवजा का मामला
- अदालत का निर्देश - उत्तराधिकार प्रमाण पत्र पर टीएमसी न दे जोर
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने ठाणे महानगर पालिका (टीएमसी) को निर्देश दिया है कि उन मामलों में जहां दावेदारों के बीच कोई विवाद नहीं है, तो सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान मरने वाले सीवेज श्रमिकों के परिजनों को मुआवजा देने के लिए उत्तराधिकार प्रमाण पत्र पर जोर न दें। न्यायमूर्ति धीरज सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति संदीप वी.मार्ने की खंडपीठ के समक्ष ठाणे के श्रमिक जनता संघ की ओर से वरिष्ठ वकील गायत्री सिंह की दायर याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में सीवेज के मृत श्रमिकों के परिवार के सदस्यों को मुआवजे के भुगतान में देरी को उजागर किया गया था। खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि अंतरिम आदेश के माध्यम से हम टीएमसी को निर्देश देते हैं कि वह हर मामले में उत्तराधिकार प्रमाण पत्र पर जोर न दें, जहां श्रमिकों की सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान मृत्यु हो गई हो। दावेदारों के बीच किसी भी विवाद की अनुपस्थिति में टीएमसी परिवार के सदस्यों के दावे की प्रारंभिक जांच और सत्यापन करेगा। यदि यह वास्तविक पाया जाता है, तो मुआवजे की राशि उत्तराधिकार प्रमाण पत्र की खरीद पर जोर दिए बिना जारी की जाए।
ठाणे मनपा ने ऐसे सीवेज के मृत कर्मचारियों के परिवार के सदस्यों को दस लाख रुपए का मुआवजा देने का निश्चय किया है, जो किसी निजी भवन या सहकारी समिति के सीवर या सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान मारे जाते हैं।
याचिकाकर्ता की वकील गायत्री सिंह ने दलील दी कि टीएमसी की उत्तराधिकार प्रमाण पत्र की मांग के परिणामस्वरूप अनावश्यक देरी हो रही है। ऐसे में शोक संतप्त परिवारों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ रहा है। शोक संतप्त परिवार से उत्तराधिकार प्रमाण पत्र की मांगें सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी निर्देशों के सीधे विरोधाभासी हैं, जिसका उद्देश्य मृत श्रमिकों के परिवारों को त्वरित अनुकंपा मुआवजा प्रदान करना था।
Created On :   21 July 2023 8:56 PM IST