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बाम्बे हाईकोर्ट: हटाया जाएगा बांद्रा पूर्व स्थित सरकारी कॉलोनी का अनधिकृत निर्माण, पुणे में पेड़ कटाई मामले में भी सुनवाई
- सरकार ने अवैध निर्माण को हटाने समिति का किया गठन
- पुणे में शहरी विकास परियोजनाओं के लिए पेड़ों की कटाई का मामला
- बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र राज्य अनुसूचित जाति (एससी) एवं अनुसूचित जनजाति (एसटी) आयोग के अध्यक्ष का पद दिसंबर 2022 से रिक्त होने को लेकर सरकार से मांगा जवाब
डिजिटल डेस्क, मुंबई. प्रदेश सरकार ने बाम्बे हाईकोर्ट के निर्माण के लिए बांद्रा पूर्व स्थित सरकारी कॉलोनी की 30.16 एकड़ जमीन पर स्थित अनधिकृत निर्माण कार्य को हटाने के लिए समिति का गठन किया है। राज्य की गृहनिर्माण विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव वलसा नायर-सिंह की अध्यक्षता में समिति बनाई है। सरकारी कॉलोनी के 30.16 एकड़ जमीन पर अवैध निर्माण के लिए नियमों के अनुसार उचित कार्यवाही करने अथवा अतिक्रमण हटाने की जिम्मेदारी होगी। बुधवार को राज्य के सार्वजनिक निर्माण कार्य विभाग के उपसचिव निरंजन तेलंग ने शासनादेश जारी किया है। इसके मुताबिक समिति में सार्वजनिक निर्माण कार्य विभाग के सचिव (निर्माण कार्य) संजय दशपुते, मुंबई उपनगर के जिलाधिकारी राजेंद्र श्रीरसागर, झोपड़पट्टी पुनर्वसन प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ.महेद्र कल्याणकर, मुंबई मनपा के सहायक आयुक्त (पश्चिम) को सदस्य के रूप में शामिल किया गया है। इस समिति को नियमित बैठक करके कामों का निपटारा करना होगा। इससे पहले सरकार ने बाम्बे हाईकोर्ट के कॉम्प्लेक्स के निर्माण के लिए बांद्रा पूर्व के सरकारी कॉलोनी की 30.16 एकड़ जमीन आरक्षित किया था। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को बाम्बे हाईकोर्ट को हस्तांतरित करने के लिए जमीन उपलब्ध कराने का आदेश दिया था। बाम्बे हाईकोर्ट फिलहाल दक्षिण मुंबई स्थित फोर्ट में स्थित है।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र राज्य अनुसूचित जाति (एससी) एवं अनुसूचित जनजाति (एसटी) आयोग के अध्यक्ष का पद दिसंबर 2022 से रिक्त होने को लेकर सरकार से मांगा जवाब
वहीं बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र राज्य अनुसूचित जाति (एससी) एवं अनुसूचित जनजाति (एसटी) आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों का पद दिसंबर 2022 से रिक्त होने को लेकर दायर जनहित याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है। 18 सितंबर को मामले की अगली सुनवाई रखी गई है। जनहित याचिका में दावा किया गया है कि एससी-एसटी आयोग में सुनवाई के लिए वंचित समाज के लोगों की 877 शिकायत विचाराधीन (पेंडिंग) हैं। राज्य सरकार ने 2005 में परिपत्र जारी कर एससी-एसटी आयोग का गठन किया। इस आयोग पर अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के बीच सामाजिक, शैक्षिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक स्थिति का अध्ययन करने और उसके सुधार का सरकार को सुझाव देने की जिम्मेदारी है। मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की पीठ के समक्ष सागर शिंदे की ओर से वकील युवराज नरवडकर की दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता के वकील युवराज नरवडकर ने दलील दी कि राज्य सरकार ने 1 मार्च 2005 को परिपत्र जारी कर एससी-एसटी आयोग का गठन किया था, जिसकी भूमिका अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की वर्तमान सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक और राजनीतिक स्थितियों का अध्ययन करना और उनके सुधार का राज्य सरकार को सुझाव देना है। इसके अतिरिक्त आयोग एससी और एसटी समुदायों के सदस्यों द्वारा उठाई गई शिकायतों की भी सुनवाई करता है। 30 जुलाई 2022 से आयोग के अध्यक्ष और कई सदस्यों के पद भरे नहीं गए हैं। इससे एससी और एसटी समुदायों की 877 शिकायतें लंबित हैं, जिसका समाधान नहीं हो रहा है। पीठ ने राज्य सरकार को आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों के रिक्तियों को लेकर हलफनामा दायर कर जवाब देने का निर्देश दिया।
पुणे में शहरी विकास परियोजनाओं के लिए पेड़ों की कटाई का मामला
इसके अलावा बॉम्बे हाई कोर्ट ने पुणे महानगरपालिका (पीएमसी) से शहरी विकास परियोजनाओं के लिए पेड़ों की कटाई को लेकर अदालत के आदेश पर अमल नहीं करने पर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। अदालत ने परियोजनाओं के लिए पेड़ों की कटाई को लेकर मांगी गई अनुमति, उसके परमिशन को वेबसाइट पर अपलोड करने और एक्सपर्ट कमेटी बनाने का निर्देश दिया था। याचिका पीएमसी पर अदालत के आदेश पर अमल नहीं करने का आरोप लगाया गया है। मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की पीठ के समक्ष बुधवार को पुणे की परिसर संरक्षण संवर्धन संस्था की ओर से वकील रोनिता भट्टाचार्य की दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता अमित सिंह के वकील भट्टाचार्य ने दलील दी कि पुणे में सड़क विस्तार, फ्लाईओवर और पुल निर्माण समेत विभिन्न नागरिक परियोजनाओं समेत कई सड़कों के सौंदर्यीकरण और चौड़ीकरण के लिए बड़ी संख्या में पेड़ों की कटाई की जा रही है। इसके लिए पीएमसी के ट्री अथॉरिटी से इजाजत ली जाती है। पीएमसी परियोजना के लिए जितने भी पेड़ को काटे की इजाजत देती है, उसे उतने ही पेड़ लगाने होते हैं। पीएमसी को पेड़ काटने की मांगी गई अनुमति और उसके लिए दी गई इजाजत को ट्री अथॉरिटी के वेबसाइड पर डालनी चाहिए। जनहित याचिका में इसके लिए एक एक्सपर्ट कमेटी बनाने की मांग की गयी थी। कमेटी में पीएमसी के सहायक आयुक्त, पुणे विश्व विद्यालय के इंजीनियरिंग विभाग के विभाग अध्यक्ष और याचिकाकर्ता समेत 6 लोग एक्सपर्ट कमेटी में शामिल करने का अनुरोध किया गया था। पेड़ों की कटाई किए बिना रास्तों के निर्माण समेत विभिन्न परियोजनाओं को पूरा किया जा सके। पीठ ने पीएमसी को इस पर अमल करने का निर्देश दिया था। याचिका में अदालत के आदेश पर पीएमसी द्वारा अमल नहीं किए जाने का आरोप है।
Created On :   4 Sept 2024 10:39 PM IST