- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- मुंबई
- /
- काश दो दिन पहले ही इर्शालवाड़ी गांव...
काश दो दिन पहले ही इर्शालवाड़ी गांव खाली कर दिए होते ग्रामीण
- मंत्री अदिति तटकरे ने दैनिक भास्कर को बताया दुर्घटना का कारण
- काश दो दिन पहले ही इर्शालवाड़ी गांव खाली कर दिए होते ग्रामीण
डिजिटल डेस्क, मुंबई, सोमदत्ता शर्मा। रायगड जिले के खालापुर में इर्शालवाड़ी गांव हुए भूस्खलन में हुई जनहानि को रोका जा सकता था पर ग्रामीणों ने सरकार की चेतावनी को गंभीरता से नहीं लिया। स्थानीय प्रशासन ने दो-तीन दिन पहले ही गांव के लोगों को अलर्ट किया था और सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए कहा था। कुछ लोगों को सुरक्षित जगहों पर भेजा भी गया था लेकिन ज्यादातर लोगों ने गांव नहीं छोड़ा। राज्य की महिला व बाल कल्याण मंत्री अदिती तटकरे ने यह जानकारी देते हुए कहा कि काश गांव के लोग सुरक्षित जगहों पर चले जाते तो आज यह दिन देखना नहीं पड़ता।
रायगढ़ की पालकमंत्री रह चुकी अदिती ने दुर्घटना की जानकारी मिलने के बाद सबसे पहले घटनास्थल पर पहुंचने वाली मंत्री थी। उन्होंने दैनिक भास्कर से बातचीत में बताया कि मुझे बुधवार की रात करीब साढ़े ग्यारह बजे जानकारी मिली कि इर्शालवाड़ी गांव के ऊपर पहाड़ खिसककर गिर गई है। गांव के कुछ लोगों से मेरी बात हुई उन्होंने बताया कि रात में अंधेरा होने की वजह से वहां पहुंचना मुश्किल है। फौरन ही घटना की जानकारी मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री अजित पवार को दी गई। इसके आलावा एनडीआरएफ को भी सूचना दी गई। मुख्य सड़क से इस गांव में पहुंचने में डेढ़ घंटे से भी ज्यादा का समय लगता है। करीब तीन बजे एनडीआरएफ की टीम घटनास्थल पर पहुंची और राहत एवं बचाव कार्य शुरु किया गया।
70 गांवों के पुनर्वसन की जरुरत
रायगड में बार-बार भूस्खलन होने के सवाल पर मंत्री ने कहा कि दरअसल इर्शालवाडी गांव भूस्खलन प्रभावित श्रेणी के गांव में नहीं आता है। इस गांव के लोग आसपास के क्षेत्रों में ट्रैकिंग के लिए आने वाले लोगों की मदद करने के लिए जाने जाते हैं। गांव में ऊपर जाने का रास्ता छोटा है जिसके चलते सुविधाओं का अभाव है। उन्होंने कहा कि इस घटना के पहले मालिन और तलीय गांव में भी भूस्खलन की घटना हुई थी। तब पूरे रायगड के भूस्खलन प्रभावित गांवों का सर्वे किया गया था, जिसमें पाया गया कि रायगड के करीब 60 से 70 गांव का पुनर्वसन जरुरी है तभी इस तरह की घटनाओं से बचा जा सकता है। लेकिन गांव के लोग अपनी खेती की जमीन के चलते गांव खाली नहीं करते हैं, जिसके चलते इन गांवों का पुनर्वसन का मामला अटका हुआ है। उन्होंने उस बात को गलत बताया कि राहत कार्य शुरु करने में देरी हुई। अदिति ने कहा कि जैसे ही मुझे इस घटना की जानकारी मिली मैंने तुरंत किसी और का इंतजार किए बगैर ही घटनास्थल पर कंबल, टैंट, खाने और पीने की सामग्री की व्यवस्था की। रास्ता पहाड़ीनुमा होने के चलते राहत बलों को पहुंचने में थोड़ा समय लगा लेकिन आसपास के गांव वालों ने पहले ही बचाव कार्य शुरु कर दिया था। उन्होंने बताया कि जिन गांवों पर भूस्खलन का खतरा रहता है उनके लिए एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया गया है जिसके जरिए मैं संपर्क में रहती हूं। इस घटना की जानकारी भी मुझे इस ग्रुप के तीन चार लोगों ने फोन कर बताई थी। गांव के लोगों के संपर्क में रहने से हर प्रकार की जानकारी मिलती रहती है। मंत्री ने बताया कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मृतकों के परिजनों को 5 लाख रुपए की मदद देने का एलान किया है। घायलों के खर्च का जिम्मा भी सरकार ही उठाएगी। खुद सीएम शिंदे ने घटनास्थल पर डटे हुए हैं।
Created On :   20 July 2023 8:11 PM IST