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हाईकाेर्ट: राज्य में अनुसूचित जनजाति के 80 हजार शासकीय पद रिक्त, दाखिल हुई याचिका
- 12 हजार से अधिक कर्मचारी जाति संबंधी दस्तावेज पेश नहीं कर सके
- राज्य में अनुसूचित जनजाति के 80 हजार शासकीय पद रिक्त
- आफ्रोट ने हाईकाेर्ट में दाखिल की याचिका
डिजिटल डेस्क, नागपुर। आर्गनाइजेशन फॉर राइट्स आफ ट्राइबल (आफ्रोट) संगठन के अध्यक्ष एड. राजेंद्र मरसकोल्हे ने राज्य में अनुसूचित जनजाति (एसटी) के विविध शासकीय विभागों में 80 हजार पद खाली होने का दावा किया है। इन पदों को भरने में सरकार दिलचस्पी नहीं लेने का आरोप लगाते हुए इस संबंध में हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में याचिका दायर की है। आफ्रोट के एड. मरसकोल्हे का दावा है कि अगस्त 2020 को राज्य के सामान्य प्रशासन विभाग ने अनुसूचित जनजाति (एसटी) आयोग के समक्ष यह जानकारी दी कि राज्य में एसटी के 1 लाख 55 हजार 696 पद हैं, जिनमें एक लाख 9 पद भरे गए हैं।
शेष 55 हजार से अधिक पद रिक्त पड़े हैं। उन्होंने कहा कि इसके अलावा एसटी के नाम पर शासकीय नौकरी में लगे 12 हजार से अधिक कर्मचारियों को अधिसंख्या किया गया है। यानी ये लोग जाति वैधता प्रमाणपत्र पेश नहीं कर सके हैं। इसी तरह हजारों ऐसे कर्मचारी जिनके जाती संबंधी मामले अभी भी जाति वैधता समिति के पास प्रलंबित हैं। संबंधित कर्मचारी जाति संबंधी दस्तावेज समिति के समक्ष पेश नहीं कर सके है। इन सबको मिलाकर 80 हजार पद हैं, जो एसटी के लिए आरक्षित होने के बावजूद इस वर्ग के युवाओं को उसका लाभ नहीं मिल रहा है।
आफ्रोट ने कहा कि 2018 में भी हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। उस दौरान भी राज्य के मुख्य सचिव से लेकर उच्चाधिकारियों को अनुसूचित जनजाति आयोग के समक्ष हाजिर होना पड़ा था। आरोप लगाया कि सरकार एसटी के रिक्त पदों काे भरने में उदासीन है। राज्य में भर्तियों में अधिकांश कर्मचारी अनुसूचित जनजाति वर्ग से हैं। जाति सत्यापन समितियों ने इनकी जातियों के दावे खारिज किए है।
एड. मरसकोल्हे ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को राज्य में लागू करने की मांग की। जिनका जाति संबंधी दावा पूर्व में 15 जून 1995 को अमान्य किया जा चुका है तो सरकारी सेवा सुरक्षा रद्द की जाये। राज्य लोक सेवा आयोग व सीधी भर्ती के तहत इन रिक्त पदों को भरकर आदिवासी समाज के साथ न्याय किया जाए। हाईकोर्ट की नागपुर पीठ में जो याचिका दायर की है, उस पर 10 सितंबर को सुनवाई होगी।
Created On : 31 Aug 2024 2:31 PM