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नाईक तालाब के कछुए को मिला घर
डिजिटल डेस्क, नागपुर। लोगों की धार्मिक भावनाओं से जुड़े 80 साल के कछुए को आखिरकार कुछ समय रहने के लिए अच्छा घर मिल गया है। मनपा की ओर से सेमिनरी हिल्स के ट्रांजिट ट्रीटमेंट सेंटर में सीमेंट की बड़ी टैंक बनाकर कछुए को रखा है। कछुए कोयहां तब तक रखा जाएगा, जब तक नाईक तालाब की अच्छे ढंग से सफाई नहीं हो जाती है। इसके बाद कछुए को वापस तालाब में डाल दिया जाएगा।
70 से 80 साल पुराना
लालगंज परिसर स्थित नाईक तालाब शहर के सुंदर तालाबों में एक था, लेकिन सफाई के अभाव में लगातार यहां कीचड़ जमता गया है। वर्तमान में तालाब में चारों ओर कीचड़ ही कीचड़ है, जिससे यहां गंदगी जमा हो रही थी। इसलिए तालाब के सौंदर्यीकरण का निर्णय लिया गया है। कीचड़ साफ करने कके दौरान तालाब में एक विशाल कछुआ नजर आया। यह कछुआ शॉपसेल प्रजाति का है, जो वन्यजीव शेडुल 1 में आता है। ऐसे में इसे वन विभाग की अनुमति के बगैर पकड़ना अपराध है। मनपा ने वन विभाग की मदद ली। कछुए का रेस्क्यू करने के लिए टीम को बुलाया गया, लेकिन कीचड बहुंत ज्यादा होने से वन विभाग की टीम इसका रेस्क्यू नहीं कर सकी। रेस्क्यू प्रक्रिया रोकी गई, क्योंकि कछुआ घायल हो सकता था। इस बीच कुछ दिन सफाई के दौरान कछुआ देखने को नहीं मिला। 2 माह पहले काम के दौरान एक बार फिर वह नजर आया। इसके बाद वन विभाग की टीम, मनपा और पुलिस की मदद से कछुए को पकड़ने में सफलता मिली। बाहर निकालने के बाद उसे सेमिनरी हिल्स के ट्रांजिट ट्रीटमेंट सेंटर में लाया गया, जहां प्राथमिक तौर पर इसकी जांच करने के बाद पता चला कि यह कछुआ लगभग 70 से 80 साल पुराना है।
ब्रिटिशकाल से तालाब में
ब्रिटिशकाल से कछुआ तालाब में रह रहा है। इसकी लंबाई एक आदमी जितनी यानी 4 फीट व चौड़ाई भी लगभग इतनी ही है। आमतौर पर कछुए की उम्र 100 वर्ष तक होती है। कुछ कछुए ही 150 वर्ष तक जी सकते हैं। ऐसे में यह कछुआ अब बुढ़ापे की उम्र में पहुंच गया है, लेकिन टीटीसी में इससे पहले इतना बड़ा कछुआ कभी नहीं आया था। इसे रखने के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी। इसे एक गड्ढे में रखा जा रहा था, जिसकी लंबाई व चौड़ाई बहुत कम थी। इससे कछुए को तकलीफ होने की बात से इनकार नहीं किया जा सकता है, लेकिन अब मनपा ने इसके लिए एक शानदार टैंक बनाया है, जो उसके आकार की तुलना में कई गुना बड़ी है। सोमवार को कछुए को टैंक में छोड़ा गया। कछुए का वजन 50 किलो से ज्यादा और लंबाई-चौड़ाई 4 फीट है, जिसके कारण इसे रखने के लिए करीब 4 बाय 4 मीटर की टंकी बनाना जरूरी है, ताकि वह सही ढंग से रह सके।
राजू बिरहा की फांसी पर हाईकोर्ट में सुनवाई
डिजिटल डेस्क, नागपुर। तिहरे हत्याकांड के दोषी राजू चुन्नालाल बिरहा (47), गुमगांव, हिंगना निवासी को फांसी के प्रकरण में मंगलवार को बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ में सुनवाई हुई। बिरहा को नागपुर के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पी.वाई. लाडेकर ने दिसंबर 2022 में फांसी की सजा सुनाई थी। नियमानुसार निचली अदालत द्वारा सुनाई गई फांसी की सजा पर हाई कोर्ट से स्वीकृति लेनी होती है। इसी प्रक्रिया के तहत यह मामला हाई कोर्ट के समक्ष आया है। बिरहा ने भी फांसी की सजा को हाई कोर्ट में चुनौती दी है। मंगलवार को न्या. विनय जोशी और न्या. वाल्मिकी मेंजेस ने इस प्रकरण में प्रारंभिक सुनवाई के बाद 19 जून को अगली सुनवाई का आदेश जारी किया।
तीन हत्याएं की हैं
गौरतलब है कि, निचली अदालत ने बिरहा को धारा 302 के तहत हत्या का दोषी पाया है। उसे फांसी और 5 हजार रुपए जुर्माने की सजा दी गई है। हिंगना पुलिस में दर्ज मामले के अनुसार, यह घटना 17 नवंबर 2015 की रात 9 से 10 बजे के बीच मौजा वागधरा शिवार में हुई थी। दरअसल, कई दिनों से राजू बिरहा और सुनील कोटांगले के बीच पान टपरी की जगह को लेकर विवाद चल रहा था। घटना के समय जब सुनील अपने मित्र आशीष उर्फ गोलू गायकवाड़ और कैलाश बहादुरे से कर रहा था, तभी बिरहा अपने साथी कमलेश के साथ वहां पहुंचा और उसने सत्तूर से सुनील पर हमला कर उसे वहीं ढेर कर दिया। आशीष और कैलाश जब भागने लगे, तो बाइक से दोनों का पीछा किया और उन्हें भी मौत के घाट उतार दिया। निचली अदालत ने मामले में सभी पक्षों को सुनकर यह फैसला दिया था।
Created On :   7 Jun 2023 1:09 PM IST