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कोर्ट पैरवी अधिकारी बेबस, बैठने तक का नहीं ठिकाना
- अलाउंस बंद, जेब से करते हैं पूरा खर्च
- खड़े-खड़े करते हैं कहीं भी भोजन
अभय यादव, नागपुर । हर थाने में तैनात पैरवी अधिकारी न्यायालय व थाने के बीच की अहम कड़ी माने जाते हैं। इनके अलावा कोर्ट मोहरर्र भी न्यायालय में रोजाना आते हैं, जो कोर्ट पैरवी अधिकारियों की तरह ही कोर्ट संबंधी कामकाज देखते हैं। सूत्रों के अनुसार, सत्र न्यायालय व जेएमएफसी न्यायालय परिसर में हर रोज 150 से अधिक थाने से कोर्ट पैरवी अधिकारी और कोर्ट मोहरर्र कोर्ट में आते हैं। गर्मी और बरसात में इनकी फजीहत हो जाती है, क्योंकि न्यायालय परिसर में न तो इनके बैठने की कोई सुविधा है और न ही ऐसी कोई जगह है, जहां वे बैठकर भोजन तक कर सकें। वाहनों की सीटों पर या किसी टेबल पर टिफिन अथवा पैकेट रखकर ये खड़े-खड़े भोजन करने को मजबूर होते हैं।
पहले मिला करता था ट्रैवलिंग अलाउंस
सूत्रोंे से मिली जानकारी के अनुसार पहले शहर से 10 किलोमीटर दूर जाने पर पुलिस कर्मियों को ट्रैवलिंग अलाउंस (टीए) मिला करता था। जब आर. आर. पाटील गृहमंत्री बने थे, तब उन्होंने इसे बंद कर दिया। धीरे-धीरे टी.ए. का चलन पूरी तरह खत्म कर दिया गया। वर्ष 2007-08 के दौरान करीब 30 रुपए प्रतिदिन ट्रैवलिंंग अलाउंस उन पुलिसकर्मियों को दिया जाता था, जो 10 किलोमीटर का सफर तय करते थे। इसमें कोर्ट पैरवी अधिकारियों का भी समावेश होता था, लेकिन अब उन्हें स्वयं खर्च कर करना पड़ता है। अगर किसी मामले के आरोपी को सजा हो गई, तब इन्हें विभाग की ओर से रिवॉर्ड दिया जाता है।
इनकी होती है नियुक्ति
हवलदार से एएसआई स्तर के कर्मचारी को कोर्ट पैरवी अधिकारी के लिए नियुक्त किया जाता है। आजकल वरिष्ठ अधिकारियों को भी कोर्ट पैरवी अधिकारी को मामले के बारे में सारी जानकारी देनी पड़ती है, जैसे कि किस मामले की सुनवाई हो रही है, उसमें गवाहों के बयान हुए या नहीं, कितने गवाह आए थे, एविडेंस क्या दिया गया, सरकारी अधिवक्ता कौन था। इसके साथ ही वरिष्ठ अधिकारी मार्गदर्शन भी करते हैं कि किस मामले में कैसे काम करना है, ताकि आरोपियों को सजा मिल सके।
हर तारीख पर लगाते हैं हाजिरी
हर तारीख पर यही अदालत के समक्ष पेश होकर हाजिरी लगाते हैं। थानों के पक्ष और मुकदमें से संबंधित दस्तावेजों को निर्धारित समय के अंदर न्यायालय में प्रस्तुत करने की जिम्मेदारी कोर्ट पैरवी अधिकारी की होती है। गंभीर मामलों की मजबूत पैरवी करते हैं, ताकि दोषी को सजा मिल सके, कोर्ट पैरवी अधिकारी ऐसे पुलिस कर्मचारी को बनाया जाता है, जिसे आईपीसी और सीआरपीसी धाराओं की अच्छी जानकारी हो।
दूर हो सकती है इनकी समस्या
जानकारों की मानें तो अगर डीबीए (जिला बार एसोसिएशन) चाहे, तो इनकी समस्या दूर हो सकती है। न्याय मंदिर परिसर में इनके लिए अगर एक बैठक कक्ष बना दिया जाए, तो इन्हें बारिश, गर्मी, ठंड से राहत मिल सकेगी। न्यायालय परिसर की सुरक्षा व्यवस्था में तैनात किए गए पुलिसकर्मियों के भी हालात इनके जैसे ही हैं। इन्हें हर मौसम में तंबू में रहकर कार्य करना पड़ता है।
Created On :   8 Jun 2023 12:25 PM IST