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Nagpur News: एसटी की शिवशाही ने मंज़िल से पहले ही तोड़ दिया दम, वरुड से आ रही थी संतरानगरी

- यात्रियों का समय बर्बाद हुआ
- हर दिन 4 से 5 बसें इसी हाल में बिगड़ती हैं
Nagpur News। उपराजधानी की सड़कों पर एक बार फिर शिवशाही बस ने यात्रियों को बीच रास्ते में छोड़ दिया। वरुड से नागपुर आ रही बस (क्रमांक एमएच 06 बीडब्ल्यू 0813) गणेशपेठ डिपो पहुंचने से पहले ही गिट्टीखदान के पास 'हांफने' लगी और आखिरकार बंद हो गई। 43 यात्रियों से भरी बस के अचानक बंद हो जाने से सभी को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।
गर्मी, उमस और सड़क के बीच फंसे रहने की स्थिति ने यात्रियों का धैर्य तोड़ दिया। बस को दोबारा चालू करने की कोशिशें नाकाम रहीं। मैकेनिक की मेहनत और ड्राइवर के प्रयासों के बावजूद बस एक इंच भी आगे नहीं बढ़ पाई। करीब आधे घंटे की मशक्कत के बाद एसटी प्रशासन ने दूसरी बस भेजकर यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाया।
ऐसे में सवाल यह है कि यह नौबत बार-बार क्यों आती है? सूत्रों के अनुसार, नागपुर के एक डिपो से रोजाना 4 से 5 बसें खराब हो रही हैं। इसका मुख्य कारण है, रखरखाव में भारी लापरवाही। जानकार बताते हैं कि बसों की मरम्मत में घटिया और डुप्लिकेट पार्ट्स का इस्तेमाल हो रहा है। जिस बस में यह खराबी आई, उसे मरम्मत के बाद ही सड़क पर उतारा गया था, फिर भी वह मंज़िल तक नहीं पहुँची। यह न केवल एसटी प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है, बल्कि यात्रियों की सुरक्षा को भी खतरे में डालता है।
यात्रियों का गुस्सा भी वाजिब है। एक यात्री ने कहा कि हमने टिकट के पूरे पैसे दिए, लेकिन सड़क पर इंतजार करना पड़ा। यह रोज़ की कहानी बन चुकी है। वहीं, स्थानीय लोगों का कहना है कि गिट्टीखदान जैसे व्यस्त इलाके में बस खराब होने से ट्रैफिक जाम की स्थिति भी बन जाती है।
एसटी प्रशासन को इस समस्या का स्थायी समाधान निकालना होगा। बेहतर रखरखाव, गुणवत्तापूर्ण पार्ट्स और नियमित जांच से ही ऐसी घटनाओं पर रोक लग सकती है। फिलहाल यात्रियों को सिर्फ यही सलाह दी जा सकती है। एसटी बस में चढ़ने से पहले धैर्य का टिकट भी साथ रखें
आरटीओ की कार्यप्रणाली पर भी सवाल
- नियमानुसार यात्री बसों को आरटीओ द्वारा निर्धारित मानकों का पालन करना आवश्यक है, लेकिन एसटी बसों की हालत देखकर साफ लगता है कि नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
- बस स्टैंड से निकलने वाली आधे से ज्यादा बसें सामान्य निरीक्षण में भी अनफिट मानी जा सकती हैं।
- इसके बावजूद आरटीओ अधिकारियों की इन पर नज़र क्यों नहीं पड़ रही, यह बड़ा सवाल है।
- कई बार बसों की संख्या कम होने के कारण एसटी प्रशासन ओवरलोड यात्रियों को बैठाकर रवाना कर देता है, जो बड़े हादसों की आशंका बढ़ा देता है।
Created On :   12 Aug 2025 7:36 PM IST