आयोजन: गुरुद्वारा श्री गुरु हरगोबिंद साहिब जी में भाई हरभेज सिंह जी के जत्थे ने कीर्तन से संगत को किया निहाल - ताक ने भेंट किया सिरोपा

गुरुद्वारा श्री गुरु हरगोबिंद साहिब जी में भाई हरभेज सिंह जी के जत्थे ने कीर्तन से संगत को किया निहाल - ताक ने भेंट किया सिरोपा
  • गुरुद्वारा श्री गुरु हरगोबिंद साहिब जी में कीर्तन दरबार का आयोजन
  • अमृतसर के भाई हरभेज सिंह जी के जत्थे ने कीर्तन से संगत को निहाल किया
  • मुख्य सेवादार ताक ने भेंट किया सिरोपा

Nagpur News. शनिवार को उत्तर नागपुर स्थित दीपक नगर के गुरुद्वारा श्री गुरु हरगोबिंद साहिब जी में कीर्तन दरबार का भव्य आयोजन किया गया, जिसमें श्रद्धा और भक्ति का वातावरण देखते ही बना। इस अवसर पर अमृतसर से विशेष रूप से पधारे प्रसिद्ध रागी भाई हरभेज सिंह जी के जत्थे ने अपनी मधुर वाणी से गुरबाणी कीर्तन प्रस्तुत कर संगत को निहाल किया। उनकी रागमयी वाणी से पूरा दरबार साहिब “वाहेगुरु” के नाम से गूंज उठा। आयोजन के दौरान मुख्य रूप से तजिन्दर सिंह, अमरजीत सिंह मांगट, परविन्दर सिंह पालघोतरा, जगदीश सिंह सोंध, दीपा सिंह संधू, लखविन्दर सिंह मुलतानी मौजूद थे।


कार्यक्रम के उपरांत प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष सरदार रणजीत सिंह ताक ने भाई हरभेज सिंह जी और उनके जत्थे को सिरोपा (सम्मान स्वरूप पवित्र वस्त्र) भेंट कर सम्मानित किया। इस दौरान संगत ने उपस्थिति दर्ज की और गुरबाणी का अमृतरस पान किया।

कैसी रहती है गुरुद्वारा साहिब की दैनिक दिनचर्या — “प्रकाश से सुखासन तक”

सिख रहत मर्यादा के अनुसार गुरुद्वारा साहिब में प्रतिदिन की सेवा और दिनचर्या अत्यंत अनुशासित एवं भक्तिभाव से परिपूर्ण होती है।


प्रातःकाल (सुबह 4 बजे से)

सुबह लगभग 4 बजे गुरु ग्रंथ साहिब जी का प्रकाश किया जाता है। यह वह पवित्र क्षण होता है जब गुरु महाराज को उनके आसन पर विराजमान किया जाता है। तत्पश्चात “आसा की वार” का कीर्तन होता है, जिसमें प्रभातकालीन रागों के माध्यम से गुरु की महिमा का गायन किया जाता है। संगत इस समय विशेष रूप से उपस्थित रहती है और नितनेम के पाठ के साथ दिन की शुरुआत करती है।

दोपहर का समय

सुबह के बाद दोपहर में स्त्री सतसंग की ओर से सुखमनी साहिब पाठ और गुरु की सेवा चलती है। लंगर सेवा के लिए सेवादार सब्ज़ी काटने, रोटी बनाने की सेवा करते हैं। आने-जाने वाली संगत “सत्संग” और “सेवा” में भाग लेती है।


संध्याकाल (शाम के समय)

शाम को “रहरास साहिब” का पाठ किया जाता है, जो आत्मा को शांति प्रदान करता है। रहरास साहिब के बाद अरदास होती है, जिसमें सभी संगत मिलकर वाहेगुरु से सभी की भलाई और स्मृद्धि के लिए अरदास करती है। गुरु जी से सबका भला मांगा जाता है।

रात का समय (सुखासन)

दिनचर्या का अंतिम चरण है “सुखासन” — इसमें गुरु ग्रंथ साहिब जी को बड़े आदर से विश्राम के लिए सुखासन कमरे में ले जाया जाता है। इस समय वातावरण में शांति और समर्पण की भावना भर जाती है।

श्री गुरु हरगोबिंद साहिब जी में संगत सेवा, सिमरन के महत्व को भी आत्मसात कर रही है।

Created On :   9 Nov 2025 6:04 PM IST

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