- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- नागपुर
- /
- गडकरी का ज्ञानमंत्र नेता - अधिकारी...
Nagpur News: गडकरी का ज्ञानमंत्र नेता - अधिकारी अकेले काम नहीं कर सकते हैं, सहयोगियों से समन्वय जरूरी

- एनएडीटी के स्थापना दिन कार्यक्रम में बोले गडकरी
- सफलता के साथ मानवीय व्यवहार कायम रखने का आह्वान
- रावण को ज्ञान का अहंकार था, राम को अहंकार का ज्ञान था
- राजनीतिक रैली में नेताओं के भाषण में रुचि नहीं
Nagpur News. ज्ञान का अहंकार नहीं पालने का आह्वान करते हुए केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितीन गडकरी ने कहा है कि सफलता के साथ मानवीय व्यवहार कायम रखना जरूरी है। नेता और अधिकारी अकेले काम नहीं कर सकते हैं। सहयोगियों से समन्वय व संवाद जरूरी है। जिनका व्यवहार ठीक रहता है, उन्हें हर क्षेत्र में सम्मान मिलता है।
खुशी तब, जब आपकी सफलता से सहयोगी भी खुश हों
शनिवार को एनएडीटी अर्थात राष्ट्रीय प्रत्यक्ष कर अकादमी के स्थापना दिन समारोह में गडकरी बोल रहे थे। उन्होंने कहा-ज्ञान कितना भी हो, टीम से संवाद व समन्वय नहीं तो वह किसी काम का नहीं रह जाता है। अहंकार योग्य नहीं है। रावण को ज्ञान का अहंकार था, राम को अहंकार का ज्ञान था। सफलता मिलने पर खुश होना पर्याप्त नहीं है, खुशी तो तब होती है जब आपकी सफलता से आपके सहयोगी भी खुश हो। यह ठीक है कि कई बार कठोर निर्णय लेने होते हैं, लेकिन मानवीय व्यवहार को कोई न भूलें।
यह भी पढ़े -बंगलुरु के लिए दो नई उड़ानें, 1 दिसंबर से एयर इंडिया एक्स. विमान सेवा शुरू, उड़ानों की लेटलतीफी भी जारी
राजनीतिक रैली में नेताओं के भाषण में रुचि नहीं
गडकरी ने यह भी कहा कि मुफ्त में मिली चीज का महत्व नहीं रह जाता है। राजनीतिक दल की रैली में भीड़ आती है। बस में भर-भरकर लोग आते हैं। नि:शुल्क भोजन की व्यवस्था रहती है। लोगों को हमारे भाषण में रुचि नहीं रहती है, बस से वापस जाने की चिंता रहती है। संतरा उत्पादन की आधुनिक तकनीकी व इजराइल, स्पेन की उन्नत खेती की जानकारी देने के लिए एग्रोविजन के माध्यम से हम किसानों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाते है। उसमें रजिस्ट्रेशन के लिए 650 रुपये शुल्क लिया जाता है। मुफ्त प्रशिक्षण में किसान भी नहीं आते हैं।
जात-पात की बात नहीं
गडकरी ने कहा-मैं भी कई बार कठोर बात करता हूं। जात-पात नहीं मानता हूं। मैंने कहा था कि जो भी जात की बात करेगा उसे लात पड़ेगी। मेरी बात काफी चर्चा में थी। खुलकर कहना मेरा स्वभाव बन गया है। मैं नागपुरकर को अपना परिवार मानता हूं। चुनाव के समय जात की बात को लेकर पत्रकारों ने मराठा आंदोलन के नेतृत्वकर्ता मनोज जरांगे से सवाल किया गया तो उन्होंने मेरी बात पर प्रतिक्रिया नहीं दी।
Created On :   9 Nov 2025 7:12 PM IST












