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बैकफुट पर अधिकारी: माननीयों के बंगलों पर एक-एक करोड़ खर्च सीएम को मंजूर नहीं, 35 लाख से ज्यादा खर्च नहीं होंगे

- स्ट्रक्चरल ऑडिट पर फैसला
- नाग भवन के 4 कॉटेज की दुरुस्ती मुश्किल में
- 160 खोली परिसर से निकला कई टन कचरा
Nagpur News. मुख्यमंत्री फडणवीस ने ‘माननीयों’ के बंगलों पर होने वाले खर्च पर नकेल कसी है। उन्होंने बंगलों व कॉटेज की दुरुस्ती पर 35 लाख से ज्यादा खर्च नहीं करने की सख्त हिदायत पीडब्ल्यूडी अधिकारियों को दी। दैनिक भास्कर ने विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर, विधान परिषद सभापति प्रा. राम शिंदे व कृषि मंत्री दत्ता भरणे के बंगले पर एक-एक करोड़ से ज्यादा खर्च करने की खबर प्रमुखता से प्रकाशित की थी। गौरतलब है कि विधान परिषद सभापति प्रा. राम शिंदे व कृषि मंत्री दत्ता भरणे के बंगलों को चमकाने पर भी 1-1 करोड़ खर्च किया जाने वाला था। विधान सभा अध्यक्ष, विधान परिषद सभापति व कृषि मंत्री के बंगले की दुरुस्ती का काम भी शुरू हो चुका है। इन तीनों बंगलों का स्ट्रक्चरल आडिट हुआ था। रिपोर्ट में तीनों बंगलों की दुरुस्ती को जरूरी बताया था। तीनों बंगलों की छतों में दीमक लगी है। बंगलों की छतों को सुरक्षा के लिए खतरनाक बताया गया है। बंगले में सजावट के साथ ही नक्काशी काम भी प्रस्तावित था। 3 करोड़ 15 लाख (जीएसटी मिलाकर) में होनेवाले तीनों बंगलों के काम को अब 1 करोड़ 5 लाख में पूरा करना होगा।
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नाग भवन के 4 कॉटेज की दुरुस्ती मुश्किल में
रवि भवन के तीन बंगलों (9, 18 व 29) के साथ ही नाग भवन के काटेज नं. 4, 5, 6 व 7 का भी स्ट्रक्चरल ऑडिट हुआ था। नाग भवन के कॉटेजों में भी दीमक लगी है और इसे भी सुरक्षा के लिए खतरनाक बताया गया था। नाग भवन के कॉटेजों की दुरुस्ती पर भी करोड़ों खर्च करने की योजना थी। मुख्यमंत्री फडणवीस की हिदायत के बाद पीडब्ल्यूडी के अधिकारी बैकफुट पर आ गए हैं। नाग भवन के 4 कॉटेजों की छत बदलने व अन्य काम पर 52 लाख से ज्यादा खर्च नहीं होंगे। रंगरोगन, फर्निचर, विद्युत व दुरुस्ती कार्य पर कुल 20 लाख खर्च होंगे। इस तरह चारों कॉटेजों का सारा काम 72 लाख के अंदर हो जाएगा। एक सप्ताह पहले ही संबंधित एजेंसी को टेंडर मिल गए। शीत सत्र करीब है और अभी तक इन कॉटेजों की दुरुस्ती शुरू नहीं हुई है। शीत सत्र के पहले दुरुस्ती कार्य पूरा करना है।
160 खोली परिसर से निकला कई टन कचरा
शीत सत्र को देखते हुए सिविल लाइन्स स्थित 160 खोली परिसर में सफाई का काम जोर शोर से चल रहा है। कई एकड़ में फैले इस परिसर से अभी तक कई टन कचरा निकाला गया है। सीवेज का पानी सीधे नाले में जाने से रोकने के लिए सेप्टिक टैंक बनाने की योजना है। सेप्टिक टैंक, सीवेज ट्रीटमेंट फ्लांट (एसटीपी) आैर बायोडायजेस्टर ऐसे तीन विकल्पों पर विचार हुआ। 160 खोली परिसर में 196 बैरक और 4 इमारतों में 64 फ्लैट हैं। शीत सत्र के दौरान फ्लैट में अधिकारी व बैरक में तृतीय व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ठहरते हैं। इन बैरकों में 11 महीने शासकीय कर्मचारी रहते हैं आैर शीत सत्र के पहले इन्हें खाली कराया जाता है। सफाई के दौरान बैैरकों से भी काफी कचरा निकला। परिसर में झाड़ियां ही झाड़ियां हैं। यहां नियमित सफाई नहीं होती। घास-फूस व झाड़ियों को साफ किया गया। सफाई में कई टन कचरा निकला। सीवेज का पानी सीधे नाले में जाने से रोकने के लिए एसटीपी व बायोडायजेस्टर पर भी विचार हुआ। इसके लिए लंबा समय लगने के साथ ही यह ज्यादा खर्चीला है। फिलहाल सेप्टिक टैंक बनाया जाएगा। जगह तय की जा रही है। लोक कर्म विभाग के अधीक्षण अभियंता जनार्दन भानुसे ने सीवेज के पानी के लिए सेप्टिक टैंक बनाने के निर्देश दिए। इसके लिए जरूरी निधि की तुरंत व्यवस्था करने को कहा।
गरम पानी की व्यवस्था
शीत सत्र के दौरान यहां 800 से 1000 कर्मचारी रहते हैं। इनके लिए गरम पानी की व्यवस्था की जाती है। इसके लिए यहां गरम पानी का प्लांट लगा हुआ है। 28 नवंबर के बाद कर्मचारियों का यहां आना शुरू होगा आैर उसके बाद ही यह प्लांट शुरू होगा। इस प्लांट से हर बैरक में गरम पानी पहुंचता है। पीडब्ल्यूडी के शाखा अभियंता विशाल मराठे ने कहा कि परिसर की सफाई हो रही है। कर्मचारियों के लिए गरम पानी की व्यवस्था होगी।
Created On :   9 Nov 2025 7:26 PM IST












