Nagpur News: सिकलसेल की असहनीय पीड़ा लेकर ना जन्मे कोई, 59 महिलाओं ने कराया गर्भपात

सिकलसेल की असहनीय पीड़ा लेकर ना जन्मे कोई, 59 महिलाओं ने कराया गर्भपात
  • बीमारी मुक्त समाज का लक्ष्य
  • 59 महिलाओं ने कराया गर्भपात
  • गर्भस्थ शिशु पीड़ित हो तो गर्भपात की सलाह
  • 394 महिलाएं पीएनडी टेस्ट के लिए रेफर

Nagpur News. सिकलसेल असाध्य बीमारी है। सरकार ने 2047 तक देश को सिकलसेल मुक्त करने का लक्ष्य रखा है। इसलिए गर्भजल परीक्षण महत्वपूर्ण कड़ी है। इसके लिए संदिग्धों को जांच की सलाह दी जाती है। जांच के दौरान गर्भस्थ शिशु सिकलसेल ग्रस्त पाया गया तो महिला उसके पति व परिजनों का समुपदेशन किया जाता है। इसके बाद शिशु को जन्म न देकर गर्भपात की सलाह दी जाती है। 2012 से 2025 तक कुल 59 महिलाओं ने गर्भपात करवाकर सिकलसेल ग्रस्त बच्चों को जन्म नहीं देने का निर्णय लिया।

गर्भस्थ शिशु पीड़ित हो तो गर्भपात की सलाह

देश को सिकलसेल मुक्त करने के लिए सिकलसेल निर्मुलन मिशन शुरू किया गया है। अनुसूचित जनजातीय क्षेत्रों में 0 से 40 साल आयु वर्ग के 7 करोड़ लोगों की जांच का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। सिकलसेल असाध्य बीमारियों में से एक है। इसलिए गर्भस्थ शिशु सिकलसेल ग्रस्त हो तो गर्भपात की सलाह दी जाती है। शहर में डागा अस्पताल में सिकलसेल समुपदेशन केंद्र है। इस केंद्र के माध्यम से 2012 से लगातार सिकलसेल की रोकथाम के लिए काम किया जा रहा है। 2025 से सितंबर 2025 तक 696 गर्भवती महिलाओं का समुपदेशन किया गया। उनके साथ उनके पति भी शामिल थे।

394 महिलाएं पीएनडी टेस्ट के लिए रेफर

समुपदेशन के बाद इनमें से 394 महिलाओं को पीएनडी टेस्ट के लिए रेफर किया गया। पीएनडी टेस्ट यानि जन्मपूर्व निदान या गर्भजल परीक्षण है। इसमें गंभीर, जन्मजात, अनुवांशिक बीमारी व असामान्यता का पता चलता है। जांच के बाद गर्भस्थ शिशुओं में से 63 में सिकलसेल एसएस, 216 में सिकलसेल एएस और 115 में सिकलसेल एए होने की पुष्टि हुई। सिकलसेल के तीन प्रकारों में एए यानि सिकलसेल सामान्य व्यक्ति, एएस यानि सिकलसेल वाहक और एसएस यानि सिकलसेल पीड़ित होता है। इनमें से 59 महिलाओं ने एमटीपी यानि नियमानुसार चिकित्सकीय गर्भपात करवाया। इसे मेडिकल टर्मिनेशन प्रेग्नेंसी कहा जाता है।

इसी साल दो महिलाओं ने कराया गर्भपात

इसी साल अप्रैल से सितंबर 2025 तक 31 दंपत्तियों का समुपदेशन किया गया। इनमें से 30 को पीएनडी टेस्ट के लिए रेफर किया गया। जांच के बाद एसएस 4, एएस 16, एए 10 पाए गए। इनमें से 2 ने गर्भपात कराया। सिकलसेल रोकथाम के लिए डागा अस्पताल का केंद्र 2012 से काम कर रहा है। समुपदेशक संजीवनी सातपुते द्वारा संदिग्धों का समुपदेशन किया जाता है। ताकि भविष्य में सिकलसेल पीड़ित जन्म ना ले सके। यह बीमारी केवल गंभीर ही नहीं बल्कि जीवनभर असह्य दर्द से तड़पना पड़ता है। नियमित दवा और रक्त की आवश्यकता पड़ती है। इसलिए सरकार ने इस बीमारी को रोकने अभियान शुरू किया है।

Created On :   9 Nov 2025 7:34 PM IST

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