विदर्भ पर फोकस: जनाधार खो रही बसपा को शिवसेना और राकांपा की फूट से बंधी है उम्मीद

जनाधार खो रही बसपा को शिवसेना और राकांपा की फूट से बंधी है उम्मीद
  • विधानसभा क्षेत्र स्तर पर 50 हजार मतों का लक्ष्य
  • पार्टी का अब विदर्भ पर है फोकस

डिजिटल डेस्क, नागपुर, रघुनाथ लोधी। राज्य की राजनीति में पिछड़ रही बसपा को शिवसेना व राकांपा में विभाजन से नई उम्मीद बंधी है। माना जा रहा है कि राजनीतिक दलों व गठबंधनों में विभाजन का लाभ बसपा को मिल सकता है। विधानसभा क्षेत्र स्तर पर 50 हजार से अधिक मत पाकर बसपा काफी सफल हो सकती है। लिहाजा 50 हजार मतों के लक्ष्य के साथ संगठन कार्य किया जाएगा। दो दिन पहले मुंबई में बसपा की हुई बैठक में वरिष्ठ पदाधिकारियों ने रणनीति के संकेत दिए हैं। विशेषकर विदर्भ की कुछ विधानसभा सीटों पर अधिक ध्यान दिया जाएगा। पार्टी ने राज्य में लोकसभा की कम से कम 7 और विधानसभा की 25 सीट जीतने का लक्ष्य रखा है। यह भी निर्णय लिया गया है कि बसपा अपने बल पर चुनाव लड़ेगी या फिर स्थानीय व राज्य स्तरीय संगठनाें के साथ गठबंधन करेगी। पार्टी प्रमुख मायावती ने कुछ समय पहले महाराष्ट्र मामले पर कुछ पदाधिकारियों के साथ लखनऊ में चर्चा बैठक की। उसके बाद चयनित सीटों पर चुनावी रणनीति पर जोर देने को कहा गया है।

बदली कमान

चुनाव तैयारी को देखते हुए प्रदेश स्तर पर कुछ नेतृत्व बदले गए हैं। प्रदेश प्रभारी रामजी गौतम, भीम राजभर व मनीष अानंद के स्थान पर अशोक सिद्धार्थ व नितीन सिंह को प्रदेश प्रभारी नियुक्त किया गया है। अशोक सिद्धार्थ पहले भी संगठन कार्य की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। दावा किया जा रहा है कि जिला स्तर पर संगठन का जल्द पुनर्गठन होगा।

रहा है प्रभाव

2019 के लोकसभा व विधानसभा चुनाव को छोड़ दिया जाए तो 2004 के बाद विविध चुनावों में नागपुर व विदर्भ में बसपा प्रभाव दिखाती रही है। 2014 में राज्य में भाजपा के नेतृत्व की सरकार आने के बाद भी बसपा विविध स्थानों पर प्रभाव दिखा गई। नागपुर जिले में 2 सीटों पर वह दूसरे स्थान पर रही। इसके अलावा भंडारा, हिंगणघाट में भी उसने दूसरा स्थान पाया था। 2014 के विधानसभा चुनाव में बसपा ने उत्तर नागपुर में 55187 मत पाए थे। उस चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार नितीन राऊत मंत्री रहते हुए पराजित हुए थे। उमरेड विधानसभा क्षेत्र में बसपा उम्मीदवार वृक्षदास बंसोड ने 34077 मत पाए। बसपा दूसरे स्थान पर रहने से उस क्षेत्र में कांग्रेस उम्मीदवार पराजित हुए थे। दक्षिण पश्चिम नागपुर में बसपा उम्मीदवार राजेंद्र पडोले 16540, दक्षिण में सत्यभामा लाेखंडे 23,150, पूर्व में दिलीप रंगारी 12164, मध्य में ओंकार अंजीकर 5535, पश्चिम नागपुर में अहमद काद 14223 मत पाकर तीसरे स्थान पर रहे। सावनेर में भी बसपा उम्मीदवार तीसरे स्थान पर थे।


लोकसभा में पिछड़ी

2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा पिछड़ गई। अधिकतर उम्मीदवारों की जमानत नहीं बचा पायी। 2014 के लोकसभा चुनाव में नागपुर में बसपा को 96433 मत मिले थे। 2019 में 31 हजार मतों तक की सिमट गई। अन्य लोकसभा क्षेत्रों में भी बसपा को कम मत मिले।

लक्ष्य पर ध्यान

उत्तम शेवडे, प्रदेश मीडिया प्रभारी के मुताबिक बसपा ने चुनावी लक्ष्य निर्धारित किया है। उसी पर ध्यान दिया जा रहा है। सर्वसमाज का समर्थन पाने की रणनीति पर काम किया जा रहा है। यह सही है कि 2019 के चुनाव में पार्टी को अपेक्षित समर्थन नहीं मिला। लेकिन इस बार परिणाम निश्चित ही चौंकानेवाला रहेगा।


Created On :   14 Sept 2023 6:34 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story