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Nagpur News: स्वास्थ्य योजना में शामिल नहीं गरीबों की मुस्कान, नहीं करवा पाते महंगा उपचार

- 4500 मरीज नहीं करवा पाते महंगा उपचार
- 75% मरीज ही पूरा ट्रीटमेंट कराते हैं
- 1500 रुट कैनाल हर महीने औसतन
Nagpur News. दांतों का दर्द, दिमाग को हिलाकर रख देता है। रातों की नींद, दिन का चैन सब खत्म हो जाता है। कान, आंख सब दर्द करने लगता है। इस दर्द को खत्म करने पहले तो दांतों की सफाई और बाद में रुट कैनाल यह दो सामन्य प्रक्रिया करनी पड़ती है। इससे दर्द से राहत मिलती है। यह दांतों का पूरा उपचार नहीं है। इसके बाद दांतों की खूबसूरती वापस लाने अलग-अलग उपचार करने होते हैं। रुट कैनाल तक सरकारी अस्पतालों में मुफ्त में होता है। इसके बाद के उपचार मुफ्त में नहीं हो सकते। इसलिए कि यह सारे उपचार महंगे होते हैं और यह किसी भी स्वास्थ्य योजना अंतर्गत नहीं किये जा सकते। क्योंकि सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने दांतों के उपचार को स्वास्थ्य योजनाओं में शामिल नहीं किया है। परिणामस्वरूप नागपुर के शासकीय दंत चिकित्सालय में सालाना 18000 मरीज रुट कैनाल ट्रीटमेंट करवाते हैं। इसके बाद की प्रक्रिया महंगी होने से सालाना 25 फीसदी यानी 4500 मरीज दांतों का पूरा ट्रीटमेंट नहीं करा पाते।
हजारों गरीब उपचार से वंचित
राज्य सरकार की महात्मा फुले जन आरोग्य योजना (एमपीजेएवाई) गरीब और वंचितों के लिए जीवनरक्षक साबित हो रही है। लेकिन इस योजना में दंत चिकित्सा शामिल नहीं है। इसका सीधा असर उन हजारों गरीब मरीजों पर पड़ रहा है, जो दूरदराज से नागपुर स्थित शासकीय दंत चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल (जीडीसीएच) में इलाज के लिए पहुंचते हैं। यहां हर महीने औसत 1500 और सालाना 18000 मरीज रुट कैनाल का ट्रीटमेंट करवाते हैं। इनमें से 75 फीसदी यानी 13500 मरीज पूरा ट्रीटमेंट करवाते हैं। जो गरीब, निर्धन है ऐसे 4500 मरीज ट्रीटमंेट पूरा नहीं करवाते।
कैप, ब्रिज, फुल आर्च सब महंगे
दांतों का रुट कैनाल करने के बाद अगले चरण में आवश्यकतानुसार कैप, ब्रिज, फुल आर्च, इम्प्लांट्स आदि लगाने की प्रक्रिया पूरी करनी पड़ती है। लेकिन उपचार के लिए जरूरी सभी सामग्री महंगी होने से गरीबों के लिए इस प्रक्रिया से गुजरना मुश्किल होता है। कैप, ब्रिज, फुल आर्च, इम्प्लांट्स आदि पुननिर्माण सामग्री (प्रोस्थेसिस) निजी डेंटल लैब से तैयार कर मंगानी पड़ती है। सूत्रों ने बताया कि कैंसर होने पर या दुर्घटना में फ्रैक्चर होने पर ही योजना का लाभ मिलता है। दांतों का नि:शुल्क उपचार तभी हो सकता है, जब मरीज दुर्घटनाग्रस्त होकर किसी हॉस्पिटल में भर्ती हो। तभी उसे लाभार्थी माना जा सकता है।
Created On :   20 July 2025 6:58 PM IST