Nagpur News: मनपा चुनाव की तैयारी - बहुजनवादी संगठनों में तालमेल का प्रयास, सक्षम उम्मीदवार की तलाश

मनपा चुनाव की तैयारी - बहुजनवादी संगठनों में तालमेल का प्रयास, सक्षम उम्मीदवार की तलाश
  • बसपा का लक्ष्य सीमित, बहुजनवादी संगठनों में तालमेल का प्रयास
  • विधानसभा व लोकसभा के दो चुनाव
  • मनपा चुनाव की तैयारी हो रही शुरु

Nagpur News. मनपा चुनाव की पूर्व तैयारी के तहत विविध राजनीतिक दलों में बैठकों का दौर आरंभ हो गया है। लेकिन चुनाव कार्यक्रम घोषित नहीं होने से कई तरह की रणनीतिक अड़चनें सामने आ रही है। विशेषकर छोटे समझे जानेवाले दलों व स्थानीय स्तर के पैनल्स रणनीति तैयार नहीं कर पा रहे हैं। प्रभाग गठन व मतदाता संख्या को लेकर छोटे दलों में असमंजस है। कोई भी रणनीतिक फार्मूला तय नहीं हो पा रहा है। छोटे व स्थानीय समझे जानेवाले संगठनों में बहुजनवादी संगठनों की संख्या अधिक है। ये संगठन तालमेल के लिए प्रयास कर रहे हैं। प्रत्येक प्रभाग में ऐसे इच्छुक उम्मीदवार की तलाश की जा रही है जो निर्दलीय चुनाव जीतने की क्षमता रखता हो। इच्छुक उम्मीदवार का सामाजिक जनाधार भी देखा जा रहा है।

वंचित कर रही विधानसभा क्षेत्र स्तर पर समीक्षा

प्रकाश आंबेडकर के नेतृत्व की बहुजन वंचित आघाडी ने विधानसभा क्षेत्र स्तर पर संगठन कार्य की समीक्षा आरंभ की है। शनिवार व रविवार को मध्य व दक्षिण नागपुर में समीक्षा बैठक हुई। सोमवार को पूर्व, मंगलवार को दक्षिण पश्चिम व बुधवार को उत्तर नागपुर में संगठन कार्य की समीक्षा होगी। आघाडी के शहर कार्याध्यक्ष सिद्धांत पाटील ने कहा है कि संगठन का विस्तार किया जा रहा है। मनपा के सभी 10 जोन में नए कार्यकर्ताओं को संगठन से जोड़ा जा रहा है। महिला आघाडी का भी विस्तार किया जा रहा है। प्रभाग में इच्छुक उम्मीदवार का डेटा भी तैयार किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि अब तक मनपा में बहुजन वंचित आघाडी का नगरसेवक नहीं रहा है।

बसपा का लक्ष्य सीमित

2017 के चुनाव में बसपा के 10 उम्मीदवार जीते थे। उससे पहले भी बसपा के 8 से 12 उम्मीदवार जीते। बसपा ने मनपा में लगातार तीसरी बड़ी पार्टी का स्थान बनाए रखा है। ऐसे में वह इस बार भी अकेले बल पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। लेकिन उसका लक्ष्य सीमित है। 45 सीटों को बसपा ने लड़ने के लिए चिन्हित किया है। उसमें भी 10 से 15 सीट पर वह अधिक ध्यान देगी। उधर गुटों में बंटी रिपब्लिकन पार्टी की उम्मीदें भी कायम है। मनपा चुनाव में जीत के मामले में भले ही बसपा ने आरपीआई को पछाड़ दिया है। लेकिन आरपीआई का जनाधार कायम है। शहर में बसपा विधानसभा चुनाव नहीं जीत पायी। आरपीआई को विधानसभा सदस्य रहा है। 2007 में आरपीआई एकता से 13 नगरसेवक व 2 मनोनित नगरसेवक चुने गए थे। तब 1 सदस्य की वार्ड पद्धति थी। आरपीआई को भाजपा का रणनीतिक सहयोग भी मिला था। इस बार भी बहुजनवादी संगठनों के मतों के विभाजन की रणनीति का लाभ आरपीआई के कुछ नेताओं को मिलने की उम्मीद है। पिछले दिनों रिपब्लिकन फेडरेशन बना। मनपा चुनाव के लिए विविध संगठनों को एकत्र करने का संकल्प लिया गया।

विधानसभा व लोकसभा के दो चुनाव

2017 के बाद विधानसभा व लोकसभा के दो चुनाव हो चुके हैं। इन चुनावों में जमीनी स्तर पर कार्य करनेवाले कार्यकर्ताओं की मनपा चुनाव लड़ने की पूर्व तैयारी हुई है। उनका जनसंपर्क बढ़ा है। प्रत्येक प्रभाग में औसतन 10 हजार से 15 हजार मतदाता संख्या बढ़ी है। ऐसे में भाजपा व कांग्रेस के नेताआें से अच्छे संबंध रखनेवाले बहुजनवादी युवा नेताओं को मनपा चुनाव के लिए उम्मीदवारी के मामले में उचित माना जा रहा है। आरपीआई नेता दिनेश अंडरसहारे ने कहा है कि चुनाव कार्यक्रम घोषित होने के साथ ही चुनाव रणनीति देखने लगेगी।

Created On :   20 July 2025 9:31 PM IST

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