कहीं खुशी कहीं गम: जंगल सफारी हुई सस्ती, लेकिन - 10 महीने से सूर्या-द बॉस है गायब, कहां है वो

जंगल सफारी हुई सस्ती, लेकिन - 10 महीने से सूर्या-द बॉस है गायब, कहां है वो
  • कैमरा साथ ले जाने पर अब नहीं लगेंगे पैसे
  • अधिकारी ने कहा बाघ नहीं दिखने का मतलब गायब होना नहीं है
  • पलायन का शक

डिजिटल डेस्क, नागपुर। जंगल घूमने के शौकीनों के लिए खुशखबर है। वन विभाग ने जंगल सफारी सस्ती कर दी है। यही नहीं, अब सफारी के दौरान कैमरा लेकर जाना भी फ्री रहेगा। पहले इसके पैसे लगते थे। जिले में पेंच व्याघ्र प्रकल्प, उमरेड करांडला, बोर व्याघ्र प्रकल्प आदि जंगल सफारी हैं। जहां प्रति दिन लाखों की संख्या में पर्यटक देश भर से आते -जाते रहते हैं। यह सफारी विदेशियों के लिए भी आकर्षण का केन्द्र है, क्योंकि बाघ, तेंदुए, भालू आदि वन्यजीवों का दीदार आसानी से हो जाता है, लेकिन अभी तक सफारी थोड़ी महंगी थी। जिप्सी के ढाई हजार के अलावा गाइड के 475 रुपये देने के बाद भी फॉरेस्ट गेट एन्ट्री के शनिवार व रविवार को 2 हजार रुपए देने पड़ते थे। वही बाकी दिनों में 1500 रुपए देने पड़ते थे। अब वन विभाग ने फॉरेस्ट एन्ट्री सस्ती कर दी है। शनिवार व रविवार को 2 हजार के बजाय 1350 रुपए ही लगेंगे। बाकी दिनों में 1500 की जगह पर 850 रुपए ही देने पड़ेगे। हालांकि जिप्सी व गाइड के शुल्क में कोई कटौती नहीं की गई है।

इस तरह था शुल्क

जंगल सफारी के दौरान अभी तक छोटे कैमरे के लिए 200 और बड़े कैमरों के लिए 400 रुपये देने पड़ते थे। वन विभाग ने अब इसे नि:शुल्क कर दिया है। यानी अब कोई भी पर्यटक कैमरा लाकर सफर की यादों को कैद कर अपने साथ लेकर जा सकता है।

बढ़ेंगे सैलानी

डॉ. प्रभुनाथ शुक्ला, क्षेत्र संचालक, वन विभाग (वाइल्ड लाइफ) के मुताबिक सफारी में अभी तक जो शुल्क लगते थे, उसमें कुछ राशि कम की है। वहीं कैमरा लेकर जाने के लिए भी सैलानियों को पैसे नहीं लगेंगे।

जय जैसी कहानी की पुनरावृत्ति की आशंका

कुछ वर्ष पहले नागपुर के करांडला से जय नामक बाघ गायब हो गया था। आज तक उसका पता नहीं चल पाया। अब करांडला में सूर्या नामक बाघ भी 10 महीनों से नहीं दिखाई दे रहा है। पूरे विदर्भ के जंगलों की वन विभाग ने खाक छान ली, लेकिन सूर्या कहीं नहीं दिखा। अधिकारियों की मानें तो इस बाघ को 10 महीने पहले आखिरी बार करांडला में देखा गया था।

पलायन का शक

वर्तमान स्थिति में करांडला में नए बाघ आए हैं, जिसमें पवनी का एन-4 व सिंदेवाही का जी-मार्क नामक बाघ शामिल है। जानकारों की मानें तो नए बाघों की ताकत भारी पड़ने के कारण सूर्या नए क्षेत्र की तलाश में यहां से पलायन कर सकता है। वर्तमान में सूर्या आखिर कहां है, इस बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं है।

लंबे समय से एकछत्र राज

नागपुर जिले का उमरेड करांडला का दायरा बहुत बड़ा नहीं है, लेकिन यहां क्षेत्र के अनुसार बाघों की भरमार है। इसका मुख्य कारण यहां की तीन बाघिन हैं। गणना के अनुसार यहां 8 बाघों की मौजूदगी है, लेकिन वर्तमान स्थिति में यहां 15 बाघ, बाघिन व शावक नजर आते हैं। इसमें करांडला व गोठनगांव में 9 से 10 व पवनी में 6 से 7 बाघ हैं। अब तक यहां का सबसे आकर्षक बाघ सूर्या था, जिसे ऑफिशियली टी-9 नाम दिया गया था। लंबे समय से यह बाघ यहां राज करता रहा।

ताड़ोबा से आया था

जानकारों के अनुसार, सूर्या द बॉस ने करांडला में 3 साल से ज्यादा समय तक राज किया। ताड़ोबा की माया बाघिन उसकी मां है। बीच में क्षेत्र के लिए कुछ बाघों से उसकी भिड़ंत भी हुई थी।

नहीं दिखने का मतलब गायब होना नहीं

डॉ. प्रभुनाथ शुक्ला, क्षेत्र संचालक, पेंच व्याघ्र प्रकल्प के मुताबिक यह बाघ लंबे समय से नहीं देखा गया है, लेकिन इसका मतलब उसका गायब होना नहीं है। बाघ मीलों तक चलते हैं, यह इनका स्वभाव होता है। ऐसे में उसके विदर्भ या इससे बाहर निकलने की संभावना है। हर ओर कैमरा ट्रैप नहीं लगे रहने से यह कैमरों की नजर से भी बचा रह सकता है।




Created On :   19 May 2024 5:42 PM IST

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story