मेडिकल का कैंसर रोग विभाग उपेक्षित

मेडिकल का कैंसर रोग विभाग उपेक्षित
  • नया कैंसर इंस्टीट्यूट बनने में लगेंगे दो साल
  • चलन से बाहर हो चुकी कोबाल्ट मशीन का किया जा रहा उपयोग

डिजिटल डेस्क, नागपुर. 11 साल से उलझा शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल (मेडिकल) के कैंसर इंस्टीट्यूट के निर्माण की प्रारंभिक प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। 2025 में यह बनकर तैयार होने की उम्मीद है। फिलहाल मेडिकल का वर्तमान कैंसर रोग विभाग उपेक्षा का शिकार है। इस कारण मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। यहां मशीन खराब होने से गर्भाशय के कैंसर की जांच नहीं की जा रही, वहीं कोबाल्ट मशीन कालबाह्य होने से रेडिएशन थेरेपी नहीं हो पा रही है। यहां हर साल कैंसर के 2300 से अधिक नए मरीजों का पंजीयन होता है।

बंद है ब्रेकीथेरेपी मशीन : प्राप्त जानकारी के अनुसार मेडिकल में पूरे विदर्भ से मरीज जांच व उपचार के लिए आते हैं। विभाग की ओपीडी में हर रोज औसत 100 मरीज आते हैं, लेकिन कैंसर के मरीजों को जरूरी सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। सूत्रों ने बताया कि विभाग में ऑन्कोलॉजी फिजिशियन, ऑन्कोलॉजी पीडियाट्रिक, ऑन्कोलॉजी हेमेटोलॉजिस्ट नहीं हैं। 2021 से यहां की ब्रेकीथेरेपी मशीन बंद है, तबसे यहां गर्भाशय के कैंसर की जांच नहीं हो रही। रेडिएशन थेरेपी के लिए कालबाह्य कोबाल्ट मशीन का उपयोग किया जा रहा है, जबकि वर्तमान में अन्य स्थानों पर इस मशीन का उपयोग करना बंद हो चुका है। जांच के लिए जरुरी आईएचसी और पेट स्कैन जैसी आधुनिक जांच नहीं की जा रही है। इस कारण कई बार मरीजों को बाहर से जरूरी जांच करवानी पड़ती है। सरकारी अस्पताल में सुविधाएं नहीं होने से गरीब मरीजों को बाहर बड़ी राशि खर्च करनी पड़ती है। पिछले कुछ सालों में कैंसर विभाग धीरे-धीरे दम तोड़ रहा है, जबकि नया कैंसर इंस्टीट्यूट बनने में और दो साल लगेंगे। उस समय यहां नई सुविधाएं मिलेंगी। ऐसे में गरीब कैंसर रोगी अपने उपचार के लिए कहां जाएं, यह सवाल पेशंेट राइट्स फोरम ने उठाया है।

11 साल पहले 2012 में प्रस्तावित कैंसर इंस्टीट्यूट का निर्माण जल्द ही शुरू होने वाला है। वर्षों से उलझे कैंसर इंस्टीट्यूट निर्माण की कागजी प्रक्रिया अब अंतिम चरण में है। इसके सारे पंेच सुलझ गए हैं। सरकार की तरफ से इसके निर्माण के लिए 20 करोड़ रुपए शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल (मेडिकल) को दिए गए। मेडिकल ने यह राशि एनएमआरडीए को सौंप दी है। एनएमआरडीए ने निर्माण के लिए दस्तावेज प्रक्रिया पूरी कर दी है। टेंडर प्रक्रिया के दौरान 55 करोड़ रुपए की निविदाएं प्राप्त हुई हैं। प्राधिकरण मुख्यालय की मंजूरी के बाद प्राप्त निविदाओं के आधार पर वर्क ऑर्डर निकाला जाएगा। इसके बाद निर्माण शुरु होगा।

इंस्टीट्यूट में यह होगी सुविधा : 2019 में 76.10 करोड़ रुपए की मंजूरी के साथ इस योजना के निर्माण में फिर से हलचल शुरू हुई, लेकिन निधि के अभाव में इसका निर्माण शुरू नहीं हो पाया। बीते अप्रैल महीने में इसके निर्माण के लिए पहली किस्त के रूप में 20 करोड़ रुपए मिले हैं। सब कुछ ठीक रहा, तो डेढ़ साल में यानी मार्च 2025 तक कैंसर इंस्टीट्यूट बनकर तैयार होने का अनुमान व्यक्त किया जा रहा है। कैंसर इंस्टीट्यूट के लिए 3 मंजिला इमारत तैयार करने का प्रस्ताव है, जिसमें 4 वार्ड, दो ऑपरेशन थिएटर और 3 आईसीयू होंगे, साथ ही 3 कोबाल्ट मशीन और एक लिनियर एक्सलरेटर मशीन की सुविधा होगी। यहां विद्यार्थियों के लिए कैंसर रोग से संबंधित पाठ्यक्रम शिक्षा की सुविधा होगी।


Created On :   2 Sept 2023 10:50 AM IST

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