Nagpur News: 188 वर्ष पुराने विवादित बरगद के पेड़ का प्रत्यारोपण शुरू

188 वर्ष पुराने विवादित बरगद के पेड़ का प्रत्यारोपण शुरू
  • स्थानीय नागरिकों का बड़ा दावा
  • महज 35-40 वर्ष पुराना है तांडापेठ का बरगद

Nagpur News तांडापेठ स्थित विवादित बरगद के पेड़ को लेकर पिछले कई महीने से जारी चर्चा आखिरकार समाप्त हो गई। लंबे समय से इस 188 वर्ष पुराने वृक्ष को लेकर कोर्ट में याचिका चल रही थी। मंगलवार को मनपा द्वारा इस पेड़ के प्रत्यारोपण का काम शुरू हुआ। इसे गोरेवाड़ा क्षेत्र में शिफ्ट किया जा रहा है। मंगलवार शाम तक इसकी टहनियां काटी गई। शुक्रवार तक इस पेड़ को सावधानीपूर्वक जड़ सहित उखाड़ कर बड़े ट्रॉलर के माध्यम से गोरेवाड़ा में स्थानांतरित किया जाएगा। ऐसी जानकारी मनपा के अधिकारी ने दी।

हाईकोर्ट की सशर्त अनुमति : पांचपावली स्थित ई-लाइब्रेरी परिसर के विस्तार के लिए पेड़ को हटाना आवश्यक था, जिस पर मामला कोर्ट तक पहुंचा। सुनवाई में अदालत ने मनपा को सशर्त अनुमति देते हुए प्रत्यारोपण की इजाज़त दी। आदेश के अनुसार मनपा को अगले 5 वर्ष तक पेड़ की नियमित देखभाल करनी होगी। देखभाल की साप्ताहिक रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत करनी होगी।

मनपा ने रखी बात : मनपा द्वारा बताया गया कि ई-लाइब्रेरी निर्माण के लिए क्षेत्र खाली करना आवश्यक है, लेकिन पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए पेड़ को काटने के बजाय सुरक्षित प्रत्यारोपण का विकल्प अपनाया गया। पेड़ की उम्र को लेकर क्षेत्र के वरिष्ठ नागरिकों ने खुलकर अपनी बात रखी। दावों के बीच स्थानीय नागरिक बार-बार यह कहते रहे कि यह पेड़ हेरिटेज नहीं, बल्कि केवल 35 से 40 वर्ष पुराना है।

स्थानीय लोगों ने बताया बचपन में इसी जगह पर खेलते थे : मैं 51 वर्ष का हूं। इस जगह पर पहले स्कूल हुआ करता था। हम बचपन में यहीं खेलते थे, तब यह पेड़ बिल्कुल नहीं था। स्कूल टूटने के बाद जब जंगल जैसी झाड़ियां उगीं, तभी यह पेड़ भी उगा। 188 साल पुराना बताना पूरी तरह गलत है। यह 35-40 वर्ष से ज्यादा नहीं हो सकता। -राजेश भीसेकर

मेरे सामने छोटा सा था पेड़ : मेरी शादी को 25 साल हो गए हैं। जब मैं यहां आई थी, तब यह पेड़ छोटा सा था। अब इसकी उम्र 30-35 वर्ष से ज्यादा नहीं होगी। - संगीता भीसेकर

अपने आप उग आया पेड़ : मैं 60 वर्षों से यहां रह रहा हूं। जब यहां स्कूल था, तब यह पेड़ नहीं था। बाद में अपने आप उग आया। इसकी उम्र 40 वर्ष से ज्यादा मानना गलत है। -दिलीप पराते

पर्यावरणप्रेमी हैं, इसलिए प्रत्यारोपण : हम पर्यावरण प्रेमी हैं, इसलिए पेड़ को काटने की बजाय सुरक्षित प्रत्यारोपण करा रहे हैं। यहां पर पहले स्कूल हुआ करता था, जिसके टूटने के बाद यह पेड़ उग आया होगा। पेड़ की उम्र गलत बताई जा रही थी। क्षेत्र में शिक्षा का विकास हो, इसलिए ई-लाइब्रेरी का यह कदम आवश्यक था। - राजेश हाथीबेड, समाजसेवक


Created On :   19 Nov 2025 1:11 PM IST

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