Nagpur News: स्थानीय निकाय चुनाव , वीवीपैट लगाना संभव नहीं : आयोग

स्थानीय निकाय चुनाव , वीवीपैट लगाना संभव नहीं : आयोग
राज्य चुनाव आयोग का हाईकोर्ट में स्पष्टीकरण

Nagpur News राज्य में आगामी ग्राम पंचायत, नगर पालिका और जिला परिषद चुनावों में वीवीपैट के साथ ईवीएम लगाने की मांग को राज्य चुनाव आयोग ने सिरे से खारिज कर दिया है। बॉम्बे हाईकोर्ट नागपुर खंडपीठ में दाखिल अपने जवाबी हलफनामे में आयोग ने स्पष्ट किया है कि स्थानीय निकायों के किसी भी कानून में ईवीएम के साथ वोटर वैरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) इस्तेमाल करने का कोई प्रावधान ही नहीं है। तकनीकी रूप से यह अभी संभव नहीं है और इतने कम समय में इसे लागू करना नामुमकिन है।

गुडधे पाटील की याचिका

कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव प्रफुल्ल गुडधे पाटील ने यह याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता ने अदालत से आग्रह किया है कि आयोग को निर्देश दिया जाए कि या तो बैलेट पेपर से चुनाव कराए जाएं या फिर हर ईवीएम के साथ वीवीपैट अनिवार्य की जाए। याचिका पर मंगलवार को न्यायमूर्ति अनिल किलोर और न्यायमूर्ति रजनीश व्यास की पीठ के सामने सुनवाई हुई।

चुनाव आयोग का तर्क

इस दौरान राज्य चुनाव आयोग के उप सचिव के. सूर्यकृष्णमूर्ति की ओर से हलफनामा दाखिल किया गया। हलफनामे में बताया गया कि लोकसभा-विधानसभा में सिंगल पोस्ट ईवीएम चलती है, लेकिन महाराष्ट्र के ज्यादातर स्थानीय निकायों में एक ही वार्ड से दो से चार सदस्य चुने जाते हैं। इसके लिए मल्टी पोस्ट ईवीएम चाहिए, जिसके साथ अभी तक वीवीपैट का कोई मंजूर डिजाइन नहीं बना है। भारत चुनाव आयोग ने भी ऐसी कोई मशीन नहीं बनाई है। आयोग ने याद दिलाया कि 2017 में नांदेड़-वाघाला मनपा चुनाव में सिर्फ 31 बूथों पर वीवीपैट का पायलट प्रोजेक्ट किया गया था, वह भी असफल रहा और कई तकनीकी परेशानियां आई थीं। अभी राज्य चुनाव आयोग के पास एक भी ऐसी वीवीपैट नहीं है जो स्थानीय निकाय चुनाव में लगाई जा सके।

सुप्रीम कोर्ट ने 16 सितंबर 2025 के आदेश में साफ कहा है कि महाराष्ट्र के सारे स्थानीय निकाय चुनाव 31 जनवरी 2026 तक पूरे करने हैं। इतने कम समय में न लाखों वीवीपैट बन सकती हैं और न ही बैलेट पेपर के लिए लाखों बैलेट बॉक्स तैयार हो सकते हैं। इसलिए याचिकाकर्ता द्वारा मांगा गया निर्देश न व्यवहार्य है और न ही लागू करने योग्य है। वीवीपैट के बिना ईवीएम से चुनाव कराना पूरी तरह वैधानिक और व्यावहारिक फैसला है। हलफनामे में यह भी कहा गया कि याचिकाकर्ता के पास कोई ठोस सबूत नहीं है, सिर्फ डर और शक है। पहले भी 2017 में ठीक ऐसी ही याचिका हाईकोर्ट ने खारिज कर दी थी। चुनाव आयोग ने कोर्ट से अपील की है कि याचिका शुरू में ही खारिज की जाए। अब इस मामले में बुधवार 19 नवंबर को अगली सुनवाई होगी। याचिकाकर्ता की ओर से एड. निहालसिंग राठोड और एड. पवन डाहाट ने पैरवी की, जबकि राज्य चुनाव आयोग की ओर से एड. अमित कुकडे ने पक्ष रखा।

Created On :   19 Nov 2025 11:46 AM IST

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