Nagpur News: पेंच के जंगल से बप्पा का अनोखा आगमन, गोबर की मूर्तियों में झलका पर्यावरण प्रेम

पेंच के जंगल से बप्पा का अनोखा आगमन, गोबर की मूर्तियों में झलका पर्यावरण प्रेम
  • जंगल से रोजगार तक का सफर
  • गणेश उत्सव के बाद दीयों की रौनक

Nagpur News. इस बार गणेश चतुर्थी पर बप्पा का आगमन कुछ खास है। शहर में भगवान गणेश की ऐसी मूर्तियाँ पहुंची हैं, जो पूरी तरह गोबर से बनी हुई हैं। पेंच व्याघ्र प्रकल्प के जंगलों से आई ये पर्यावरण-हितैषी मूर्तियाँ न केवल आस्था का प्रतीक हैं, बल्कि ग्रामीण महिलाओं के सशक्तिकरण और पर्यावरण संरक्षण की एक अनूठी मिसाल भी बन रही हैं।

महिला बचत गट की पहल

पेंच व्याघ्र प्रकल्प, जिसे नागपुर का हरा-भरा गहना कहा जाता है, अब एक नई सामाजिक क्रांति का केंद्र बना है। यहाँ के आसपास बसे 50 गाँवों की महिलाएं 'पेंच महिला बचत गट' के बैनर तले गोबर से गणेश मूर्तियाँ तैयार कर रही हैं। खेती और जंगल पर आश्रित इन महिलाओं को अब इस पहल से स्थायी रोजगार का अवसर मिला है।

ढाई हजार मूर्तियों का ऑर्डर

इस बार इन महिलाओं को ढाई हजार गणेश मूर्तियों का ऑर्डर प्राप्त हुआ है। बाजार में जहां मिट्टी की एक से डेढ़ फीट की मूर्तियां 2500 रुपये से कम में नहीं मिलतीं, वहीं गोबर से बनी एक फीट की मूर्तियाँ मात्र 500 रुपये में उपलब्ध हैं। नागपुर में भी इनकी कीमत 1000 रुपये से कम ही रहती है। कम कीमत, सुंदरता और पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता—इन मूर्तियों में तीनों खूबियाँ एक साथ मिलती हैं।

जंगल से रोजगार तक का सफर

पहले गाँववाले खेती के साथ लकड़ी काटने और मवेशी चराने जैसे कार्यों पर निर्भर थे, जिससे मानव-वन्यजीव संघर्ष की स्थिति बनती थी। लेकिन वन विभाग की पहल और नागपुर प्रशासन के सहयोग से अब ये महिलाएँ गोबर से मूर्तियाँ और अन्य उत्पाद बनाकर जीविका चला रही हैं। पिछले वर्ष इस पहल को अच्छा प्रतिसाद मिला था और इस बार यह प्रयास और भी व्यापक हो रहा है।

गणेश उत्सव के बाद दीयों की रौनक

गणेश विसर्जन के बाद भी यह अभियान थमने वाला नहीं है। ग्रामीण महिलाएं गोबर से आकर्षक दीये बनाएँगी, जो दीपावली पर हर घर को रोशन करेंगे। ये दीये पर्यावरण के अनुकूल होंगे और साथ ही इन महिलाओं की मेहनत व हुनर की चमक को भी सामने लाएँगे।

क्यों खास है यह पहल?

  • पर्यावरण संरक्षण : गोबर की मूर्तियाँ पानी में आसानी से घुल जाती हैं, जिससे जलस्रोत प्रदूषित नहीं होते।
  • महिला सशक्तिकरण : ग्रामीण महिलाओं को रोजगार का नया अवसर, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो रही है।
  • जंगल की रक्षा : लकड़ी पर निर्भरता घटने से जंगल और वन्यजीव सुरक्षित हो रहे हैं।
  • सस्ती और सुंदर : कम कीमत में पर्यावरण-हितैषी मूर्तियां, हर घर में बप्पा का आशीर्वाद पहुंचा रही हैं।

Created On :   27 Aug 2025 5:40 PM IST

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