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Nagpur News: रहें सतर्क - लाइफ स्टाइल के कारण अनुवांशिक बीमारी में बड़ा बदलाव, यह स्थिति चिंताजनक

- इन कारणों से बढ़ रही है बीमारी
- व्यायाम व खेलकूद से बढ़ती क्षमता
- माता-पिता रखे बच्चों का ध्यान
Nagpur News. मोटापा, प्रदूषण और नींद के अभाव में बच्चों में दमा-अस्थमा की बीमारी बढ़ रही है। 100 में से 7 बच्चों में यह शिकायत पाई जा रही है। यह चिंता का विषय है। पहले अस्थमा को अनुवांशिक बीमारी माना जाता था, वहीं अब जीवनशैली और पर्यावरणीय बदलाव इसके बड़े कारक साबित हो रहे हैं। सरकारी अस्पतालों में पिछले 5 सालों में बच्चों में दमा अस्थमा के मामले में 25 फीसदी से अधिक इजाफा हुआ है। बाल रोग विभाग में रोजाना दर्जनों बच्चे सांस फूलने, खांसी और अस्थमा की समस्या की शिकायत लेकर पहुंच रहे हैं। 5 से 15 साल की उम्र के बच्चों में यह समस्या सबसे ज्यादा देखी जा रही है।
इन कारणों से बढ़ रही है बीमारी
फास्ट फूड, जंक फूड और कोल्ड ड्रिंक की अधिकता से बच्चों का वजन असामान्य रूप से बढ़ रहा है। मोटापा फेफड़ों की क्षमता को कम करता है और सांस लेने में दिक्कत होती है। वहीं मैदानी खेलकूद नहीं होने से समस्या बढ़ती जाती है। नागपुर में धूल, धुआं और प्रदूषण से बच्चों के फेफड़ों पर असर हो रहा है। लगातार निर्माण कार्य और यातायात जाम के चलते प्रदूषण को बढ़ रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के हिसाब से यहां की हवा की गुणवत्ता खराब हो चुकी है। देर रात तक मोबाइल और टीवी देखने की आदत, पढ़ाई का दबाव और समय पर न सो पाने से बच्चों की नींद कम हो रही है। नींद की कमी से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता घटती है और अस्थमा के अटैक की संभावना बढ़ती है।
व्यायाम व खेलकूद से बढ़ती क्षमता
बच्चों को नियमित व्यायाम और मैदानी खेलों की आदत लगाना जरूरी है। इससे उनमें शारीरिक क्षमता बढ़ती है। बच्चों को तैलीय, जंक फूड और कोल्ड ड्रिंक्स से दूर रखना चाहिए। छोटे बच्चों को प्रदूषण से हमेशा दूर रखना जरूरी है। ताकि उन्हें प्रदूषण की मार न सहना पड़े। बच्चों के कमरे में एयर-प्यूरीफायर का उपयोग करने से लाभ होता है। उन्हें कमसे कम 8-9 घंटे नींद लेना जरूरी है।
माता-पिता रखे बच्चों का ध्यान
डॉ. अविनाश गावंडे, बाल रोग विशेषज्ञ व चिकित्सा अधीक्षक मेडिकल के मुताबिक अस्थमा केवल अनुवांशिक कारणों से नहीं, बल्कि मोटापा और प्रदूषण के कारण तेजी से बढ़ रहा है। समय पर इलाज न मिले तो यह आजीवन समस्या बन सकता है। माता-पिता को ध्यान रखना होगा कि बच्चे का वजन नियंत्रित रहे, उसे समय पर नींद मिले और प्रदूषण वाले क्षेत्रों से बचाया जाए।
Created On :   9 Sept 2025 6:59 PM IST