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Nagpur News: भिखारी घोटाला, सड़कों पर अच्छी तादाद, पर पुनर्वसन केंद्र खाली पड़े

Nagpur News सोचिए, जिस शहर की गलियों और चौक-चौराहों पर भिखारियों की भीड़ रोज़ आपको घेर लेती है, उसी शहर के सरकारी भिक्षेकरी स्वीकार गृह में फिलहाल केवल 20 भिखारी हैं। और सबसे मजेदार बात इस केंद्र की क्षमता है पूरे 100 भिखारियों की है। बाहर सड़कों पर भीख मांगने वालों की अच्छी संख्या है, लेकिन उनके लिए बनाए गए सरकारी भवनों में जगह खाली है। अदालत में पेशी के दौरान वे कहते हैं- हम तो भिखारी नहीं, पेन-गुब्बारे और खिलौने बेच रहे थे और न्यायालय उन्हें छोड़ देता है।
केंद्रों में आराम, पुनर्वसन गायब : प्रशासन पुलिस की मदद से मुहिम चलाकर भिखारियों को पकड़कर निवारा केंद्रों में भेजा तो ज़रूर जाता है, लेकिन अंदर पहुंचने के बाद कहानी बदल जाती है। यहां उन्हें भर-पेट भोजन, रहने की जगह और इलाज तो मिलता है, पर समाज में दोबारा खड़ा होने के लिए जरूरी कौशल प्रशिक्षण का नामोनिशान नहीं है। वजह? इस केंद्र में 22 पद खाली पड़े हैं और सूत्रों की जानकारी के अनुसार 2022 में रिटायर हुए निदेशक की जगह अब तक किसी को नियुक्त ही नहीं किया गया। यानी कागज़ पर ‘पुनर्वसन केंद्र’, असल में आरामगाह।
पुलिस के अभियान, नतीजे फीके : साल 2024-25 में पुलिस की मदद से 21 अभियान चलाए गए और 46 भिखारी पकड़े भी गए। लेकिन अदालत के आदेश के बाद सिर्फ 16 को ही दाखिल किया गया। यानी बड़ी मेहनत के बाद भी नतीजे ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहे हैं।
खाली पदों का बोझ : पुरुष निवारा केंद्र में 9 और महिला केंद्र में 12 पद अब भी खाली हैं। विशेषज्ञ कहते हैं कि जब तक ये पद नहीं भरे जाते और प्रशिक्षण की व्यवस्था मजबूत नहीं की जाती, तब तक यह समस्या यूं ही शहर की सड़कों पर सिर उठाती रहेगी। नागपुर में भिखारियों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ रही है। प्रशासन के सामने अब चुनौती सिर्फ पकड़ने की नहीं, बल्कि स्थायी पुनर्वसन और समाज की मुख्यधारा में शामिल करने की है।
भिखारी निवारा केंद्रों की स्थिति
1. नागपुर शहर में इस समय दो शासकीय भिखारी निवारा केंद्र हैं -
शासकीय पुरुष भिखारी निवारा केंद्र, नागपुर
मंजूर क्षमता : 75
इमारत क्षमता : 50
वर्तमान में दाखिल : 16 पुरुष
अब तक न्यायालय के आदेशानुसार 3 भिखारी मुक्त किए गए।
2. शासकीय महिला भिखारी निवारा केंद्र, नागपुर
मंजूर क्षमता : 100
इमारत क्षमता : 40
वर्तमान में दाखिल : 4 महिलाएं
अब तक 2 महिलाओं को न्यायालयीन आदेश से मुक्त किया गया।
निदेशक पद रिक्त रहने का असर : पिछले 2-3 वर्षों से केंद्र में निदेशक का पद रिक्त है, जिसके कारण भिखारियों के पुनर्वसन के लिए कोई विशेष पहल नहीं की जा रही है। पुलिस विभाग द्वारा विभिन्न मुहिमों के तहत भिखारियों को पकड़ा जाता है और उन्हें न्यायालय में पेश किया जाता है। यदि न्यायालय में भिखारी साबित होता है, तो उसे केंद्र में रखा जाता है। कई बार उनके परिचित भी आकर उन्हें ले जाने का अनुरोध करते हैं। ऐसे मामलों में, न्यायालयीन कार्रवाई पूरी करने के बाद भिखारियों को उनके परिचितों के सुपुर्द कर दिया जाता है।-नरेश सोनटक्के, अधीक्षक, पुरुष एवं महिला भिक्षुक स्वीकृति केंद्र
Created On :   26 Sept 2025 11:43 AM IST