Nagpur News: हीरक महोत्सव समारोह में बोले मुख्य न्यायाधीश गवई, महिलाओं का सशक्तिकरण बाबासाहब को सच्ची श्रद्धांजलि

हीरक महोत्सव समारोह में बोले मुख्य न्यायाधीश गवई, महिलाओं का सशक्तिकरण बाबासाहब को सच्ची श्रद्धांजलि
  • मुख्य न्यायाधीश भूषण गवई के विचार
  • डॉ. आंबेडकर कॉलेज का हीरक महोत्सव समारोह
  • महिलाओं का सशक्तिकरण बाबासाहब को सच्ची श्रद्धांजलि
  • कॉलेज समाज परिवर्तन का साधन बने: मुख्यमंत्री

Nagpur News. डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर हमेशा कहते थे कि किसी समाज की प्रगति को मापना हो तो उस समाज की महिलाओं की प्रगति को मापना चाहिए। डॉ. आंबेडकर कॉलेज में 5 मेधावी छात्रों का सम्मान किया गया, जिनमें से 80 प्रतिशत लड़कियां हैं। आज देश महिलाओं के सशक्तिकरण की ओर बढ़ रहा है और यह वास्तव में बाबासाहेब को समर्पित सच्ची श्रद्धांजलि है, ऐसे विचार भारत के मुख्य न्यायाधीश भूषण गवई ने व्यक्त किए।

डॉ. आंबेडकर कॉलेज का हीरक महोत्सव समारोह शनिवार को डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ऑडिटोरियम, दीक्षाभूमि में आयोजित किया गया था। इस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में न्या. गवई बोल रहे थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर स्मारक समिति, दीक्षाभूमि के अध्यक्ष भदंत आर्य नागार्जुन सुरेई ससाई ने की। प्रमुख अतिथि के रूप में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, सामाजिक न्याय मंत्री संजय शिरसाट, मुंबई हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति चंद्रशेखर जे., कमलताई गवई, राजेंद्र गवई, एन. आर. सुटे, डॉ. प्रदीप आगलावे, एड. फुलझेले और कॉलेज की प्राचार्य डॉ. दीपा पाणेकर उपस्थित थे।

न्या. गवई ने कहा कि, बाबासाहेब के विचार पीढ़ी दर पीढ़ी मार्गदर्शन करते रहेंगे। उनके मार्गदर्शन के कारण आज हम यहां तक पहुंचे हैं। 60 वर्षों के कालखंड में हमने बहुत बड़ी प्रगति की है। न्या. गवई ने छात्रों को मार्गदर्शन करते हुए कहा कि, आप अपने जीवन में निश्चित रूप से सफलता की चोटी हासिल करें, लेकिन उसे हासिल करते समय समाज और देश के लिए कुछ देने की भावना मन में रखें। बाबासाहेब के विचारों और संविधान की वजह से ही मैं आज देश का मुख्य न्यायाधीश बन सका, यह बात उन्होंने विशेष रूप से कही। साथ ही, न्या. गवई ने भीमराया घे तुझ्या या लेकराची वंदना…. इस भीम गीत से अपने भाषण का समापन किया। इस दौरान मान्यवरों के हाथो से सावी, चारुल विटालकर, रुचिका भाकरे, भूमिजा अग्रवाल और निखिल मोटघरे इन मेधावी विद्यार्थियों गौरव किया गया। कार्यक्रम की प्रस्तावना प्राचार्य डॉ. दीपा पाणेकर ने की और संचालन विद्या चोरपगार ने किया।

दीक्षाभूमी से बचपन से ही नाता

न्या. गवई ने कहा कि दीक्षाभूमी से मेरा नाता तब से जुड़ा है जब मैं 3 से 4 साल का था। न्या. गवई ने कहा कि 1981 में धम्मचक्र प्रवर्तन के 25 साल पूरे हुए और रजत जयंती मनाई गई। उस समय डॉ. बाबासाहेब की अस्थियों को विशेष ट्रेन से मुंबई से नागपुर लाया गया था। उस दौरान पूरे नागपुर में एक विशाल शोभायात्रा निकाली गई। उस समय नागपुर की जनता ने लाखों की संख्या में उपस्थित रहकर शोभायात्रा का उत्साहपूर्वक स्वागत किया और सर्वधर्म समभाव का संदेश दिया।

कॉलेज समाज परिवर्तन का साधन बने: मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि 20 हजार रुपये की राशि से डॉ. आंबेडकर कॉलेज की स्थापना की गई थी। उस समय 5 कक्षाओं, 5 शिक्षकों और 300 विद्यार्थियों से शुरू हुआ यह कॉलेज आज एक विशाल वटवृक्ष में बदल गया है। डॉ. बाबासाहेब के विचारों और पवित्र दीक्षाभूमी जैसे स्थान के दोहरे प्रभाव को संभालते हुए डॉ. आंबेडकर कॉलेज ने गुणवत्तापूर्ण शैक्षणिक स्तर का सम्मान हासिल किया है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस कॉलेज का गुणवत्ता का यह सफर इसी तरह विस्तारित होता रहेगा। साथ ही, उन्होंने विशेष रूप से कहा कि यह कॉलेज को समाज परिवर्तन के साधन के रूप में निरंतर कार्य करता रहे।

Created On :   2 Aug 2025 7:19 PM IST

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