Nagpur News: कोर्ट ने कहा-कपास खरीदी केंद्र में देरी के लिए तकनीकी बहाना नहीं चलेगा

कोर्ट ने कहा-कपास खरीदी केंद्र में देरी के लिए तकनीकी बहाना नहीं चलेगा
  • 38.34 लाख हेक्टेयर में कपास की बुआई
  • एक सप्ताह बाद सुनवाई

Nagpur News. हाई कोर्ट में किसानों के कपास खरीद से संबंधित एक जनहित याचिका लंबित है। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) को आदेश दिया था कि वे कपास खरीदी केंद्र समय पर शुरू करेंगे, इसका लिखित आश्वासन प्रस्तुत करें। इसके परिणामस्वरूप, मंगलवार को सीसीआई ने लिखित आश्वासन प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने कपास खरीदी केंद्र शुरू करने में तकनीकी कारणों से देरी होने की बात कही। हालांकि, कोर्ट ने इस दलील को खारिज कर दिया और सीसीआई के लिखित आश्वासन को अस्वीकार किया।

याचिका में यह मांग

बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ में ग्राहक पंचायत महाराष्ट्र संस्थान के श्रीराम सातपुते ने यह जनहित याचिका दायर की है। याचिका पर न्यायमूर्ति अनिल किलोर और न्यायमूर्ति अजीत कडेठाणकर की पीठ के समक्ष सुनवाई हुई। याचिका के अनुसार, सरकारी कपास खरीदी केंद्र समय पर शुरू नहीं होने के कारण व्यापारी गारंटी मूल्य से कम कीमत पर कपास खरीद रहे हैं, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान हो रहा है। इसलिए दिवाली से पहले दशहरे के शुभ अवसर पर राज्य में सभी तालुका स्तरों पर सरकारी खरीद केंद्र शुरू किए जाने चाहिए, किसान की कृषि उपज बेचने के बाद सात दिन के अंदर कृषि उपज का पैसा किसान के बैंक खाते में जमा हो जाना चाहिए आदि मांग याचिका में की गई है।

यह कहा था कोर्ट ने

पिछली सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने राज्य में कपास खरीद केंद्र समय पर शुरू न होने के कारण किसानों को हो रहे आर्थिक नुकसान की जानकारी कोर्ट के समक्ष रखी थी। इस पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने सीसीआई को आदेश दिया कि वे कपास खरीदी केंद्र समय पर शुरू करेंगे, इसका लिखित आश्वासन प्रस्तुत करें। इसके साथ ही, कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि किसान केंद्र पर आएं या न आएं, कपास खरीदी केंद्र को समय पर शुरू रखना कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया की जिम्मेदारी है।

एक सप्ताह बाद सुनवाई

मंगलवार को याचिका पर हुई सुनवाई में सीसीआई ने लिखित आश्वासन प्रस्तुत करते हुए कहा कि कपास खरीदी केंद्र शुरू करने में तकनीकी कारणों से देरी हो रही है। इस पर कोर्ट ने कहा कि यह बहाना स्वीकार्य नहीं है। कोर्ट ने आगे टिप्पणी की, "आप हर साल केंद्र शुरू करने में देरी के लिए ऐसे सौ तकनीकी कारण बताएंगे।' साथ ही, कोर्ट ने स्पष्ट किया कि हर साल कपास खरीद केंद्र समय पर शुरू होने चाहिए। यदि किसी वर्ष तकनीकी कारणों से देरी हो रही हो, तो सीसीआई को इसकी जानकारी कोर्ट को देनी होगी, और कोर्ट निश्चित रूप से इस पर विचार करेगा। कोर्ट ने याचिका पर अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद रखी है। याचिकाकर्ता श्रीराम सातपुते ने खुद ही पक्ष रखा। सीसीआई की ओर से डिप्टी सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया एड. नंदेश देशपांडे ने पैरवी की।

38.34 लाख हेक्टेयर में कपास की बुआई

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि वर्ष 2025 में राज्य में 38,34,947 हेक्टेयर क्षेत्र में कपास की बुआई की गई है, जबकि विदर्भ में 16,82,669 हेक्टेयर क्षेत्र में कपास बोया गया है।

Created On :   27 Aug 2025 8:27 PM IST

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