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Nagpur News: शिक्षकाें के काम में स्थानीय नेताओं का दखल बढ़ेगा, अधिकार जिप सीईओ को मिला

- किसी भी समय तबादले का अधिकार जिप सीईओ को मिला
- शिक्षकाें के काम में स्थानीय नेताओं का दखल बढ़ेगा
- ग्राम विकास विभाग ने जारी किया परिपत्रक
Nagpur News. शिक्षकों के संबंध में शिकायत मिलने पर किसी भी समय तबादला करने का अधिकार जिप सीईओ को मिला है। स्थानीय नेताओं का स्कूल के कामकाज में हस्तक्षेप बढ़कर शिक्षकों को दबाव में काम करना पड़ने की चिंता सता रही है। शिक्षकों के तबादले से संबंधित शासन निर्णय 18 जून 2024 निर्गमित किया गया था। उसमें संशोधन कर पूरक परिपत्र ग्राम विकास विभाग ने हाल ही में निर्गमित किया। उसमें शिक्षकों के कामकाज से संबंधित शिकायत प्राप्त होने पर जिला परिषद सीईओ को किसी भी समय तबादला करने के अधिकार प्रदान किए हैं। शिकायत प्राप्त होने पर उसकी जांच करने व 30 दिन में विभागीय आयुक्त को प्रस्ताव भेजा होगा। विभागीय आयुक्त जांच रिपोर्ट पर 30 दिन में निर्णय लेंगे। विभागीय आयुक्त ने सहमति दर्शाने पर सीईओ को 7 दिन में तबादला करने का अधिकार दिया है।
शिक्षकों में बचैनी कहा सरकार को इस निर्णय पर फिर से विचार करना चाहिए
साल भर में कभी भी ट्रांसफर
सरकार ने साल 2018 में जिप शिक्षकों के ऑनलाइन तबादले की नीति बनाने पर नेताओं का हस्तक्षेप खत्म हुआ है। सरकारी स्तर से सेवा वरीयता के आधार पर संवर्गवार तबादले किए जा रहे हैं। इस पद्धति में पारदर्शिता शिक्षकों को रास आ रही है। ग्राम विकास विभाग के संशोधित परिपत्र से प्राप्त अधिकार का उपयोग कर शिकायत मिलने पर किसी भी समय तबादला किया जा सकता है। स्थानीय नेताओं के साथ मधुर संबंध नहीं रहने पर शिक्षकों को शिकायत का डर सता रहा है। ऑनलाइन तबादला प्रक्रिया में नेताओं का हस्तक्षेप हटाकर स्थानीय नेताओं का हस्तक्षेप बढ़ाए जाने से शिक्षकों में बचैनी है। शिक्षक संगठनों का मानना है कि शिक्षकों के कामकाज में स्थानीय नेताओं का हस्तक्षेप अव्यवहार्य है। सरकार को इस निर्णय पर पुन: विचार करना अपेक्षित है।
शिकायत पर यह निर्णय ठीक नहीं
लीलाधर ठाकरे, जिलाध्यक्ष, महाराष्ट्र राज्य प्राथमिक शिक्षक समिति के मुताबिक शिक्षक ने काम में लापरवाही बरतने अथवा कसूर करने पर उसके खिलाफ प्रशासकीय कार्रवाई का पहले से नियम में प्रावधान है। शिकायत के आधार पर तबादला करना ठीक नहीं है। स्कूल के कामकाज में जनप्रतिनिधि, राजनीतिक दल के पदाधिकारी, स्थानीय नेताओं का हस्तक्षेप बढ़ेगा। इससे शैक्षणिक कार्य प्रभावित होने का खतरा है। सरकार को इस निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए।
Created On :   18 May 2025 7:25 PM IST