Nagpur News: मां से जुदा हुुआ नन्हा गिलहरी इंजेक्शन से पी रहा है दूध

मां से जुदा हुुआ नन्हा गिलहरी इंजेक्शन से पी रहा है दूध
  • ट्रांजिट ट्रीटमेंट सेंटर ने नया जीवन देने का बीड़ा उठाया
  • एक पेड़ के नीचे गिरा था
  • इन्क्यूबेटर को बनाया घर

Nagpur News सेमिनरी हिल्स स्थित ट्रांजिट ट्रीटमेंट सेंटर (टीटीसी) में एक अनाथ गिलहरी के बच्चे की अनूठी देखभाल ने सभी का ध्यान आकर्षित किया है। यह एक महीने का बच्चा, जिसके माता-पिता मर चुके हैं, एक व्यक्ति द्वारा पेड़ के नीचे गिरा हुआ पाया गया। व्यक्ति ने बताया कि बच्चे के माता-पिता को बहुत ढूंढने के बाद भी नहीं पाया गया। यह डर था कि कहीं यह नन्हा जीव मर न जाए, इसलिए उसे टीटीसी लाया गया। यहां डॉक्टरों ने इसे नया जीवन देने का बीड़ा उठाया।

टीटीसी में इस गिलहरी के बच्चे को इन्क्यूबेटर में रखा गया है, क्योंकि यह अभी इतना छोटा है कि खुद खाना भी नहीं खा सकता। इसकी नाजुक हालत को देखते हुए डॉक्टर इंजेक्शन में दूध भरकर इसे पिला रहे हैं। यह प्रक्रिया न केवल इस बच्चे की जान बचा रही है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि छोटे से छोटे जीव की जिंदगी भी कितनी कीमती है। टीटीसी के कर्मचारी और डॉक्टर दिन-रात इस बच्चे की देखभाल में जुटे हैं, ताकि यह स्वस्थ होकर एक दिन जंगल में लौट सके।

नागपुर का टीटीसी सेंटर वन्यजीवों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। यहां आए दिन विभिन्न प्रजातियों के वन्यजीवों को रेस्क्यू कर लाया जाता है। बाघ, तेंदुआ, सांप जैसे बड़े जीवों से लेकर गिलहरी जैसे छोटे जीवों तक, सभी का यहां विशेष ध्यान रखा जाता है। अनुभवी डॉक्टरों की निगरानी में इनका इलाज किया जाता है। जो जीव पूरी तरह स्वस्थ हो जाते हैं, उन्हें उनके प्राकृतिक आवास में वापस छोड़ दिया जाता है। टीटीसी का यह प्रयास न केवल वन्यजीवों की रक्षा करता है, बल्कि प्रकृति के संतुलन को बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

यह घटना बताती है कि मानवता और करुणा से हर जीव की रक्षा संभव है। गीलहरी का यह बच्चा, जो अनाथ होने के बावजूद जीने की उम्मीद लिए है, टीटीसी के समर्पण का जीवंत उदाहरण है। इस तरह के प्रयास न केवल वन्यजीव संरक्षण को बढ़ावा देते हैं, बल्कि समाज को भी प्रकृति के प्रति संवेदनशील होने का संदेश देते हैं।

Created On :   2 May 2025 3:13 PM IST

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