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Nagpur News: महाराष्ट्र में वन क्षेत्रों में वृद्धि के आंकड़े भ्रामक करने वाले

- जंगल क्षेत्र में लगभग 5 प्रतिशत की वृद्धि
- अध्ययन करने की आवश्यकता पर जोर
Nagpur News एक तरफ देश और राज्य में वन क्षेत्र वास्तव में कम हो रहा है, वहीं केंद्र सरकार के हाल ही में जारी किए गए वन स्थिति रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जंगल क्षेत्र में लगभग 5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वनराई फाउंडेशन की ओर आयोजित "महाराष्ट्र वन क्षेत्र: सत्य व भ्रामक’ विषय पर चर्चासत्र में यह बात सामने आई। इस दौरान कहा गया कि यदि आंकड़े जुटाने में उपग्रह चित्रों के अलावा अन्य वैकल्पिक तरीकों का उपयोग किया जाए, तो वन क्षेत्र की सटीक स्थिति स्पष्ट हो सकती है।
आंकड़ों को तोड़ा-मरोड़ा जाता है : चर्चासत्र में मुख्य वक्ता के रूप में राज्य व वन्यजीव मंडल के पूर्व सदस्य यादव तरटे पाटील, पत्रकार राखी चव्हाण, और वन क्षेत्र के गहन अध्येता डॉ. योगेश्वर दुधपचारे उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता वनराई फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. गिरीश गांधी ने की। अपने अध्यक्षीय भाषण में डॉ. गिरीश गांधी ने कहा कि विकास के आंकड़े कुछ घटनाओं के इर्द-गिर्द घूमते हैं और सुविधा के लिए आंकड़ों को तोड़ा-मरोड़ा जाता है। यह रिपोर्ट भी इससे अछूता नहीं है। उन्होंने सभी व्यक्ति को वनों और वन्यजीवों को समझने और उनका अध्ययन करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
अचानक 5 प्रतिशत वनों की वृद्धि का दावा : डॉ. योगेश्वर दुधपचारे ने कहा कि 1952 में पहली वन नीति बनाई गई थी, जिसमें कम से कम 33% वन क्षेत्र होने की बात कही गई थी। इसके बाद वन क्षेत्र बढ़ाने के कई प्रयास हुए, लेकिन वे सफल नहीं हुए। अब अचानक 5 प्रतिशत की वृद्धि का दावा किया जा रहा है। उन्होंने सवाल उठाया कि 20 प्रतिशत से 25.17 प्रतिशत तक वन क्षेत्र कैसे बढ़ गया। 2024 में पहली बार जंगल की परिभाषा तय की गई, जिसमें कई खामियां हैं। आंकड़ों में वृद्धि का कारण केवल वनाच्छादित क्षेत्र को शामिल करना है। कार्यक्रम का प्रास्ताविक वनराई फाउंडेशन के सचिव निलेश खांडेकर ने किया, जबकि संचालन और आभार प्रदर्शन नितीन जतकर ने किया।
Created On : 10 Jun 2025 10:16 AM