Nagpur News: बन गई बात - 60 लाख का प्रस्ताव 9 साल से लटका रहा अधर में, नक्शे को लेकर था पेंच

बन गई बात - 60 लाख का प्रस्ताव 9 साल से लटका रहा अधर में, नक्शे को लेकर था पेंच
  • ब्लड कंपाेनेंट यूनिट नहीं होने से समस्या
  • पहला नक्शा फेल, दूसरा मंजूर

Nagpur News. मेडिकल से संलग्न सुपर स्पेशलिटी अस्पताल को पांच साल से ब्लड कंपोनेंट यूनिट का इंतजार है। अगले दो माह में यह यूनिट शुरू होने की संभावना व्यक्त की जा रही है। यूनिट के लिए जरूरी मशीनें आ चुकी हैं। जल्द ही इन मशीनों को स्थापित कर यूनिट शुरू किया जाएगा। 2019 से 60 लाख रुपए का यह प्रस्ताव अधर में लटकता रहा है। पहले यहां नक्शे को लेकर पेंच था। बाद में मशीनों का इंतजार किया रहा था। अब यह यूनिट स्थापित करने के लिए तैयारियां पूरी हो चुकी हंै।

पहला नक्शा फेल, दूसरा मंजूर

2016 में इसका प्रस्ताव तैयार किया गया था। तीन साल बाद यानी 2019 में 60 लाख के प्रस्ताव को प्रशासकीय मंजूरी मिली थी। नियम के अनुसार ब्लड कंपोनेंट यूनिट के लिए अन्न व औषधि प्रशासन से नक्शा मंजूर करवाना होता है। अस्पताल के ब्लड बैंक यूनिट ने सार्वजनिक निर्माण कार्य विभाग से नक्शा तैयार करवाकर अन्न व औषधि प्रशासन को दिया। इस विभाग ने नियम अनुसार नक्शा नहीं होने की जानकारी देते हुए कुछ बदलाव की सूचना दी। इसके बाद फिर से नया नक्शा तैयार करवाया गया। इसे मंजूरी मिलने के बाद आगे की प्रक्रिया पूरी होते होते पांच साल लग गए।

समय पर नहीं हो पाई थी खरीदी प्रक्रिया

सूत्रों ने बताया कि ब्लड कंपोनेंट यूनिट के लिए आवश्यक उपकरणों एफरेसिस और और सेप्रेशन मशीन खरीदी की जिम्मेदारी हॉफकिन कंपनी की थी। कंपनी को निधि दी गई थी, लेकिन समय पर खरीदी प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई थी। कीमतें बढ़ने का खामियाजा अस्पताल को भुगतना पड़ा। ब्लड कंपोनेंट यूनिट को लेकर अधिष्ठाता समेत अन्य अधिकारियों ने संबंधित कार्यालय के अधिकारियों से बार-बार चर्चा की तब जाकर मशीनें आई हैं। सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में बड़ी संख्या में किडनी, लिवर, हार्ट, ब्रेन आदि के मरीज आते हैं। इन मरीजों को उपचार के दौरान रक्त घटक प्लेटलेटस् व प्लाज्मा की आवश्यकता होती है।

ब्लड कंपाेनेंट यूनिट नहीं होने से समस्या

सुपर स्पेशलिटी में ब्लड कंपोनेंट यूनिट नहीं होने से रक्त विघटन की प्रक्रिया नहीं होती। इसके कारण मरीजों काे मेडिकल में भेजा जाता है। वहां भी विघटित रक्त उपलब्ध नहीं होने पर बाहर से आवश्यकता के अनुसार रक्त घटक खरीदना पड़ता है। सरकारी अस्पताल में अाने वाले मरीजों की आर्थिक हालत कमजोर होने से उनके लिए विघटित रक्त खरीदी करना मुश्किल हो जाता है। अतिविशेषोपचार के लिए सुपर स्पेशलिटी अस्पताल मध्य भारत का सबसे अच्छा सरकारी अस्पताल माना जाता है। इसलिए यहां विदर्भ समेत मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना आदि राज्यों से मरीज आते हैं, लेेकिन दुर्भाग्य से सुपर स्पेशलिटी के निर्माण से ही यहां ब्लड कंपोनेंट यूनिट स्थापित नहीं होने से बड़ी समस्या हो रही है। अब आने वाले दो महीने में यहां ब्लड कंपोनेंट यूनिट शुरू होने का अनुमान व्यक्त किया गया है।

Created On :   9 Sept 2025 6:03 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story