Nagpur News: नागपुर में तीन दिन की दुकानदारी से 12 महीने की उम्मीद

नागपुर में तीन दिन की दुकानदारी से 12 महीने की उम्मीद
ट्रक में सामान भरकर पहुंचे हैं जबलपुर के कारीगर

Nagpur News दिवाली की चकाचौंध के बीच कुछ चेहरे ऐसे भी हैं, जो खुद अंधेरे में रहकर दूसरों के घरों को रोशन कर रहे हैं। शहर के रमन साइंस सेंटर परिसर और आस-पास की सड़कों पर मिट्टी के दीये, लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां, छोटे मंदिर और सजावटी सामान बेचने वाले कारीगरों की कतारें दिख रही हैं। ये वे लोग हैं जो हर साल अपनी तीन दिन की कमाई में पूरे साल की उम्मीद समेटे जबलपुर, कटनी जैसे इलाकों से नागपुर आते हैं।

साल भर की मेहनत : करीब 300 से अधिक लोग इस बार नागपुर पहुंचे हैं। सभी परिवार के साथ आए हैं। पति-पत्नी, छोटे बच्चे, बूढ़े माता-पिता तक। साल भर ये खेतों में काम करते हैं। साथ ही घर के आंगन में मिट्टी के दीए, छोटी देवी-देवताओं की मूर्तियां, और सजावटी दीप बनाते हैं। जब दिवाली करीब आती है, तो ट्रक में पूरा परिवार सामान लेकर नागपुर की ओर निकल पड़ता है।

बस्तों के साथ बच्चे भी आते हैं : एक ट्रक में चार परिवार, मिट्टी के दीये, मूर्तियां, और साथ में चूल्हा, कुछ बर्तन और बच्चों के स्कूल के बस्ते। यहां आने का उद्देश्य एक ही होता है-थोड़ा बहुत कमाकर बच्चों के लिए नए कपड़े और मिठाई खरीद सकें। कुछ बच्चे तो स्कूल में एप्लिकेशन डालकर चार दिन की छुट्टी लेकर आए हैं।

सड़क ही घर, आसमान ही छत : रमन साइंस सेंटर और उसके आसपास का इलाका ही इनका ठिकाना बना है। दिन भर दीये बेचने का काम, और रात होते ही सड़क किनारे चूल्हा जलाकर खाना बनाना। बच्चे भी मदद में जुट जाते हैं। कोई दीये सजाता है, तो कोई ग्राहकों को पुकारता है।

दो रातें सड़कों पर, तीसरी रात ट्रेन में : इन परिवारों के पास ज्यादा वक्त नहीं होता। ट्रक से उतरते ही सामान सजाना शुरू करते हैं, और दो दिन-रात तक लगातार बिक्री में जुटे रहते हैं। तीसरी रात जैसे ही आखिरी दीया बिकता है, सब सामान समेटकर ट्रेन से वापसी शुरू हो जाती है।

बच्चों की भूख के आगे सब सह लेंगे : राकेश चक्रवर्ती का परिवार स्वतंत्रता के समय से ही यह परंपरा निभा रहा है। वे बताते हैं- हमारे लिए यही दिवाली है। जब पूरा माल बिक जाए, बच्चों को दो जोड़ी कपड़े मिल जाएं, तो लगता है कि भगवान ने आशीर्वाद दिया। हम जबलपुर में खेती भी करते हैं और दीये भी बनाते हैं। वहां उतना भाव नहीं मिलता। नागपुर में लोग थोक में खरीद लेते हैं।



Created On :   15 Oct 2025 12:20 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story