Nagpur News: राज्य में विदेशी नागरिकों के लिए कोई डिटेंशन सेंटर नहीं

राज्य में विदेशी नागरिकों के लिए कोई डिटेंशन सेंटर नहीं
जनहित याचिका दर्ज करने का दिया आदेश

Nagpur News महाराष्ट्र में विदेशी नागरिकों के लिए डिटेंशन सेंटर न होने का गंभीर मामला सामने आया है। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए रजिस्ट्री को जनहित याचिका दर्ज करने के आदेश दिया है।

इस मामले पर लिया संज्ञान : ह मामला एक विदेशी नागरिक को जमानत मिलने के बाद भी लगभग दस महीनों तक गैर-कानूनी रूप से हिरासत में रखे जाने से जुड़ा है। सामान्यतः जब कोई विदेशी नागरिक वीजा नियमों का उल्लंघन करता है, तो उसे डिटेंशन सेंटर में रखा जाता है। लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ को बताया था कि राज्य में ऐसा कोई डिटेंशन सेंटर ही नहीं है। इस स्थिति को गंभीर लापरवाही मानते हुए, न्यायमूर्ति उर्मिला जोशी फालके की पीठ ने इसे जनहित याचिका के रूप में दर्ज करने और आगे की कार्रवाई के निर्देश दिए थे।

याचिका तैयार करने निर्देश : मंगलवार को न्यायमूर्ति अनिल किलोर और न्यायमूर्ति रजनीश व्यास की पीठ ने इस मुद्दे पर संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका दाखिल करने का आदेश दिया। अदालत ने एड. चैतन्य बर्वे को न्यायालय मित्र नियुक्त किया है और उन्हें 28 नवंबर तक विस्तृत याचिका तैयार कर रजिस्ट्री में दाखिल करने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही, अदालत ने राज्य सरकार को यह भी आदेश दिया कि इस विषय में आवश्यक जानकारी न्यायालय मित्र को उपलब्ध कराई जाए। राज्य सरकार की ओर से एड. एस. एन. राव ने पैरवी की।

पूरा प्रकरण यह है : यह मामला नाइजीरिया के नागरिक एमेका उडेंज से संबंधित है। नागपुर साइबर पुलिस ने उसे 21 मई 2023 को दिल्ली से गिरफ्तार किया था। उस पर धोखाधड़ी और विश्वासघात के आरोप लगाए गए थे। 27 मई 2023 को उसे न्यायिक हिरासत में भेजा गया। बाद में, 19 जून 2024 को नागपुर के प्रथम श्रेणी न्यायदंडाधिकारी ने उसे 50 हजार रुपये के जमानत बांड पर रिहा करने का आदेश दिया। लेकिन उसका पासपोर्ट और वीजा की अवधि समाप्त हो चुकी थी, इसलिए अदालत ने उसे किसी विदेशी नागरिक डिटेंशन सेंटर में रखने का निर्देश दिया।

हाईकोर्ट की टिप्पणी : जमानत की शर्तें पूरी करने के बाद भी उडेंज को रिहा नहीं किया गया और दोबारा पुलिस हिरासत में रखा गया। सेशन कोर्ट ने उसकी अपील खारिज कर दी, जिसके बाद उसने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। सुनवाई के दौरान यह सामने आया कि महाराष्ट्र में विदेशी नागरिकों के लिए कोई डिटेंशन सेंटर नहीं है। इस पर नाराजगी जताते हुए अदालत ने कहा कि ऐसे में विदेशी नागरिकों को रखा कहां जाए। इसे प्रशासनिक लापरवाही मानते हुए अदालत ने मामले को जनहित याचिका के रूप में डिवीजन बेंच को भेजने का आदेश दिया था।


Created On :   15 Oct 2025 2:02 PM IST

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