Nagpur News: मेडिकल का कैंसर रोग विभाग ले रहा अंतिम सांस, मशीनों के अभाव में मरीजों का उपचार प्रभावित

मेडिकल का कैंसर रोग विभाग ले रहा अंतिम सांस, मशीनों के अभाव में मरीजों का उपचार प्रभावित
  • कालबाह्य कोबाल्ट मशीन के सहारे जिंदा है विभाग
  • कैंसर इंस्टीट्यूट निर्माण की गति धीमी
  • लीनियर एक्सीलरेटर का कक्ष तैयार, मशीन नहीं मिल रही

Nagpur News. उपराजधानी का दर्जा प्राप्त है। हर साल यहां शीतसत्र का आयोजन किया जाता है। इस बार 8 दिसंबर से शीतसत्र शुरू होने जा रहा है। नागपुर को भले ही उपराजधानी कहा जाता है, लेकिन कई विषयों में अब भी उपराजधानी अधूरी है। यहां देश का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है। यहां का कैंसर रोग विभाग दम तोड़ रहा है। बरसों से इस विभाग के लिए जरूरी मशीनों की मांग की जा रही है, लेकिन सरकार इसके प्रति उदासीन है। नये कैंसर इंस्टीट्यूट को लेकर भी गंभीरता नहीं दिखायी जा रही है। फंड के अभाव में बार-बार काम की गति धीमी हो जाती है।

कालबाह्य कोबाल्ट मशीन के सहारे जिंदा है विभाग

मेडिकल का कैंसर रोग विभाग जल्द ही दम तोड़ देगा। फिलहाल, यह विभाग अपनी अंतिम मशीन कोबाल्ट के सहारे जिंदा है। यह मशीन भी आखिरी सांस गिन रही है। जिस दिन यह मशीन पूरी तरह बंद हो जाएगी, उस दिन मेडिकल का कैंसर रोग विभाग बंद हो जाएगा। सूत्रों के अनुसार यह मशीन अब कभी भी हमेशा के लिए बंद हो सकती है, क्योंकि इस मशीन का जीवन खत्म हो चुका है। कैंसर रोग विभाग में हर साल 2200 से अधिक नये कैंसर रोगियों का पंजीयन होता है। इन मरीजों की जांच व उपचार करने के लिए मशीनों की आवश्यकता होती है।

मशीन बंद पड़ते ही दम तोड़ देगा

कैंसर रोग विभाग अब केवल कोबाल्ट थेरेपी मशीन के सहारे चल रहा है। सूत्रों के अनुसार अगले दो महीने में यह मशीन दम तोड़ देगी। 2006 में केंद्र सरकार की निधि से यह मशीन खरीदी की गई थी। इस मशीन के जिस हिस्से से रेडिएशन दिया जाता है, उसे सोर्स कहा जाता है। यह सोर्स पांच साल में बदलना पड़ता है। आखिरीबार 2015 में बदला गया था। इसके बाद बदला ही नहीं गया है। इसकी किमत 1.32 करोड़ रुपए तक बतायी जाती है। 2020 में इसकी कार्यक्षमता खत्म हो चुकी है, इसलिए यह मशीन भी बीच-बीच में बंद पड़ती है। डेढ़ साल पहले नई ब्रेकीथेरेपी के लिए 3.57 करोड़ रुपए मंजूरी के बाद खरीदी की प्रारंभिक प्रकिया शुरू की गई थी, लेकिन किसी कारणवश यह मामला उलझ गया। 2024-25 में नई मशीन आने वाली थी, लेकिन साल बीत रहा है। मशीन नहीं आयी है।

ऐसे बिगड़ते गए हालात

यहां की ब्रेकीथेरेपी मशीन 2009 मे लगायी गई थी। 2019 में मशीन कालबाह्य हाे चुकी है। बावजूद इसके पुर्जे बदलकर काम चलाया गया। 2023 तक यह मशीन जैसे तैसे चलायी गई। दो साल से यह मशीन बंद पड़ी है। इस मशीन से कैंसर के संक्रमण को नष्ट करने के लिए मरीजों को रेडिएशन दिया जाता है। कैंसर के उपचार में कारगर लीनियर एक्सीलेरेटर मशीन की आवश्यकता है। 2019 में इस मशीन के लिए प्रस्ताव भेजा गया था। 2020 में इसके लिए मंजूरी मिली। चिकित्सा शिक्षा विभाग ने 23.20 करोड़ रुपए की निधि दी थी। मेडिकल प्रशासन ने यह निधि मशीन खरीदने के लिए हाफकिन कंपनी को सौंपी थी। चार साल से यह मशीन मेडिकल को नहीं मिल पायी है। लीनियर एक्सीलरेटर, ब्रेकीथेरेपी के अलावा विभाग को अत्याधुनिक सीटी सिम्युलेटर मशीन की भी जरूरत है। इस मशीन से रेडिएशन की डोज कंम्प्यूटर से निर्धारित की जाती है। इससे थ्री डी सीआरटी थेरेपी और आईएमआरटी थेरेपी संभव होती है। कम्प्यूटर की मदद से कैंसर प्रभावित हिस्से को निशाने पर लेकर रेडिएशन दिया जाता है।

कैंसर इंस्टीट्यूट निर्माण की गति धीमी

कैंसर रोगियों के लिए वरदान साबित होने वाला सबसे बड़े सरकारी कैंसर इंस्टीट्यूट का निर्माण नागपुर में शुुरू हो चुका है। 9 साल पहले प्रस्तावित इस इंस्टीट्यूट के सारे पेंच पिछले साल सुलझ गए थे। सरकार ने इस 80 करोड़ रुपए की योजना का प्रारंभिक काम शुरू करने के लिए 27.61 करोड़ रुपए दिए हैं, लेकिन पिछले कुछ महीनों से मांग के बावजूद निधि नहीं दी जा रही है, जिसके कारण काम की गति धीमी हो गई है। मेडिकल के टीबी बार्ड परिसर की 5 एकड़ जमीन पर कैंसर इंस्टीट्यूट का निर्माण हो रहा है। यहां तीन मंजिल की इमारत तैयार हो रही है।

लीनियर एक्सीलरेटर का कक्ष तैयार, मशीन नहीं मिल रही

बहुप्रतिक्षित लीनियर एक्सीलरेटर मशीन स्थापित करने की तैयारी पूरी हो चुकी है। सरकार की तरफ से जैसे ही मशीन मिलेगी, उसे यहां स्थापित कर मरीजों का उपचार शुरू किया जा सकेगा। इसके लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है। इमारत में 4 वार्ड, 2 ऑपरेशन थिएटर और 3 आईसीयू होंगे। साथ ही लीनियर एक्सीलरेटर मशीन और एक ब्रेकीथेरेपी मशीन होगी। यहां कैंसर का हर प्रकार का उपचार होगा। इसे 2015 में मंजूरी मिली थी। बाद में किसी कारणवश यह प्रस्ताव ठंडे बस्ते में चला गया। इसके लिए 76.10 करोड़ रुपए मंजूर किए गए। मेडिकल के तत्कालीन अधिष्ठाता, नागपुर सुधार प्रन्यास व संबंधित विभागों को तालमेल बनाकर इंस्टीट्यूट निर्माण के लिए कदम उठाने को कहा गया था। इस काम की शुरूआत होने से पहले ही कोरोना महामारी फैल गई। सितंबर 2021 में चिकित्सा शिक्षा विभाग के सचिव ने कैंसर इंस्टीट्यूट के लिए संबंधित सभी विभागों को अपने-अपने हिस्से की जिम्मेदारी पूरी करने के निर्देश दिए थे। अब निधि के अभाव में काम की गति धीमी हो रही है।



Created On :   5 Dec 2025 6:37 PM IST

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