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नागपुर खंडपीठ: स्कूल बस और वैन की नई परिभाषा तय, मोटर वाहन नियमों में संशोधन, अधिसूचना जारी

- हाईकोर्ट में राज्य सरकार ने दी जानकारी
- याचिकाकर्ता द्वारा मुख्य सुझाव
- अगली सुनवाई 9 अक्टूबर को
Nagpur News. राज्य सरकार के गृह विभाग ने महाराष्ट्र मोटर वाहन (स्कूल बसों के लिए विनियमन) नियम, 2011 में संशोधन करते हुए 12 अगस्त 2025 को अधिसूचना जारी की है। इसमें स्कूल बस और स्कूल वैन की नई परिभाषा तय की गई है। संशोधित नियमों के अनुसार, ड्राइवर को छोड़कर 13 या उससे अधिक बच्चों के बैठने की क्षमता वाले वाहन को स्कूल बस माना जाएगा, जबकि 12 बच्चों तक बैठने की क्षमता वाले वाहन को स्कूल वैन कहा जाएगा। यह जानकारी राज्य सरकार ने मंगलवार को हाईकोर्ट में प्रस्तुत की।
कोर्ट ने लिया स्वत: संज्ञान
बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने वर्ष 2012 में स्कूल बसों और विद्यार्थियों की सुरक्षा को लेकर स्वतः संज्ञान पर जनहित याचिका दर्ज की थी। इस पर मंगलवार को न्यायमूर्ति अनिल किलोर और न्यायमूर्ति रजनीश व्यास की पीठ में सुनवाई हुई। पिछली सुनवाई में न्यायालय मित्र तथा वरिष्ठ विधिज्ञ फिरदोस मिर्झा ने जुलाई 2025 में राज्य सरकार द्वारा तैयार किए गए नए स्कूल वैन डिज़ाइन प्रारूप की ओर कोर्ट का ध्यान दिलाया था। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को यह स्पष्ट करने का निर्देश दिया था कि इस नई डिजाइन से जुड़ा प्रारूप नियमावली में शामिल किया गया है या नहीं।
अगली सुनवाई 9 अक्टूबर को
मंगलवार को हुई सुनवाई में राज्य सरकार की ओर से संयुक्त सचिव राजेंद्र होलकर ने 12 अगस्त 2025 को जारी अधिसूचना की जानकारी अदालत को दी। इसमें महाराष्ट्र मोटर वाहन (स्कूल बसों के लिए विनियमन) नियम, 2011 में संशोधन कर स्कूल बस और स्कूल वैन की नई परिभाषा तय की गई है। अदालत ने इस जानकारी को रिकॉर्ड पर लेते हुए अगली सुनवाई गुरुवार, 9 अक्टूबर को निर्धारित की। न्यायालय मित्र के रूप में वरिष्ठ विधिज्ञ फिरदोस मिर्झा तथा राज्य सरकार की ओर से एड. दीपक ठाकरे ने पैरवी की।
सरकार ने तय किया है
- स्कूल बस : इसमें 13 या उससे अधिक बच्चों (ड्राइवर को छोड़कर) के बैठने की जगह होगी। इसमें सभी जरूरी सुरक्षा इंतजाम और सीटों की व्यवस्था होनी चाहिए। इन इंतजामों को परिवहन आयुक्त समय-समय पर मंजूरी देंगे।
- स्कूल वैन : इसमें 12 बच्चों तक बैठने की जगह होगी। यह भी केवल स्कूल बच्चों को ले जाने के लिए बनी होनी चाहिए। इसके पास टेस्टिंग एजेंसी का सर्टिफिकेट होना जरूरी है। इसमें भी सुरक्षा इंतजाम और सीटों की व्यवस्था परिवहन आयुक्त की मंजूरी से होनी चाहिए।
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याचिकाकर्ता द्वारा मुख्य सुझाव
- एसओपी में “बच्चों” की जगह “छात्र” शब्द प्रयोग किया जाए।
- शराब पीकर गाड़ी चलाने या अपराध का रिकॉर्ड रखने वाले ड्राइवरों को स्कूल वाहनों से प्रतिबंधित किया जाए।
- हर ड्राइवर की आंखों की जांच अनिवार्य हो।
- सभी स्कूल वाहनों में स्पीड गवर्नर लगे।
- वाहन चलते समय ड्राइवर व कंडक्टर मोबाइल का उपयोग न करें।
- हर छह महीने में फायर और निकासी की मॉक ड्रिल कराई जाए।
- छात्रों की सुरक्षा शिकायतों के लिए तीन अंकों की हेल्पलाइन और मोबाइल ऐप शुरू हो।
- हर बस और वैन में ऑडियो सहित सीसीटीवी कैमरे लगे हों।
- नियम न मानने पर स्कूल प्रबंधन, ड्राइवर व कॉन्ट्रैक्टर पर सख्त कार्रवाई और जुर्माना हो।
आरटीओ की शहर में की गई कार्रवाई, 6 अक्टूबर तक का ब्योरा
1. नोटिस भेजे गए स्कूल बस और वैन 70
2. 70 स्कूल बस में से रद्द किए लाइसेंस 46
3. योग्यता प्रमाण पत्र और लाइसेंस नवीनीकरण के लिए नोटिस 15
4. नवीनिकृत फिटनेस प्रमाण पत्र वाले वैध वाहन 08
5. वह वाहन जिसके लिए 2024 को अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी 01
Created On :   8 Oct 2025 5:42 PM IST