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Nagpur News: संदिग्ध को जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार से वंचित नहीं कर सकते हैं

- राज्य और अदालत की जिम्मेदारी है कि इसका उल्लंघन न हो
- सूर्यास्त के बाद गिरफ्तार की गई महिला को सशर्त जमानत
Nagpur News बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने कहा कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 में निहित "जीवन और स्वतंत्रता' की गारंटी को इस देश के किसी भी नागरिक से, चाहे वह हिरासत में हो या जांच के दौरान संदिग्ध से आरोपी बनाया जा रहा हो, और फिर मुकदमे में दोषी साबित हो, इनकार नहीं किया जा सकता। यह राज्य और अदालत दोनों की जिम्मेदारी है कि वे यह सुनिश्चित करें कि नागरिक के जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार का कोई उल्लंघन न हो, जिसे कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया का पालन किए बिना छीना नहीं जा सकता।
महिला को सशर्त जमानत : न्या. उर्मिला जोशी-फालके ने सूर्यास्त के बाद गिरफ्तार की गई महिला को सशर्त जमानत देते हुए यह महत्वपूर्ण निरीक्षण आदेश में स्पष्ट किया। साथ ही, कोर्ट ने यह भी कहा कि सीआरपीसी (दंड प्रक्रिया संहिता) में यह बताया गया है कि किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता को किस तरह और कितना सीमित किया जा सकता है, और इसके लिए सख्ती से नियमों का पालन करना जरूरी है। गिरफ्तारी की प्रक्रिया में किसी भी नियम का उल्लंघन होने पर उसे गैरकानूनी घोषित किया जा सकता है।
यह है पूरा मामला : याचिकाकर्ता महिला को 30 सितंबर 2024 को गिरफ्तार किया गया और तब से वह जेल में है। यह मामला एक विशेष ऑडिटर की रिपोर्ट के आधार पर दर्ज किया गया, जिसमें आरोप है कि याचिकाकर्ता "बाबाजी दाते महिला सहकारी बैंक लिमिटेड, यवतमाल" की मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) थीं। पहले वह इस बैंक में क्लर्क और शाखा प्रबंधक थीं। ऑडिट में कुछ अनियमितताएं और गैरकानूनी गतिविधियां पाई गईं। पता चला कि याचिकाकर्ता के पति और उनके रिश्तेदारों के नाम पर कई ऋण लिए गए। ये ऋण बिना उचित प्रक्रिया और निदेशक मंडल की मंजूरी के दिए गए, जिससे 1.88 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इस आधार पर याचिकाकर्ता और अन्य सह-आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया।
गिरफ्तारी गैर-कानूनी माना : इस मामले में याचिकाकर्ता महिला ने जमानत के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें याचिकाकर्ता की ओर से तर्क दिया गया कि, गिरफ्तारी सूर्यास्त के बाद हुई, जो सीआरपीसी की धारा 46 के तहत गैरकानूनी है। साथ ही, यह भी दावा किया कि, याचिकाकर्ता के रिश्तेदारों को इसकी सूचना दी गई, लेकिन गिरफ्तारी के कारण रिश्तेदारों को नहीं बताया गया। वहीं, अभियोजन पक्ष भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और सीआरपीसी के प्रावधानों का पालन करने में भी विफल रहा, जो पुलिस को अभियुक्त को लिखित रूप में गिरफ़्तारी के आधार बताने का आदेश देते हैं। कोर्ट ने याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी सूर्यास्त के बाद हुई, जिसे गैरकानूनी माना। गिरफ्तारी के कारण याचिकाकर्ता के रिश्तेदारों को नहीं बताए गए, जो मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। इस कारण कोर्ट ने याचिकाकर्ता महिला को सशर्त जमानत मंजूर की।
महिला को इस समय गिरफ्तार नहीं किया जा सकता : हाई कोर्ट ने अपने आदेश में हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच क्रिश्चियन कम्युनिटी वेलफेयर काउंसिल ऑफ इंडिया बनाम महाराष्ट्र सरकार और अन्य के मामलों का उल्लेख किया, जिसमें महिलाओं की गिरफ्तारी के मामले पर गंभीरता से विचार करते हुए निर्देश दिए गए हैं। ये निर्देश राज्य में महिलाओं की गिरफ्तारी से पहले सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जारी किए गए। इस फैसले के बाद, 2005 के संशोधन अधिनियम द्वारा, जिसमें प्रावधान शामिल किए गए, धारा 46(4) को शामिल किया गया। यह अनिवार्य करता है कि किसी भी महिला को सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले गिरफ्तार नहीं किया जाएगा, सिवाय असाधारण परिस्थितियों में, जिनके लिए भी न्यायिक मजिस्ट्रेट की पूर्व अनुमति आवश्यक है।
Created On :   15 July 2025 11:37 AM IST