Nagpur News: सीमेंट सड़कों का निर्माण रोकने से इनकार, पर्यावरणीय प्रभाव का है मुद्दा

सीमेंट सड़कों का निर्माण रोकने से इनकार, पर्यावरणीय प्रभाव का है मुद्दा
  • जवाब नहीं देने पर हाई कोर्ट ने लगाई फटकार
  • हीट आइलैंड प्रभाव के कारण शहर का तापमान बढ़ने का दावा

Nagpur News शहर में वर्ष 2014 से 2024 तक की दस वर्ष की अवधि में विकसित किए गए 700 किमी लंबी सड़क की सीमेंटीकरण से हो रहे विभिन्न पर्यावरणीय प्रभाव के मुद्दे को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ में जनहित याचिका दायर की गई है। बड़े पैमाने पर कंक्रीटीकरण के कारण विकसित ‘हीट आइलैंड’ प्रभाव के कारण शहर का तापमान बढ़ने का दावा याचिका में किया गया है। इस मामले में अभी तक किसी भी प्रतिवादी ने जवाब दाखिल नहीं किया है। हालांकि, अदालत ने गुरुवार को मौखिक रूप से स्पष्ट किया कि अचानक से काम रोकने का आदेश नहीं दिया जाएगा।

जनहित याचिका में तर्क : जनमंच संस्था के अध्यक्ष राजीव जगताप ने इस मुद्दे को लेकर नागपुर खंडपीठ में यह जनहित याचिका दायर की है। याचिका पर न्यायमूर्ति अनिल पानसरे और न्यायमूर्ति सिद्धेश्वर ठोंबरे की पीठ के समक्ष सुनवाई हुई। याचिका के अनुसार, सीमेंट सड़कों में फ्लाई ऐश और कंक्रीट के मिश्रण का उपयोग किया जाता है। तापीय विद्युत संयंत्रों द्वारा फ्लाई ऐश के निपटान के लिए इसे मुफ्त में वितरित किया जाता है। लेकिन सीमेंट सड़कों में कंक्रीट सही तरीके से इस्तेमाल न किए जाने के कारण फ्लाई ऐश-कंक्रीट का मिश्रण बाहर निकलता है, जिससे सड़क पर महीन धूल फैलती है और नागरिकों को स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही, घटिया निर्माण सामग्री के उपयोग से पेवर ब्लॉक टूट रहे हैं।

नुकसान की दी जानकारी : डामर की तुलना में सीमेंट सड़कों से कार्बन उत्सर्जन अधिक होता है। डामर की सड़कें हाइड्रोकार्बन का मिश्रण होती हैं और ये सस्ती तथा प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होती हैं। इस याचिका में सीमेंट सड़कों से उत्पन्न गर्मी, जलभराव, बाढ़ जैसी स्थिति, कार्बन उत्सर्जन, संसाधनों की खपत, ऊर्जा उपयोग, कचरा उत्पादन, अत्यधिक कार्बन निर्माण और परावर्तन जैसे नुकसानों को उजागर किया गया। याचिकाकर्ता ने सिविल लाइन्स क्षेत्र में सड़कों के सीमेंटीकरण पर रोक लगाने की मांग की है। गुरुवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने उक्त आदेश जारी करते हुए 9 अक्टूबर को अगली सुनवाई तय की है। याचिकाकर्ता की ओर से एड. परवेज मिर्झा, मनपा की ओर से एड. जेमिनी कासट और नासुप्र की ओर से एड. गिरीश कुंटे ने पैरवी की।

जवाब के लिए अंतिम मौका : इस मामले में अदालत ने अप्रैल माह में मनपा, लोक निर्माण विभाग, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) समेत राज्य और केंद्र सरकार को नोटिस जारी की थी और जवाब दाखिल करने के आदेश दिए थे। हालांकि, प्रतिवादियों द्वारा अब तक जवाब नहीं दिए जाने पर गुरुवार को कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने सभी प्रतिवादियों को जवाब दाखिल करने के लिए अंतिम मौका दिया है।

यह जनहित का मुद्दा कैसे? : सीमेंट सड़कें और उनसे जुड़ी परेशानियां जनहित याचिका का मुद्दा कैसे हो सकती हैं? ऐसा मौखिक सवाल इस दौरान अदालत ने उठाया। साथ ही यह मुद्दा भी सामने आया कि इन सड़कों के कारण घरों में पानी भरने की समस्या होती है। दरअसल, 40–50 साल पुराने मकान नीचे दब गए हैं और सीमेंट की सड़कें ऊपर बन गई हैं, जिसके कारण घरों में पानी घुस जाता है। इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने सुझाव दिया कि सीमेंट सड़कों का निर्माण करते समय पुरानी डामरी सड़कें पहले खोदकर फिर नई सड़कें बनाई जानी चाहिए। अदालत ने कहा कि यह मांग व्यावहारिक है या नहीं, इसकी जांच याचिकाकर्ता स्वयं करें। इसके चलते याचिकाकर्ता को अगली सुनवाई में इस विषय पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।


Created On :   19 Sept 2025 12:35 PM IST

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