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Nagpur News: मराठा आरक्षण का जीआर रद्द करो अन्यथा जरूरी सुधार करो : भुजबल

- अपनी ही सरकार और शरद पवार को मंत्री छगन भुजबल ने लिया आड़े हाथ
- मराठा वोट का सवाल चुप रहते हैं ओबीसी नेता
Nagpur News ओबीसी आरक्षण के संरक्षण की मांग के साथ ओबीसी नेता व अन्न आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल ने राज्य सरकार और राकांपा नेता शरद पवार को जमकर आड़े हाथ लिया। उन्होंने कहा कि मराठा आरक्षण के संबंध में एक घंटे में बदला गया जीआर राज्य मंत्रिपरिषद के पास नहीं लाया गया था। उसे रद्द किया जाए अथवा उसमें आवश्यक सुधार करें। भुजबल ने कहा- मराठा को पहले से आरक्षण का जो लाभ मिल रहा है, वह तो ओबीसी को भी नहीं मिल रहा है। हमारी मांग तो यह भी है कि ओबीसी को मराठा के समान आरक्षण का लाभ दिया जाए। आरक्षण को लेकर शरद पवार की भूमिका पहले जैसी नहीं है। कई ओबीसी नेता भी चुप हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि उन्हें खुले वर्ग में चुनाव लड़ना है और मराठा समाज का भी वोट पाना है। गुुरुवार को अखिल भारतीय महात्मा फुले समता परिषद के कार्यकर्ता सम्मेलन में भुजबल बोल रहे थे।
राजनीतिक आरक्षण पाने का प्रयास : भुजबल ने कहा- मराठा को ओबीसी वर्ग में शामिल कर राजनीतिक आरक्षण देने का प्रयास किया जा रहा है। ओबीसी अपने अधिकार को बचाने के लिए संघर्ष कर रहा है। न्यायालय ने पहले ही मराठा समाज को आरक्षण नकार दिया था। फिर भी मराठा के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई। ईडब्ल्यूएस अर्थात आर्थिक तौर से कमजोर वर्ग के लिए लागू 10 प्रतिशत आरक्षण में से 8 प्रतिशत आरक्षण मराठा समाज को मिल रहा है। मराठा समाज के विद्यार्थियों के लिए होस्टल की सुविधा है। होस्टल नहीं होने पर 60 हजार रुपये सालाना सहायता दी जाती है। मराठा समाज के युवाओं को रोजगार के लिए 3 वर्ष में 25 हजार करोड़ रुपये दिए गए। ओबीसी को 25 वर्ष में 2500 करोड़ रुपये दिए गए। यही नहीं, इस वर्ष राज्य सरकार के बजट में मराठा समाज से संबंधित अण्णा साहब पाटील महामंडल को 750 करोड़ रुपये मंजूर किए गए। मागासवर्गीय विकास महामंडल के लिए केवल 5 करोड़ रुपये मंजूर किए गए। इसलिए विधानसभा में भी मांग की जा चुकी है कि ओबीसी को मराठा के समान आरक्षण दिया जाए।
राजनीतिक आरक्षण पाने का प्रयास : भुजबल ने कहा- मराठा को ओबीसी वर्ग में शामिल कर राजनीतिक आरक्षण देने का प्रयास किया जा रहा है। ओबीसी अपने अधिकार को बचाने के लिए संघर्ष कर रहा है। न्यायालय ने पहले ही मराठा समाज को आरक्षण नकार दिया था। फिर भी मराठा के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई। ईडब्ल्यूएस अर्थात आर्थिक तौर से कमजोर वर्ग के लिए लागू 10 प्रतिशत आरक्षण में से 8 प्रतिशत आरक्षण मराठा समाज को मिल रहा है। मराठा समाज के विद्यार्थियों के लिए होस्टल की सुविधा है। होस्टल नहीं होने पर 60 हजार रुपये सालाना सहायता दी जाती है। मराठा समाज के युवाओं को रोजगार के लिए 3 वर्ष में 25 हजार करोड़ रुपये दिए गए। ओबीसी को 25 वर्ष में 2500 करोड़ रुपये दिए गए। यही नहीं, इस वर्ष राज्य सरकार के बजट में मराठा समाज से संबंधित अण्णा साहब पाटील महामंडल को 750 करोड़ रुपये मंजूर किए गए। मागासवर्गीय विकास महामंडल के लिए केवल 5 करोड़ रुपये मंजूर किए गए। इसलिए विधानसभा में भी मांग की जा चुकी है कि ओबीसी को मराठा के समान आरक्षण दिया जाए।
पवार जवाब दें : ओबीसी आरक्षण समिति में केवल ओबीसी प्रतिनिधि शामिल किए जाने के मामले में शरद पवार पर भुजबल ने सवाल दागा। उन्होंने कहा-उद्धव ठाकरे के नेतृत्व की सरकार के समय गठित मराठा समिति में अजित पवार, जयंत पाटील, एकनाथ शिंदे, सुभाष देसाई, अशोक चव्हाण बालासाहब थाेरात का समावेश था। उस समय सरकार के संरक्षक शरद पवार थे। वे जवाब दें कि उस समय उन्होंने क्यों नहीं कहा कि मराठा नेताआें को ही समिति सदस्य क्यों बनाया जा रहा है।
शरद पवार ने यह कहा था... गौरतलब है, शरद पवार ने कहा था कि मराठा समिति में ओबीसी गिरीश महाजन हैं। लेकिन ओबीसी समिति में केवल ओबीसी हैं। भुजबल नेे कहा-शरद पवार ने राज्य में मंडल आयोग की सिफारिश लागू कराई। मैं शिवसेना छोड़ उनके साथ आया। कांग्रेस से अलग होकर राकांपा बनाई, तब भी मैं पवार के साथ ही रहा। लेकिन ओबीसी को लेकर पवार की भूमिका अब पहले से अलग दिख रही है। आरक्षण को लेकर सर्वदलीय बैठक में शामिल होने के लिए निवेदन करने के लिए मैं शरद पवार के पास गया था, लेकिन वे बैठक में नहीं आए थे।
न्यायालय में याचिका : भुजबल ने कहा-मराठा को ओबीसी वर्ग में आरक्षण के विरोध में न्यायालय में रिट याचिकाएं दाखिल की गई है। कुनबी सेना, नाभिक समाज, माली महासंघ, समता परिषद की याचिकाओं पर 2 से 3 दिन में सुनवाई शुरू हो सकती है। जातीय जनगणना होना आवश्यक है।
Created On :   19 Sept 2025 11:44 AM IST