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Nagpur News: टैरिफ मामले को लेकर बोल सरसंघचालक ने कहा - विश्व व्यापार की प्रचलित पद्धति पर निर्भर न रहें

- नेपाल में तख्तापलट को कहा-ऐसी क्रांतियों से कुछ हासिल नहीं होता है
- विश्व विकास की दृष्टि गलत नहीं पर अधूरी है
- निर्भरता जरुरी मगर ये मजूबरी न बन जाएं
- बाहरी ताकत को मिलता है खेल खेलने का मौका
- वाजपेयी ने भी कहा था भीमस्मृति से चलेगी सरकार-कोविंद
Nagpur News. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय वस्तुओं को लेकर छेड़े टैरिफ युद्ध पर संघ ने स्वदेशी व स्वालंबन का मार्ग अपनाने का सुझाव दिया है। सरसंघचालक डॉ.मोहन भागवत ने कहा है कि विश्व का जीवन निर्भरता से चलता है। निर्भरता जरुरी है मगर यह मजबूरी न बन जाएं। हमें स्वदेशी और स्वावलंबी होना पड़ेगा। इनका कोई पर्याय नहीं है। नेपाल में तख्तापलट को लेकर उन्होंने कहा कि ऐसी क्रांतियों से कुछ हासिल नहीं होता है। विकास मामले में नैतिकता के जतन के आव्हान करते हुए कहा कि विश्व विकास की दृष्टि गलत नहीं पर अधूरी है। गुरुवार को रेशमबाग मैदान में संघ के विजयादशमी उत्सव समारोह को सरसंघचालक डॉ.भागवत संबोधित कर रहे थे। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद प्रमुख अतिथि थे। अन्य अतिथियों में देश विदेश के जानेमाने गणमान्य उपस्थित थे। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितीन गडकरी, पालकमंत्री चंद्रशेखर बावनकुले बतौर स्वयंसेवक उपस्थित थे।
टैरिफ की मार सभी पर
सरसंघचालक डॉ.भागवत ने कहा-हमारा देश आर्थिक क्षेत्र में आगे बढ़ें, इसलिए युवा उद्योजकों में उत्साह दिख रहा है। अमेरिका ने टैरिफ नीति उसके हित में अपनायी है। टैरिफ की मार सभी पर पड़ी है। विश्व का जीवन निर्भरता पर चलता है। अकेला राष्ट्र आइसोलेशन में जी नहीं सकता है। दुनिया में व्यापारिक साझेदारी अनिवार्य है। लेकिन निर्भरता मजूबरी न बन जाएं। व्यापारिक साझेदारी की प्रचलित पद्धति के दुष्परिणाम हमारे यहां दिख रहा है।
बाहरी ताकत को मिलता है खेल खेलने का मौका
नेपाल में तख्तापलट को भारत के लिए चिंता का विषय ठहराते हुए सरसंघचालक डॉ.भागवत ने कहा कि ऐसे उथलपुथल की तथाकथित क्रांति से कुछ हासिल नहीं होनेवाला है। अराजकता की स्थिति में देश के बाहर की ताकतों को खेल खेलने का मौका मिलता है। फ्रांस की क्रांति का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि सरकारों या शासकों को हटाने के बाद जो लोग सत्ता में आए वे भी पूंजीवादी बनकर रह गए। यह सही है कि सरकार जनता से दूर रहती है और उनकी समस्याओं से काफी हद तक अनभिज्ञ रहती है, उनके हित में नीतियां नहीं बनाई जाती है तो लोग सरकार के खिलाफ हो जाते हैं। लेकिन अपनी नाखुशी व्यक्त का जो तरीका श्रीलंका, नेपाल में देखा गया वह चिंता का विषय है। ये देश भारत के पड़ोसी ही नहीं भारत के अंग रहे हैं।
विश्व विकास की दृष्टि अधूरी
सरसंघचालक डॉ.भागवत ने आगे कहा कि विश्व विकास की दृष्टि गलत नहीं लेकिन अधूरी है। विज्ञान, तकनीकी की गति अधिक है। मनुष्य की गति से तालमेल नहीं है। कुछ लोगों का विकास होता है तो कुछ लोगों का नहीं हो पाता है। अमीर-गरीब का भेद दिखने लगाता है। अमेरिका को विकसित माना जाता है लेकिन उसे आदर्श नहीं माना जा सकता है। अमेरिका के मामले में अभ्यासक ने कहा है कि वैसा जीवन जीने के लिए और भी 5 पृथ्वी की आवश्यकता है। प्राकृतिक आपदा, भूस्खलन, पर्यावरण संकट से लेकर अन्य विषयों का जिक्र करते हुए सरसंघचालक ने कहा भारतीय संस्कृति आधारित जीवन से ही इन सारी समस्याओं का समाधान होगा।
सरसंघचालक की खास बातें
- -जैसा समाज वैसी व्यवस्था चलेगी। समाज व्यवस्था से समाज के के आचरण में अपेक्षित परिवर्तन आता है। किताबी बातों व भाषणों से परिवर्तन नहीं होगा। परिवर्तन के लिए स्वयं को उदाहरण बनाना होगा।
- -आदत बदले बिना परिवर्तन नहीं होगा। संघ की शाखा आदत बदलने की व्यवस्था है। संघ को लालच व राजनीति में उतरने का आमंत्रण मिला लेकिन संघ ने स्वीकार नहीं किया। स्वयंसेवक 50 वर्ष से शाखा में आ रहे है ताकि आदत न छूटे।
- -हम विपरीत व्यवस्था में काफी आगे निकल चुके हैं। पीछे हुए तो गाड़ी उलट जाएगी। छोटे-छोटे कदमों से लंबी मोड़ लेकर लौटना होगा। अर्थ और काम के पीछे भाग रही दुनिया को धर्म की दृष्टि देनी होगी। भारत से दुनिया को काफी उम्मीदें हैं।
- -हिंदू समाज का एकत्रित होना सुरक्षा की गारंटी है। हिंदवी, भारतीय, आर्य, हिंदू सभी समानार्थी शब्द हैं।
संविधान में प्रत्येक समस्या का समाधान,वाजपेयी ने भी कहा था भीमस्मृति से चलेगी सरकार-कोविंद
संघ के विजयादशमी उत्सव समारोह में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संविधान, जातिभेद,युवा नेतृत्व के विषय पर प्रमुखता से जोर दिया। उन्होंने कहा कि संघ में जातिभेद नहीं है। संघ का संदेश सामाजिक समावेशक है। पूर्व राष्ट्रपति ने कहा-मेरे जीवन पर डॉ.केशव बलिराम हेडगेवार और बाबासाहब आंबेडकर का प्रभाव है। सामाजिक भेद को लेकर डॉ.हेडगेवार ने कहा था कि विदेशियों ने हमें प्रताड़ित किया और हाथ में लाठी थमा दी। स्वतंत्रता के पहले सांप्रदायिकता भड़काने के प्रयास किये जा रहे थे तब बाबासाहब ने अपने करीबियों से कहा था कि हम प्रथम और अंतत: भारतीय है। बाबासाहब कराड में संघ कार्यकर्ताओं से मिले थे। उन्होंने 9 जनवरी 1940 को संघ की सराहना की थी, कहा था कि मतभेद के बाद भी वे संघ कार्य की सराहन करते हैं। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी संघ की प्रतिनिधि सभा के कार्यक्रम में नागपुर में आए थे तब उन्होंने कहा था कि संविधान में प्रत्येक समस्या का समाधान है। 25 नवंबर 1950 को बाबासाहब ने संविधान सभा में एकता और अस्मिता पर जोर दिया था। वर्ष 2001 में लाल किला परिसर में दलित रैली निकाली गई थी। मैं अनुसूचित जाति मोर्चा का अध्यक्ष था। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी ने कहा था-हमारी सरकार दलित, पिछड़ों की भलाई के लिए काम कर रही है। हमारी सरकार मनुस्मृति से नहीं बल्कि भीमस्मृति से चलती है। भीमस्मृति यानी संविधान। पूर्व राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि वे आत्मकथा लिख रहे हैं। ट्रायम इंडियन आफ रिपब्लिकन माय जर्नी नामक आत्मकथा में स्वयंसेवकों से जुड़ा प्रसंग भी है। इसी वर्ष के अंत तक पुस्तक उपलब्ध हो जाएगी।
Created On :   3 Oct 2025 6:28 PM IST