नागपुर यूनिवर्सिटी का शतकोत्तर महोत्सव : फलक पर चमके सितारों को दामन में समेटने की तैयारी

नागपुर यूनिवर्सिटी का  शतकोत्तर महोत्सव :  फलक पर चमके सितारों को दामन में समेटने की तैयारी
  • चर्चित पूर्व छात्रों के नाम एकत्रित कर रहा यूनिवर्सिटी
  • शामिल हैं देश की कई नामी शख्सियत

सौरभ खेकड़े , नागपुर। 100 वर्षों की गौरवशाली यात्रा पूरी कर चुका राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय अपना शतकोत्तर महोत्सव मना रहा है। इसी अवसर पर यूनिवर्सिटी देश-दुनिया में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुके पूर्व छात्रों को अपनी एेतिहासिक स्मारिका में स्थान देने जा रहा है। यूनिवर्सिटी कुलसचिव डॉ. राजू हिवसे ने सभी कॉलेजों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने चर्चित पूर्व छात्रों के नाम यूनिवर्सिटी को भेजें। यह जानकारी निर्धारित ईमेल आईडी centenaryrtmnu@gmail.com पर भेजी या प्रशासकीय भवन में प्रत्यक्ष जमा की जा सकती है।

कई चर्चित नाम हैं : गौरतलब है कि यूनिवर्सिटी से पढ़ाई पूरे करने वाले अनेक जाने-माने नाम हैं। इसमें देश के पूर्व प्रधानमंत्री पी.वी.नरसिम्हाराव, पूर्व मुख्य न्यायाधीश और पूर्व उपराष्ट्रपति मोहम्मद हिदायत उल्लाह, पूर्व मुख्य न्यायाधीश शरद बोबड़े, केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी, पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस जैसे कई नाम चर्चित हैं। गौरतलब है कि शतकोत्तर वर्ष में विश्वविद्यालय द्वारा विवध उपक्रम चलाए जा रहे हैं। विविध व्याख्यान, चर्चासत्र, स्मारिका प्रकाशन जैसे उपक्रम इसमें शामिल है।

ये हैं चर्चित नाम

-पी.वी.नरसिम्हाराव- पूर्व प्रधानमंत्री

-न्या.मोहम्मद हिदायतुल्लाह- पूर्व मुख्य न्यायाधीश और पूर्व उपराष्ट्रपति

-नितीन गडकरी- केंद्रीय मंत्री

-देवेंद्र फडणवीस- पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान उपमुख्मंत्री

-डॉ.विजय भटकर- वैज्ञानिक

-डॉ.श्रीकांत जिचकार- अद्वितीय शख्सियत

-स्वाति दांडेकर- अमेरिकी राजनेता

-उल्हास काशालकर- शास्त्रीय गायक

-पद्मभूषण न्या.चंद्रशेखर धर्माधिकारी- न्यायमूर्ति

-डॉ.एम.ओ.गर्ग- पूर्व महानिदेशक, सीएसआईआर

एक किस्सा, जो इतिहास का हिस्सा है

वर्ष 1923 में स्थापित राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय मध्य भारत के प्रमुख शिक्षा संस्थानों में से एक है। बीते 100 वर्षों में यह विश्वविद्यालय अनेक एेतिहासिक क्षणों का साक्षी रहा है। स्वतंत्रता आंदोलन में भी विवि का अहम योगदान रहा है। बताया जाता है कि वर्ष 1938 में उस्मानिया विवि के छात्र पी.वी.नरसिम्हाराव और उनके साथियों ने अंगरेजी में प्रार्थना गाने का विरोध किया और वंदे मातरम गाने का एलान किया। इससे अंग्रेजी सरकार गुस्से में आ गई और वंदे मातरम गाने की जिद करने वाले नरसिम्हाराव समेत करीब 500 विद्यार्थियों काे निष्कासित कर दिया। नागपुर विवि के तत्कालीन कुलगुरु डॉ. टी.जे. केदार ने अंगरेजों से बिना डरे इन सभी विद्यार्थियों को प्रवेश दिया। इस तरह पी.वी.नरसिम्हाराव नागपुर विश्वविद्यालय के छात्र कहलाए। उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी करके देश के प्रधानमंत्री पद तक का सफर पूरा किया।

Created On :   7 Jun 2023 10:35 AM IST

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