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नागपुर: पदोन्नति की आशा में नई केबिन हुई तैयार
- हेरिटेज इमारत दुरुस्ती में नियमों को किया दरकिनार
- कार्यप्रणाली को लेकर सवालिया निशान
- 8 करोड़ के प्रस्ताव में केबिन का विशेष प्रावधान
- कार्यकारी अभियंताओं को परेशान करने में कोताही नहीं की
डिजिटल डेस्क, नागपुर. राज्य सरकार ने हेरीटेज इमारतों की देखभाल और दुरूस्ती के लिए कड़े नियम बना रखे हैं। ऐसे में पिछले कई सालों से विभागीय आयुक्त कार्यालय की इमारत की अनदेखी हो रही है। पिछले 4 सालों में कई मर्तबा दुर्घटनाओं के बाद लोकनिर्माण विभाग क्रमांक 1 की अनुशंसा पर 8 करोड़ के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। इस प्रस्ताव में 12 माह के भीतर निजी ठेका एजेंसी को इमारत के बाहरी और भीतरी हिस्से की दुरूस्ती करना है। प्रस्ताव में अधिकारियों के कक्ष के भीतर दुरूस्ती और जीर्णोद्धार पर पाबंदी की गई है, लेकिन प्रभारी अधीक्षक अभियंता जनार्दन भानुसे के निर्देश पर नियमों को दरकिनार कर मंडल कार्यालय के केबिन को 12 लाख के खर्च से संवारा गया है। इतना ही नहीं केबिन के फर्नीचर को भी बदला गया है।
8 करोड़ के प्रस्ताव में केबिन का विशेष प्रावधान
लोकनिर्माण विभाग क्रमांक 1 ने पिछले साल विभागीय आयुक्त कार्यालय की हेरीटेज इमारत के जीर्णोद्धार प्रस्ताव को मंजूर किया है। करीब 8 करोड़ की लागत से इमारत के बाहरी और भीतरी हिस्सों की दुरूस्ती करना है। निजी ठेका एजेंसी संदीप गुप्ता को इस साल मई में कार्यादेश देकर 1 साल के भीतर कामों को पूरा करने का निर्देश दिया गया है। पूरे प्रस्ताव में अधिकारियों के कक्ष के जीर्णोद्धार को शामिल नहीं किया गया है, लेकिन तमाम नियमों को ताक पर रखकर प्रभारी अधीक्षक अभियंता भानुसे के कक्ष पर करीब 12 लाख रुपए से भीतरी दुरूस्ती की गई है। केबिन के भीतर की आंतरिक छत की सजावट कराई गई है। इसके अलावा कक्ष में फर्नीचर भी लगाया गया है।
कार्यप्रणाली को लेकर सवालिया निशान
सूत्रों के मुताबिक पदोन्नति के बाद स्थायी पदभार मिलने की उम्मीद में केबिन को दुरूस्त कर दिया गया है। हालांकि विभाग के कार्यकारी अभियंता, अन्य अधीक्षक अभियंता समेत आला अधिकारी नाखुश हैं, लेकिन प्रभारी अधीक्षक अभियंता की ऊंची पहुंच के चलते कोई भी पहल नहीं कर पा रहे हैं। लोकनिर्माण विभाग के मंडल कार्यालय में प्रभारी अधीक्षक अभियंता का पदभार संभाल रहे जनार्दन भानुसे के केबिन को हाल ही में चमकाया गया है। इससे पहले भी भानुसे की कार्यप्रणाली को लेकर सवालिया निशान लगते रहे हैं। करीब डेढ़ साल पहले लोकनिर्माण विभाग क्रमांक 1 के कार्यकारी अभियंता के रूप में उनका कार्यकाल समाप्त हुआ। अधीक्षक अभियंता के रूप में पदोन्नति के लिए प्रयासरत होने के चलते शहर में ही दक्षता एवं गुणवत्ता सनियंत्रण के कार्यकारी अभियंता पद पर नियुक्ति कराई। इस नियुक्ति से पहले ही कनिष्ठ अभियंता के माध्यम से दक्षता एवं गुणवत्ता सनियंत्रण विभाग में बैठक हॉल को केबिन के रूप में तब्दील करा लिया था। अब पिछले 10 माह से अधीक्षक अभियंता का प्रभारी पद अपने पास रहते हुए स्थायी नियुक्ति के लिहाज से विभागीय आयुक्त इमारत के मंडल कार्यालय के कक्ष का भी जीर्णोद्धार कराया गया है।
कार्यकारी अभियंताओं को परेशान करने में कोताही नहीं की
पिछले साल दिसंबर माह में तत्कालीन अधीक्षक अभियंता दिनेश नंदनवार को पदोन्नति मिली। मुख्य अभियंता एस डी दशपुत्रे को राज्य में लोकनिर्माण विभाग का सचिव बनाने के चलते मुख्य अभियंता के रूप में दिनेश नंदनवार ने पदभार संभाला। अधीक्षक अभियंता का पदभार रिक्त होने से अधिकारियों की खोजबीन आरंभ की गई। प्रभारी अधीक्षक अभियंता के रूप में लीना उपाध्ये, अश्विनी हुगे, सुषमा बोन्द्रे समेत अन्य अधिकारी भी मौजूद थे, लेकिन सभी वरिष्ठ अधिकारियों की अनदेखी कर जनवरी माह में दक्षता एवं गुणवत्ता सनियंत्रण विभाग के कार्यकारी अभियंता जनार्दन भानुसे को अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया। पदभार संभालने के बाद से ही विभाग के समकक्ष कार्यकारी अभियंताओं को परेशानी में डालने में जनार्दन भानुसे ने कोताही नहीं की है। इतना ही नहीं दो अन्य विभागों के उप अभियंता को अपने कक्ष में बुलाकर रखा जाता है। इन अभियंताओं के माध्यम से वरिष्ठ कार्यकारी अभियंताओं पर दबाव भी बनाया जा रहा है।
Created On :   5 Nov 2023 5:20 PM IST