हड़ताल: बार-बार के आश्वासन से त्रस्त होकर निवासी डाक्टरों ने शुरू की हड़ताल, स्वास्थ्य सेवा प्रभावित

बार-बार के आश्वासन से त्रस्त होकर निवासी डाक्टरों ने शुरू की हड़ताल, स्वास्थ्य सेवा प्रभावित
  • मेयो और मेडिकल अस्पताल के 1000 से अधिक डॉक्टर शामिल
  • मार्ड की तरफ से अधिष्ठाता, चिकित्सा अधीक्षक व चिकित्सा मंत्री को दिया पत्र
  • समय पर स्टाइपेंड मिलने की प्रमुख मांग शामिल

डिजिटल डेस्क, नागपुर। सरकार के बार-बार के आश्वासन के बाद उसकी पूर्तता नहीं होने से निवासी डॉक्टर्स त्रस्त हो चुके हैं। इसलिए गुरुवार शाम 5 बजे से निवासी डॉक्टर्स हड़ताल पर चले गए हैं। मेयो व मेडिकल के मिलाकर 1000 से अधिक डॉक्टर्स हड़ताल पर हैं। इस हड़ताल को लेकर महाराष्ट्र एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स (मार्ड) की तरफ से अधिष्ठाता, चिकित्सा अधीक्षक व चिकित्सा मंत्री को पत्र दिया गया है।

बैठक के बाद भी पूरा नहीं हुआ आश्वासन : इसी साल जनवरी में हुई हड़ताल के बाद सेंट्रल मार्ड के पदाधिकारी व उपमुख्यमंत्री अजित पवार व चिकित्सा शिक्षा मंत्री के साथ बैठक हुई थी। इस बैठक में मांगें पूरी करने का आश्वासन दिया गया था। इसके बाद 7 फरवरी को हड़ताल वापस ली गई, लेकिन अब तक मांगें पूरी नहीं की गई हैं। इसलिए फिर एक बार मार्ड के निवासी डॉक्टरों ने गुुुरुवार की शाम 5 बजे से हड़ताल शुरू कर दी है। सूत्रों ने बताया कि हड़ताल में मेडिकल के 693 और मेयो के 350 मिलाकर कुल 1043 निवासी डॉक्टर्स शामिल होने का अनुमान व्यक्त किया गया है।

स्टाइपेंड व छात्रावास की प्रमुख मांग : निवासी डॉक्टरों की मांगों में समय पर स्टाइपेंड मिलने की प्रमुख मांग है। सेंट्रल मार्ड ने 2023 में विद्यावेतन को लेकर हड़ताल की थी। उस समय हर महीने में 10 तारीख को विद्या वेतन देने की मांग की थी। इसके अलावा निवासी डॉक्टरों के लिए पर्याप्त संख्या में व सुविधाजनक छात्रावास निर्माण करने की मांग की गई थी। उस समय सरकार ने आश्वासन दिया था, लेकिन इसकी पूर्ति नहीं की गई।

पिछले 5 साल से झेल रहे परेशानी : मेडिकल में पिछले पांच साल से छात्रावास निर्माण का काम निधि के अभाव में धीमी गति से चल रहा है। एक- एक कमरे में 4 या इससे अधिक निवासी डॉक्टरों को रहना पड़ रहा है। जिले के दो बड़े शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल (मेडिकल) व दूसरा इंदिरा गांधी शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल (मेयो) का अधिकतर कामकाज निवासी डॉक्टरों के भरोसे चलता है। ओपीडी में कार्ड निकालने के बाद विविध विभागों में जांच समेत अन्य कार्य निवासी डॉक्टरों की मदद से ही पूरा होता है। पूरे राज्य में यही स्थिति है। निवासी डॉक्टरों द्वारा दिन- रात सेवा देने के बावजूद सरकार उनकी मूलभूत सुविधाओं की अनदेखी करती है। इसके अलावा उनकी अनेक समस्याओं व मांगों पर विचार नहीं किया जाता। सरकार ने आश्वासन दिया था, लेकिन इसकी पूर्ति नहीं की गई। हर बार ऐसी ही भूमिका लिए जाने से अब निवासी डॉक्टर्स आक्रोशित हैं।

Created On :   23 Feb 2024 4:57 AM GMT

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