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मेडिकल हास्पिटल में घोटाला, भुगतान की रसीद में भी हेराफेरी
डिजिटल डेस्क, नागपुर। शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल (मेडिकल) में घोटाले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। कुछ महीने पहले स्वच्छता निरीक्षकों का घोटाला उजागर हुआ था। हाल ही में यहां नए तरीके के घोटाले होने की जानकारी सामने आई है। यहां आनेवाले मरीजों को पहले नियमानुसार सामान्य वर्ग के बिलों के भुगतान की रसीद दी जाती है। बाद में यह रिकॉर्ड ही बदल दिया जाता है। नए रिकॉर्ड में मरीज को बीपीएल बताकर उसके बिलों की रसीद की राशि बदलकर शून्य कर दी जाती है, या पूरी रसीद के हिसाब से 10 या 20 फीसदी राशि दिखाई जाती है। यह सब ऑनलाइन किया जाता है। मरीज से भुगतान के रूप में वसूली गई राशि हेरा-फेरी गबन की जाती है। मेडिकल प्रबंधन को ऐसे मामलों की शिकायत मिली है। इसकी जांच शुरू है, ऐसा दावा किया गया है। जबकि इस बारे में जांच पूरी होने तक कोई अधिकारी कुछ भी कहने को तैयार नहीं हैं।
एक मामला, बहुत कुछ कर रहा उजागर : मेडिकल के इस एक मामले से घोटाले की गंभीरता को समझा जा सकता है। सूत्रों के अनुसार, मेडिकल द्वारा जारी एक बिलिंग रसीद के अनुसार 39 साल के पुरुष मरीज ने सात तरह की जांच कराई है। इसके बदले मरीज ने 570 रुपए का भुगतान किया है। इस मरीज की रसीद बनाने वाले का नाम राकेश अलघारे लिखा है। मरीज को सामान्य वर्ग का दिखाया गया है। रसीद पर सर्जरी कैज्युअल्टी डिपार्टमेंट का उल्लेख है, जबकि डॉक्टर के नाम पर ऑन ड्यूटी सीएमओ लिखा गया है। इस पर अप्वाइंटमेंट डेट 13 जून 2023 लिखी गई है। यह कम्प्यूटराइज्ड रसीद है। इसके बाद दूसरी रसीद बनाई गई है। इसमें 12 जून को ओपीडी के 20 रुपए का उल्लेख किया गया है। इसी रसीद में 13 जून को आठ तरह की जांच दिखाई गई है। इसमें अंतिम आठवीं जांच एचबीएसएजी रैपिड टेस्ट के 100 रुपए का उल्लेख किया गया है। पहले की रसीद में सात तरह की जांच का टोटल भुगतान 570 दिखाकर नकद वसूला गया है, जबकि दूसरी रसीद में पहले की रसीद के अनुसार उल्लेखित सात जांचों के लिए भुगतान शून्य दिखाया गया है। नई रसीद में भुगतान राशि 120 रुपए दिखाया गया है। पहले की रसीद का सामान्य मरीज इस रसीद में बीपीएल बताया गया है। इस तरह एक ही मरीज का दो तरह से िरकॉर्ड तैयार किया गया है।
570 रुपए लिए, हेराफेरी कर हुए 120 रुपए : जानकारी के अनुसार जब मरीज से 570 रुपए वसूले गए हैं तो उसके नाम पर दोबारा 120 रुपए की रसीद क्यों बनाई गई है। यह बड़ा सवाल है। इसका सीधा सा अर्थ है कि 570 वसूलकर केवल 120 रुपए मेडिकल के खाते में जमा किया गया है। इस मामले में 450 रुपए का गबन हुआ है। सूत्रों ने बताया कि दिन भर में करीब 8 से 10 मरीजों के बिलों की रसीद से साथ ऐसा किया जाता है। रसीदों में आंकड़े बदलकर कुल भुगतान की राशि का 20-25 फीसदी मेडिकल के खाते में जमा कर बाकी राशि का गबन किया जाता है। यह मामला मेडिकल के भुगतान काउंटर क्रमांक 66 पर होने की जानकारी सूत्रों ने दी है। इस मामले को लेकर मेडिकल प्रबंधन के पास पहले भी शिकायतें पहुंच चुकी हैं। इसकी जांच चल रही है।
शिकायत मिली जांच चल रही है : इस विषय की शिकायत मिली हैं। इसकी जांच चल रही है। फिलहाल इस पर कुछ कहना उचित नहीं है। कुछ ही दिनों में इस मामले की जांच पूरी हो जाएगी। उसके बाद ही पूरी जानकारी दी जा सकती है। -डॉ. शरद कुचेवार, चिकित्सा अधीक्षक, मेडिकल नागपुर.
कामकाज आसान, गबन की मिली राह : सूत्रों ने बताया कि करीब 4 महीने से ऐसा चल रहा है। हर रोज 4-5 हजार रुपए का गबन भी हो तो 4 महीने में 5 लाख से अधिक रुपए का गबन हो चुका है। जबसे ऑफलाइन से ऑनलाइन सिस्टम शुरु हुआ है, तब से मामले सामने आने लगे हैं। सबसे बड़ी बात तो यह है कि आखिर ऐसा कैसे संभव हो पा रहा है। शिकायत मिलने के बाद भी इतने गंभीर मामले की तुरंत जांच क्यों नहीं की गई, यह भी बड़ा सवाल है। मेडिकल में कुछ महीने पहले हाजिरी घोटाला उजागर हुआ था। उसमें अनुपस्थित कर्मचारियों की उपस्थिति दिखाकर पूरा वेतन लाभ लिया जाता था। बाद में इस मामले की जांच की गई थी, जिसमें एक महिला स्वच्छता निरीक्षक को दोषी पाया गया था। उसका तबादला किया गया।
भुगतान रसीद, भी ऑनलाइन : सरकार ने सरकारी अस्पतालों के कामकाज को तकनीक से जोड़ने के लिए एचएमआईएस (हॉस्पिटल मैनेजमेंट इंफॉरमेशन सिस्टम) ऑनलाइन सेवा शुरू की थी। 2018 से यह प्रणाली पूरी तरह अमल में आई। इसमें कभी सर्वर डाउन, कभी बिजली गुल, कभी कम्प्यूटर में खराबी आदि कारणों के चलते परेशानी बढ़ गई थी। एचएमआईएस से अधिकतर सेवाएं ऑनलाइन मिलने लगी थी। समस्या के चलते 15 जुलाई 2022 से यह सेवा बंद हो गई। बाद में सभी काम मैन्युअली किये जाने लगे। मैन्युअली के कारण काम करने में दिक्कतें आने लगी। इसलिए मेडिकल प्रबंधन ने कुछ सेवाएं ऑनलाइन शुरू की है। इसमें भुगतान की रसीद का भी समावेश है।
Created On :   16 Jun 2023 11:53 AM IST