ठगी का जाल: नेतापुत्रों काे आसानी से शिकार बनाता रहा सोंटू

नेतापुत्रों काे आसानी से शिकार बनाता रहा सोंटू
  • कसीनो गेम के माध्यम से फैलाया ठगी का जाल
  • गोंदिया के एक बड़े नेता पुत्र से भी मित्रता की
  • शिकार बनाता रहा सोंटू

डिजिटल डेस्क, नागपुर. ऑनलाइन जुए के माध्यम से करोड़ों की जालसाजी के आरोपी अनंत उर्फ सोंटू जैन के कारनामों के किस्से बढ़ते ही जा रहे हैं। खबर है कि, सोंटू ने सबसे अधिक उन नेतापुत्रों को शिकार बनाया, जो मौज-मस्ती के लिए भी लाखों रुपए उड़ाने को तैयार रहते हैं। पुत्रों को बचाने के लिए उनके पिता राजनीतिक पहुंच का भरपूर इस्तेमाल कर रहे हैं। सूत्र के अनुसार सोंटू ने करीब डेढ़ दशक पहले से ही जुआं-सट्टा के खेल में दांव आजमाना शुरु कर दिया था। उसने सबसे पहले मध्यप्रदेश के बालाघाट में कसीनों कैफे खोला। कसीनों के लिए उसने इम्पोर्टेड मशीन आयात की थी। उन दिनों वह बाइक से गाेंदिया से बालाघाट आना-जाना करता था। बालाघाट में रेत, खनिज व अन्य क्षेत्र में कालाबाजारी में लिप्त लोगों को वह कसीनों का शौक लगाता रहा। विशेषकर नेता पुत्रों को कसीनों का शौकीन बनाने के लिए मौज-मस्ती कराता रहा। बाद में वह गोंदिया में कसीनों चलाने लगा।

गोंदिया के एक बड़े नेता पुत्र से भी मित्रता की : सोेंटू ने अपने भाई मोंटू के मित्र एक नेता पुत्र से मित्रता कर ली। गोंदिया जिले की राजनीति में प्रभाव रखने वाले उस नेता पुत्र ने सोंटू की मदद रियल स्टेट कारोबार में ली। राजनीतिक लोगों को विविध कार्यक्रमों के आयोजन के लिए सोंटू आर्थिक मदद भी करता रहा। यहां तक कि एक पूर्व राज्यमंत्री से भी उसके काफी अच्छे संबंध बन गए। नोटबंदी के समय नागपुर में एक युवा नेता के फ्लैट से लाखों के नोट फेंके जाने की चर्चा थी। बताते हैं कि, वह नेता, सोंटू को कई मामले में संरक्षण देता रहा।

सोंटू के खास में एक पूर्व सांसद का बेटा भी : नागपुर के ही सदर क्षेत्र में सोंटू की एक संपति लाखों के किराए पर दी गई है। एक क्लब में युवाआें के लिए मौज-मस्ती की व्यवस्था करायी जाती रही है। वही पर ऑनलाइन जुए के नए शिकार भी फांसे जाते रहे। सोंटू के खास माने जाने वाले युवाओं में एक पूर्व सांसद का बेटा भी शामिल है।

काले कारोबारियों के लिए सफेद धंधा : सूत्र के अनुसार सोंटू ने कुछ काले कारोबारियों को भी मदद की। दिसंबर 2016 में उसने नागपुर के दो कारोबारी भाई अमित व मनीष को चावल निर्यात के कारोबार में शामिल कराया। वह कारोबार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैला। उस कारोबार में विक्रांत अग्रवाल भी शामिल हुआ। विक्रांत वही शख्स है जिसकी शिकायत पर सोंटू के विरोध में पुलिस व आयकर विभाग ने जांच शुरु की है। चावल निर्यात के कारोबार के चलते अमित, मनीष व विक्रांत का नेटवर्क देश भर में फैल गया। जानी मानी चावल कंपनियां इनके माध्यम से चावल निर्यात करने लगी, लेकिन 2018 के बाद चावल निर्यात के कारोबार में मंदी आ गई। उसके बाद सोंटू ने कुछ कारोबारियों की मदद से भोपाल में कचरा निस्तारण कारोबार में दांव आजमाया। बताते हैं कि, इस दौरान सोंटू मध्यप्रदेश के कुछ मंत्री व वरिष्ठ नेताओं के संपर्क में आया।

Created On :   17 Sept 2023 7:10 PM IST

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