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हाईकोर्ट ने कहा- महिला नोटरी तो इस षड्यंत्र का "मास्टर स्ट्रोक'
डिजिटल डेस्क, नागपुर। कथित फर्जी वसीयत प्रकरण में सह-आरोपी महिला नोटरी को दोषमुक्त करने से बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने इनकार कर दिया है। हाई कोर्ट ने निचली अदालत के उस आदेश को खारिज किया, जिसके तहत महिला को दोषमुक्त किया गया था। महिला नोटरी की इस पूरे मामले में दलील ये थी कि वसीयत तैयार करने में उसका कोई लेना-देना नहीं था। उसने सत्यापन करके केवल नोटरी का आधिकारिक कार्य किया है। नोटरी अधिनियम के तहत उसे ऐसे मामलों में कानूनी संरक्षण प्राप्त है। लेकिन प्रकरण में ठोस सबूतों को देखते हुए हाई कोर्ट ने उसकी दलीलों को न सिर्फ खारिज किया, बल्कि यह टिप्पणी भी की कि फर्जी वसीयत तैयार करने के इस मामले में नाेटरी ने आरोपियों का साथ दिया, यह षड्यंत्र में एक -"मास्टर स्ट्रोक' था।
मामला यह है
शिकायतकर्ता के अनुसार उसके पति का निधन हो चुका था। इसके बाद संपत्ति के मालिक उसके ससुर लकवाग्रस्त हो गए, तो उन्हें आईसीयू में भर्ती कराया गया। जहां वे कोमा में चले गए और कुछ ही दिनों में उनकी मृत्यु हो गई। इसी दौरान ससुराल वालों ने एक अवैध वसीयत बनाई, जिसमें महिला को कुछ नहीं दिया गया। इसके बाद उसने ससुराल वालों और महिला नोटरी के खिलाफ अमरावती के कोतवाली थाने में शिकायत दर्ज कराई। महिला नोटरी पर आरोप है कि उसने इस अवैध वसीयत को सत्यापित किया था। वहीं, शिकायतकर्ता की दलील थी कि जिस दिन वसीयत सत्यापित की गई, उस वक्त उसके ससुर बेहोश थे। उस पूरे दिन आरोपियों में कोई भी उनसे मिलने अस्पताल नहीं गया था। इसलिए यह वसीयत फर्जी है। मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद जेएमएफसी न्यायालय ने महिला नोटरी को इस मामले से बरी कर दिया। शिकायतकर्ता महिला ने जेएमएफसी न्यायालय के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी।
आगे से विशेष आदेश निकालें
नियमानुसार किसी नोटरी पर आपराधिक मामला दर्ज करने के लिए केंद्र या राज्य सरकार की मंजूरी मिलनी चाहिए। इस प्रकरण में महिला नोटरी पर सीधे पुलिस ने अापराधिक मामला दर्ज करके चार्जशीट दायर कर दी। इस पर हाई कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से पूछा था कि क्या उन्होंने एक नोटरी पर इस तरह आपराधिक मामला दर्ज करने की कोई लिखित अनुमति दी थी। दोनों सरकारों ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने ऐसा किसी भी प्रकार का आदेश जारी नहीं किया। हाई कोर्ट ने भविष्य में इस प्रकार के मामलों में आपराधिक मामला दर्ज करने के लिए केंद्र सरकार और राज्य के विधि व न्याय विभाग के प्रधान सचिव को विशेष आदेश जारी करने को कहा है। यह सरकारी आदेश राज्य के पुलिस महासंचालक के पास जाएगा, जहां से इसे संबंधित जांच अधिकारी को भेजा जाएगा।
Created On :   9 Jun 2023 3:27 PM IST