परेशानी - अब सोयाबीन पर अज्ञात वायरस का अटैक, किसान चिंतित

परेशानी - अब सोयाबीन पर अज्ञात वायरस का अटैक, किसान चिंतित
  • सोयाबीन पर अज्ञात वायरस का अटैक
  • किसान चिंतित

डिजिटल डेस्क, कोंढाली. काटोल तहसील में जामनी सहित अन्य परिसर में बीजोत्पादन के लिए गर्मी की सोयाबीन की फसल किसानों ने ली, लेकिन ऐन फल्लियां आने के दिनों में फसल पर अज्ञात वायरस का अटैक देखने मिल रहा है। इससे किसानों की चिंता बढ़ गई हैं। वहीं कृषि विभाग भी समस्या से अनभिज्ञ बताया जा रहा है।

कोंढाली के सोयाबीन उत्पादक किसान वीरेंद्रसिंह व्यास ने 28 अगस्त को अपने खेत के 15 एकड़ में बोई सोयाबीन की हरीभरी फसल अचानक दो दिन में सूखने की जानकारी काटोल कृषि विभाग को दी। कोंढाली के सोयाबीन उत्पादक किसानों ने बताया कि कोंढाली क्षेत्र में गत दो-तीन दिनों में सोयाबीन के पौधे सूखते नजर आ रहे हैं। इससे किसान फिर एक बार आर्थिक संकट से घिर गए हैं।

तहसील के कोंढाली, मेटपांजरा कृषि मंडल के निवासी किसान गौरव धांडे, वीरेंद्रसिंग व्यास ने सोयाबीन की फसल ली। करीब 14 एकड़ में खेत में बीजोत्पादन के लिए गर्मी की सोयाबीन फसल की बुआई की। खेती में खड़ी सोयाबीन के फसल खाद, औषधि का छिड़काव, व अन्य सामग्री के लिए करीब 85 हजार रुपए का खर्च आया। समय-समय पर पानी का उचित नियोजन किया़ इससे सोयाबीन की फसल लहलहाई़ पौधों को फूल व फल्लियां भी अच्छी देखने मिल रही थी़ फलस्वरुप अच्छी उपज होने की उम्मीद किसान को थी़ परंतु विगत दो-तीन दिनों से अज्ञात वायरस के अटैक से उनकी उम्मीदों पर पानी फिरता नजर आ रहा है।

अब स्थिति ऐसे बन गई है कि, किसानों को लागत खर्च निकलना तो दूर सोयाबीन की फसल पर रोटावेटर चलाने की नौबत आ गई है। वहीं अब यह सवाल सता रहा है कि‌ बैंक फसल ऋण, खाद तथा किटकनाशक दवा के छिड़काव के साथ ही मजदूरों के खर्च का भुगतान कैसे किया जाए? बताया जा रहा है कि, कई साल पहले वर्ष 1920‌‌ तथा 1965 के दौरान अगस्त माह में अचानक प्राकृतिक सूखा जैसी विपदा की मार यहां के किसानों पर आन पड़ी है‌। इस वर्ष सोयाबीन फसल पर कुछ हद तक किसानों की उम्मीदें टिकी थी। वहीं फसल आगामी मौसम के लिए बीजोत्पादन के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है। लेकिन अब अज्ञात वायरस के प्रकोप से सोयाबीन की फसल हाथ से निकलती दिखाई दे रही है। इस संबंध में कृषि विभाग से शिकायत करने पर कृषि अधिकारी विक्रम भावारी ने कृषि सहायकों के साथ मंगलवार को गांव में पहुंचे। संबंधित किसानों के खेतों में जाकर सोयाबीन की फसल पर हो रहे अज्ञात वायरस के प्रकोप का निरीक्षण किया। बताया जा रहा है कि, अचानक बारिश रुक जाने से सोयाबीन की फसलों पर सफेद मक्खी का प्रकोप बढ़ रहा है। सफेद मक्खी के प्रकोप से "येलोवेन मोजक्याक' नामक वायरस के प्रकोप के चलते किसानों की सोयाबीन की फसलें अचानक सूखने लगी है। "येलोवेन मोजक्याक' वायरस का प्रकोप रोकने के लिए एसिटामाप्रिड नामक किटक नाशक कृषि औषधि का छिड़काव करने की जानकारी दी। इस अवसर पर किसान गौरव धांडे, वीरेंद्रसिंह व्यास, महेंद्र ठवले, बाबूराव ठवले, बंटी देवतले, राजू नारनवरे आदि किसानों के खेतों में सोयाबीन की फसल पर भी सफेद मक्खी का प्रकोप दिखाई दे रहा है। निरीक्षण दौरे में कृषि पर्यवेक्षक गुलशन वानखेड़े, कृषि सहायक प्रभाकर कुंभरे आदि उपस्थित थे।

कृषि सहायकों की भारी कमी : एक ओर किसान नैसर्गिक आपदा से जूझ रहे हंै। ऐसे में किसानों को मार्गदर्शन तथा कृषि विषयक जानकारी के लिए तहसील कृषि अधिकारी प्रभारी है। कोंढाली राजस्व मंडल में १२ कृषि सहायकों की नियुक्ति हैं, लेकिन सिर्फ चार कृषि सहायक ही कार्यरत हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार "येलोवेन मोजक्याक' वायरस का प्रकोप कोंढाली तथा मेटपांजरा कृषि मंडल क्षेत्र में पैर पसार रहा है। फलस्वरूप किसानों को सोयाबीन की‌ फसल को बचाने में भारी कठिनाई झेलनी पड़ रही है। किटकनाशक दवा औने-पौने दामों पर मिलने से समस्या और भी बढ़ रही है। यह जानकारी सोयाबीन उत्पादक किसानों ‌ने दी हैं।


Created On :   31 Aug 2023 6:08 PM IST

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