यूनिवर्सिटी ने कदम पीछे खींचे - नई शिक्षा नीति इस साल लागू नहीं होगी

यूनिवर्सिटी ने कदम पीछे खींचे - नई शिक्षा नीति इस साल लागू नहीं होगी
  • इसी शैक्षणिक सत्र से प्रथम वर्ष पाठ्यक्रमों में नई शिक्षा नीति लागू नहीं
  • कॉलेजों का था विरोध
  • धूमधाम से नई शिक्षा नीति लागू करने की घोषणा की थी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। इसी शैक्षणिक सत्र से प्रथम वर्ष पाठ्यक्रमों में नई शिक्षा नीति लागू करने के अपने फैसले से राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय ने अपने कदम पीछे खींच लिए हैं। दरअसल 5 जून को नागपुर विश्वविद्यालय ने बड़े धूमधाम से नई शिक्षा नीति लागू करने की घोषणा की थी। कॉलेजों, सीनेट सदस्यों और शिक्षाविदों के भारी विरोध के बीच विश्वविद्यालय ने यह फैसला लिया है। इधर, राज्य उच्च शिक्षा मंत्री चंद्रकांत दादा पाटील ने कुछ ही दिनों पूर्व बयान दिया था कि नई शिक्षा नीति पर एक राज्य स्तरीय समिति बनेगी, जिसमें विविध विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधि मिल कर सामयिक दिशा-निर्देश बनाएंगे, उसके बाद ही इस नीति को लागू किया जाएगा। वहीं, दूसरी ओर विश्वविद्यालय ने इसी सत्र से शिक्षा नीति लागू करने की घोषणा कर दी थी, जो शिक्षा मंत्री के बयान के ठीक उलट थी। इस पर विवि में हंगामा होते ही विवि अधिकारियों ने अपने कदम पीछे खींच लिए। मंगलवार को नई अधिसूचना निकाल कर नई शिक्षा नीति लागू नहीं करने की घोषणा की, लेकिन इसमें कोई भी कारण नहीं बताया। अधिकारियों से संपर्क करने पर वे भी मौन साधे रहे।

राज्यपाल से शिकायत

इधर, सीनेट सदस्य एड.मनमोहन बाजपेयी ने राज्यपाल को पत्र लिख कर विवि द्वारा आधी अधूरी तैयारी के साथ शिक्षा नीति लागू करने की शिकायत की थी। उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्री पाटील ने नई शिक्षा नीति लागू करने के पूर्व एक संयुक्त समिति द्वारा मार्गदर्शक दिशा-निर्देश जारी करने की बात कही और विश्वविद्यालय को अगले वर्ष इसके अनुसार ही प्रारूप तैयार करने को कहा। लेकिन इधर नागपुर विवि आनन-फानन में शिक्षा नीति लागू कर रहा है, इससे शिक्षा वर्ग में भ्रम फैला है। ऐसे में नागपुर विश्वविद्यालय के अधिकारियों को अपनी भूमिका स्पष्ट करने और नई शिक्षा नीति का विस्तृत प्रारूप वेबसाइट पर प्रकाशित करने का आदेश दिया जाए।

कॉलेजों का था विरोध

15 जून से कॉलेजों में प्रवेश प्रक्रिया शुरू करने की घोषणा के ठीक 10 दिन पूर्व 5 जून को विवि ने नई शिक्षा नीति लागू करने का फैसला ले लिया। इसके लिए कॉलेजों से कोई संवाद नहीं साधा गया। न तो कॉलेज प्राचार्यों और न ही शिक्षकों को कोई जानकारी थी कि नई शिक्षा नीति कैसे लागू करनी है। प्राचार्यों की कार्यशाला भी महज खानापूर्ति साबित हुई।

Created On :   14 Jun 2023 2:52 PM GMT

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