एक के पीछे एक चलेंगी ट्रेनें, नहीं होगी टक्कर

एक के पीछे एक चलेंगी ट्रेनें, नहीं होगी टक्कर
  • नागपुर से भिलाई के बीच ऑटोमोटिक सिग्नलिंग प्रणाली शुरू
  • एक के पीछे एक चलेंगी ट्रेनें

डिजिटल डेस्क, नागपुर. दपूम रेलवे नागपुर मंडल में सिग्नलिंग प्रणाली ऑटोमेटिक होने से अब ट्रेनों का संचालन सुगम हो गया है। अभी तक एक सेक्शन में एक ही ट्रेन चलने की अनुमति थी, लेकिन अब एक सेक्शन में ही एक से ज्यादा ट्रेनें एक के पीछे एक दौड़ेंगी। हाल ही में नागपुर से भिलाई 279 किमी पर इस तकनीक को साकार किया गया है। ऐसे में इस सेक्शन में जहां एक ओर ट्रेनों को तेजी मिलने वाली है, वहीं दूसरी ओर इनकी संख्या में भी इजाफा होने से यात्रियों को सुविधाओं में लाभ मिलेगा।

तकनीकी खामी आने पर रुक जाएंगी गाड़ियां

बदलते वक्त के साथ आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे ने अपने सिग्नल सिस्टम में भी बदलाव किया है। इसी क्रम में अब स्वचलित ब्लॉक सिग्नलिंग प्रणाली यानी ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया जा रहा है। ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग सिस्टम में दो स्टेशनों की निश्चित दूरी पर सिग्नल लगाए जाते हैं। नई व्यवस्था में स्टेशन यार्ड के एडवांस स्टार्टर सिग्नल से आगे लगभग एक से डेढ़ किमी पर सिग्नल लगाए गए हैं, जिसके फलस्वरूप सिग्नल के सहारे ट्रेनें एक-दूसरे के पीछे चलती रहती हैं। अगर किसी कारण से आगे वाले सिग्नल में तकनीकी खामी आती है, तो पीछे चल रही ट्रेनों को भी सूचना मिल जाएगी। जो ट्रेन जहां रहेगी, वह वहीं रुक जाएगी।

इंतजार नहीं करना पड़ता

ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नल सिस्टम के लागू होने से ट्रेनों की रफ्तार बढ़ गई है। कहीं भी खड़ी ट्रेन को निकलने के लिए आगे चल रही ट्रेन के अगले स्टेशन तक पहुंचने का भी इंतजार नहीं करना पड़ता है। स्टेशन यार्ड से ट्रेन के आगे बढ़ते ही ग्रीन सिग्नल मिल जाता है, यानी एक ब्लॉक सेक्शन में एक के पीछे दूसरी ट्रेन आसानी से चलती है। इसके साथ ही ट्रेनों के लोकेशन की जानकारी मिलती रहती है ।

यहां हुई साकार : दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग सिस्टम:इस कड़ी मे नागपुर से भिलाई 279 किलोमीटर,बिलासपुर – जयरामनगर के मध्य 14 कि.मी., बिलासपुर – बिल्हा के मध्य 16 कि.मी. एवं बिलासपुर – घुटकू के मध्य 16 कि.मी., चांपा से कोरबा 37 किलोमीटर जैसे अनेक रेल खंडो में आटोमेटिक सिग्नल प्रणाली लागू की गई है । साथ ही कई महत्वपूर्ण रेलखंडों में इस प्रणाली को स्थापित करने का कार्य तेजी से चल रहा है।

Created On :   1 Sept 2023 6:11 PM IST

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