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मंडे पॉजिटिव: खूब भा रहे विदर्भ के जंगल, आशियाना बनाने पहुंच रहे बाहरी बाघ
- 200 से ज्यादा बाघ कान्हा पेंच, ओडिशा की ओर से पहुंचे
- 200 से अधिक है विदर्भ में फिलहाल बाघों की संख्या
- 400 का आंकड़ा प्रदेश में पार, बनाया है अपना बसेरा
डिजिटल डेस्क, नागपुर. अपनी टेरिटरी बनाने के लिए बाघों को मीलों का सफर तय करना पड़ता है। विदर्भ में भी इन दिनों कई बड़े बाघों की मौजूदगी दर्ज की जा रही है। यहां बड़े जंगलों से भी बाघ पहुंच रहे हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो यहां की प्राकृतिक स्थिति उन्हें रास आ रही है। जानकारी के अनुसार, कान्हा, मध्यप्रदेश का पेंच, ओडिशा आदि की ओर से बाघ विदर्भ के छोटे अभयारण्य में अपनी टेरिटरी बनाने के लिए आ रहे हैं। लेकिन यहां पहले से ज्यादा बाघों की मौजूदगी होने से बाहर से आने वाले बाघों को उल्टे पैर लौटना पड़ रहा है। गत पांच साल में ताड़ोबा में 100 से ज्यादा व पेंच में भी 100 से ज्यादा बाहरी क्षेत्र से बाघ आने का प्रमाण दर्ज किया है।
संघर्ष में जान भी जाती है : लगभग 2 वर्ष की उम्र के बाघ शावक अपने अड्डे से अलग होकर अपना नया ठिकाना बनाते हैं। उन्हें आजादी का आभास होता है। वह किसी से भी नहीं डरते। यह वयस्क बाघ शावक जंगल के अलग-अलग इलाकों में अपना कब्जा जमाते हैं। इस दौरान उन्हें कई बार दूसरे वयस्क बाघों से वर्चस्व की लड़ाई में जान भी चली जाती है, तो कई बार वह बूढ़े हो चुके बाघों पर हमला कर उन्हें ही मार डालते हैं। अपना अपना टेरिटरी और एरिया बनाने के लिए अन्य बाघों पर हमला करते हैं। पशु संग्राम का सबसे ज्यादा डर उन नन्हें वयस्क बाघों को होता है, जो अभी वयस्क बाघों की तुलना में कम महीने के होते हैं। साथ ही उनकी ताकत इतनी नहीं होती कि, वह इन नए वयस्क बाघों से खतरा मोल ले सकें। नर वयस्क बाघों का मादा वयस्क बाघिनों के प्रति बढ़ता आकर्षण इन छोटे बाघ शावकों के मृत्यु की वजह भी होता है।
गणना में खुलासा : देश में बाघों की गणना को लेकर प्रति चार साल बाद एनटीसीए बाघों की संख्या सामने रखता है। इस बार पूरे देश में 3 हजार से ज्यादा बाघों की मौजूदगी सामने आई है। महाराष्ट्र की बात करें तो बाघों ने 4 सौ का आंकड़ा पार कर लिया है, जिनका यहां बसेरा है। इसमें 2 सौ से ज्यादा बाघ केवल विदर्भ में मौजूद हैं। ताड़ोबा में 87, पेंच में 41, उमरेड करांडला में 6-7, बोर में 9, भद्रावती में 13 इनकी संख्या है।
कैमरा ट्रैप के आंकड़ों में भी खुलासा : यह बाघ यहीं पर पलते व बढ़ते रहते हैं। हाल ही में वन विभाग के कैमरा ट्रैप के आंकड़ों में यह भी खुलासा हुआ है कि गत पांच साल में विदर्भ के इन जंगलों में बाहरी राज्य से 2 सौ से ज्यादा बाघों ने घुसपैठ करने की कोशिश की है, लेकिन वह सफल नहीं हो पाए हैं। जानकारों की मानें तो मध्य प्रदेश के कान्हा, पन्ना, पेंच आदि जगहों से बड़े हो रहे शावक क्षेत्र की तलाश में मीलों का सफर करते हैं, इस वक्त वह अपने लिए क्षेत्र खोजते रहते हैं। जहां पहले से बाघ मौजूद हैं, वहां से वह आगे निकल जाते हैं।
Created On :   18 Sept 2023 5:19 PM IST