450 रुपए की रिश्वत का मामला, बेगुनाही साबित करने 25 साल मुकदमा लड़ा
डिजिटल डेस्क, नागपुर. वर्ष 1997 में 450 रुपए रिश्वत लेने के आरोप से खुद को बरी करने के लिए एक सरकारी कर्मचारी ने 25 वर्ष तक न्यायिक लड़ाई लड़ी। अब जा कर बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने उसे निर्दोष मान कर बरी कर दिया है। याचिकाकर्ता का नाम केशव नागपुरे है। जनवरी-मार्च 1997 के दौरान याचिकाकर्ता नागपुर के अतिरिक्त तहसीलदार कार्यालय में बाबू के पद पर कार्यरत थे। तब एक भू-खंड के गैर-कृषि कर से संबंधित एक मामला उनके पास आया। शिकायतकर्ता महिला का आरोप था कि याचिकाकर्ता ने उनका काम करने के लिए कुल 441 रुपए की रिश्वत मांगी। महिला ने इसकी शिकायत एसीबी से कर दी। एसीबी ने जाल बिछा कर याचिकाकर्ता को रंगे हाथ पकड़ा। निचली अदालत ने 22 सितंबर 2005 को दिए अपने फैसले में याचिकाकर्ता को दाेषी मानकर 6 माह की जेल और 500 रुपए जुर्माने की सजा सुनाई। इसके खिलाफ याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट की शरण ली। हाई कोर्ट में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता राजेंद्र डागा ने दलील दी कि किसी आरोपी के पास नोट बरामद हुए है, इतना ही उसे दोषी साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं है। सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के अनुसार दोषी साबित करने के लिए यह भी सिद्ध होना चाहिए कि आरोपी ने वाकई शिकायतकर्ता से रिश्वत मांगी है। मामले में सभी पक्षों को सुनकर हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता को निर्दोष बरी कर दिया है।
Created On :   8 March 2023 3:15 PM IST