महाराष्ट्र में रोजाना 8 किसान कर रहे आत्महत्या- विपक्ष के नेता पवार का दावा 

8 farmers commit suicide daily in Maharashtra, claims Leader of the Opposition Pawar
महाराष्ट्र में रोजाना 8 किसान कर रहे आत्महत्या- विपक्ष के नेता पवार का दावा 
विधानसभा महाराष्ट्र में रोजाना 8 किसान कर रहे आत्महत्या- विपक्ष के नेता पवार का दावा 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। विधानसभा में विपक्ष के नेता अजित पवार ने किसान आत्महत्या के मुद्दे पर मौजूदा सरकार को घेरते हुए कहा कि राज्य में रोजाना 8 किसान आत्महत्या कर रहे हैं। आंकड़ों का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि शिंदे-फडणवीस सरकार के कार्यकाल में किसानों की आत्महत्या के मामले बढ़ गए हैं। उन्होंने कहा कि एकनाथ शिंदे सरकार के 7 माह के कार्यकाल में 1023 किसानों ने आत्महत्या की है।

मराठवाडा में पिछले दो महीनों में65 किसानों ने आत्महत्या की है जिनमें से 22 सिर्फ बीड जिले के हैं। शुक्रवार को विधानसभा में नियम 293 के तहत हुई चर्चा के दौरान अजित पवार ने कहा कि देवेंद्र फडणवीस के मुख्यमंत्री रहते साल 2014 से 2019 के बीच 5061 किसानों ने आत्महत्या की थी जबकि उद्धव ठाकरे सरकार के ढाई साल के कार्यकाल में 1607 किसानों ने आत्महत्या की। उन्होंने कहा कि कोई मुख्यमंत्री यह नहीं चाहता कि किसान आत्महत्या करे लेकिन ठोस हल निकालने की जरूरत है। अजित पवार ने कहा कि कभी कम और कभी भारी बारिश, बेमौसम बरसात जैसी प्राकृतिक आपदाओं से राज्य में कृषि पर संकट आ गया है।

कृषि उत्पादों के दाम बेहद कम मिलने से किसानों को सब्जियों सहित अन्यकृषि उत्पादों को सड़कों पर फेंकने की नौबतआ गई है। उर्वरक की बढ़ती कीमतों, नकली बीज का मामला, घिरते ‘सीबिल’की वजह से बैंक कर्ज नहीं देते। जिससे उन्हें शाहूकारों के जाल में फंसना पड़ता है। वे कर्ज नहीं चुका पाते और फिर आत्महत्या के लिए मजबूर हो जाते हैं। यह बड़ा दुष्चक्र है। इसे भेदने में सरकार नाकाम रही है। पवार ने आरोप लगाया कि कृषि पंपों के बिजली कनेक्शन काटे जा रहे हैं जिससे राज्य का किसान बेहाल हो गया और किसानों की आत्महत्या बढ़ी है। उन्होंने कहा कि शिंदे-फडणवीस सरकारकिसानों के प्रति असंवेदनशील है। पवार ने कहा कि किसान ही दुनिया का पोषण करने वाला है। वह संकट में है तो राज्य और देश की अर्थव्यवस्था नहीं पलट सकती।

कल्याणकारी राज्य की अवधारणा को लागू करते समय सरकार को कृषि क्षेत्र को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है, लेकिन शिंदे-फडणवीस सरकार ने कृषि विभाग को तबादलों, पदोन्नति और भर्ती में फंसा रखा है। राज्य में राष्ट्रीयकृत बैंक किसानों को कर्ज नहीं देते हैं।उन्होंने कहा कि फसल बीमा को लेकर कई शिकायतें हैं। पिछले साल विदर्भ, मराठवाड़ा, पश्चिम महाराष्ट्र, उत्तरी महाराष्ट्र, कोकण और लगभग पूरे महाराष्ट्र में भारी बारिश के कारण बड़ा नुकसान हुआ, लेकिन किसानों को बीमा कंपनियों से उचित मुआवजा नहीं मिला। बीमा कंपनियों की बढ़ती शिकायतों के बाद अब कुछ लोगों ने किसानों को बदनाम करने की योजना बनाई है। 

 

Created On :   11 March 2023 6:04 PM IST

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