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गोंदिया में 6 हजार रुपए के लिए किसान ने लगाई फांसी, मुंबई में व्हाट्सएप पर संदेश भेज युवक ने पुल से लगा दी छलांग
डिजिटल डेस्क, मुंबई। कर्ज और बीमारी से परेशान एक शख्स ने नई मुंबई स्थित वाशी खाड़ी पुल से छलांग लगा दी। आत्महत्या करने वाले शख्स का नाम संजय पुजारा है। खाड़ी में कूदने से पहले पुजारा ने अपने एक दोस्त को ह्वाट्सएप पर संदेश भेजा था जिसमें बीमारी और कर्ज के चलते आत्महत्या की बात लिखी गई थी। खबर लिखे जाने तक पुजारा की खाड़ी में तलाश जारी थी। पुजारा मुंबई के बांद्रा इलाके का रहने वाला था। वह अपनी स्कूटी से वाशी पुल पर गया। पुल पर ही स्कूटी छोड़कर उसने खाड़ी में छलांग लगा दी। घटना सोमवार रात नौ बजे की है। कुछ लोगों ने उसे छलांग लगाते देखा तो पुलिस को फोन कर इसकी जानकारी दी। इसके बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने मछुआरों की मदद ले पुजारा की तलाश शुरू की। पुलिस की पुजारा की स्कूटी से उसका पर्स मिला है जिसमें आधार कार्ड, एटीएम कार्ड और सुसाइड नोट मिला है। इसके अलावा उसका मोबाइल भी स्कूटी में ही रखा हुआ था। पुलिस ने मोबाइल की जांच की तो पाया कि पुजारा ने ह्वाट्सएप पर एक दोस्त को संदेश भेजा है जिसमें उसने लिखा है कि मैं कर्ज में डूबा हुआ हूं, इसके अलावा बीमारी से जूझ रहा हूं। इसी से परेशान होकर मैं वाशी खाड़ी पुल से छलांग लगाकर आत्महत्या कर रहा हूं। सोमवार दोपहर को ही एक 36 वर्षीय महिला ने भी वाशी पुल से खाड़ी में छलांग लगाकर आत्महत्या की कोशिश की थी हालांकि खाड़ी में नाव पर मौजूद मछुआरे की उस पर नजर पड़ गई इसलिए उसे बचा लिया गया। लगातार हो रही इस तरह की घटनाओं के मद्देनजर वाशी पुलिस 2015 से ही सार्वजनिक निर्माण कार्य विभाग से पुल पर आत्महत्या रोकने के लिए बैरियर लगाने की मांग कर रही है।
गोंदिया में महज 6 हजार के लिए किसान ने लगाई फांसी
उधर गोंदिया की देवरी तहसील के वडेगांव निवासी केवलचंद रहांगडाले ने एक आदिवासी परिवार की जमीन खरीदी थी, लेकिन शासन आदेश के तहत जमीन उसे लौटानी पड़ी। हाल ही में प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना के तहत आवेदन करने जब ग्राम के किसान जा रहे थे, तो केवलचंद रहांगडाले को लगा कि यदि उसके पास जमीन होती, तो शायद योजना का लाभ उठा पाता। इसी सोच को लेकर भूमिहिन किसान केवलचंद रहांगडाले ने अपने ही घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। घटना 11 फरवरी शाम को सामने आई है। देवरी पुलिस ने पंचनामा कर अस्पताल देवरी में शव का पोस्टमार्टम कर मामला दर्ज किया है। रहांगडाले ने वर्ष 1968 में आदिवासी किसान से 7 एकड़ जमीन खरीदी थी। लेकिन शासन ने एक अध्यादेश जारी किया था कि आदिवासियों की खरीदी गई जमीन फिर से उन्हें वापस लौटायी जाए। इस अध्यादेश के तहत केवलचंद रहांगडाले द्वारा खरीदी गई जमीन उस आदिवासी किसान को वापस मिल गई। रहांगडाले ने न्यायालय की शरण ली। लेकिन जब बात नहीं बनी तो निराश हो गया।
Created On :   12 Feb 2019 10:22 PM IST